Political Crisis In Maharashtra: सूबे में 8 दिन में हुआ सत्ता का उलटफेर, उद्धव ठाकरे के हाथ से ऐसे फिसली सत्ता

Political Crisis In Maharashtra: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने कहा है कि उन्हें सीएम कुर्सी खोने का कोई डर नहीं है. बीते 8 दिन में सूबे की राजनीति ने कई नाटकीय मोड लिए. शिवसेना के एकनाथ शिंदे बागी विधायकों के साथ सूरत के बाद गुवाहाटी पहुंच गए. मान-मनौव्वल का दौर चला, लेकिन नतीजा ये रहा कि प्रदेश की सत्ता हाथ से निकल गई.

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उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो) उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो)

हेमंत पाठक

  • नई दिल्ली ,
  • 29 जून 2022,
  • अपडेटेड 10:46 PM IST
  • 21 जून को सूरत गए थे एकनाथ शिंदे
  • 29 जून को उद्धव ठाकरे ने दिया इस्तीफा

महाराष्ट्र में 20 जून को MLC चुनाव हुए थे. चुनाव के परिणामों के बाद सूबे की सियासत ने करवट लेनी शुरू की. 21 जून को मंगलवार था... लेकिन ये दिन शिवसेना के लिए किसी भी लिहाज से मंगलकारी नहीं था, क्योंकि इसी दिन शिवसेना के सीनियर नेता और मंत्री एकनाथ शिंदे ने बागी तेवर अपनाए थे. वह पार्टी के बागी विधायकों को लेकर गुजरात के सूरत पहुंच गए थे. 

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जैसे ही शिवसेना को इस बात की भनक लगी तो सीएम उद्धव ने भी उसी दिन यानी 21 जून को गठबंधन की बैठक बुला ली थी. लेकिन सियासी संकट का दौर शुरू हो चुका था. एकनाथ शिंदे गुजरात के सूरत से गुवाहाटी निकलने की तैयारी में थे. वहीं एकनाथ शिंदे बागी विधायकों के साथ 21 जून को ही सूरत के होटल से निकलकर तीन बसों से एयरपोर्ट पहुंचे. यहां से सभी विधायक चार्टर्ड प्लेन से गुवाहाटी के लिए रवाना हो गए. 

फिर शुरू हुआ बयानबाजियों और मान-मनौव्वल का दौर. सीएम ठाकरे ने विधायकों को मनाने की कोशिश की, लेकिन उनकी अपील बे-असर साबित हुई. शिवसेना के बागी विधायकों का गुवाहाटी पहुंचने का सिलसिला जारी रहा. एक-एक कर शिवसेना से नाराज विधायक एकनाथ शिंदे के खेमे में शामिल होते गए. मतलब, सीएम उद्धव ठाकरे के हाथ से सत्ता की रेत फिसलने लगी थी. 

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इसी बीच शिंदे गुट ने 34 विधायकों के हस्ताक्षर वाली चिट्ठी गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी को भेजी, चिट्ठी में कहा कि एकनाथ शिंदे ही शिवसेना विधायक दल के नेता हैं. भरत गोगावले को नया चीफ व्हिप चुन लिया गया है. 

सियासी उठापटक के बीच सीएम उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री आवास छोड़कर मातोश्री (अपने घर) पहुंच गए. इसके बाद उन्होंने फेसबुक पर लाइव आकर कहा था कि बागी सामने आकर उनसे बात करें. वहीं एकनाथ शिंदे ने ट्वीट कर कहा था कि हिंदू हृदय सम्राट वंदनिया बालासाहेब ठाकरे के हिंदुत्व के विचारों के लिए और बालासाहेब की शिवसेना को बचाने के लिए, हम मर भी जाएं तो बेहतर है. अगर ऐसा होता है तो हम सब अपने आप को भाग्यशाली समझेंगे.

राजनीतिक संकट के बीच शिवसेना ने महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर को चिट्ठी लिखकर बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग कर दी. बागी विधायकों को नोटिस मिले, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से शिंदे गुट को बड़ी राहत मिल गई. मतलब डिप्टी स्पीकर के बागी विधायकों को दिए गए अयोग्यता नोटिस वाले फैसले पर सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगा दी. वहीं दूसरी तरफ कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर को नोटिस दिया. उधर, बागी विधायकों को जवाब देने के लिए 14 दिन का अतिरिक्त समय मिल गया था. 

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इधर, महा विकास अघाडी सरकार की सत्ता पर पकड़ कमजोर होने लगी. पॉलिटिकल ड्रामे के बीच देवेंद्र फडणवीस ने राज्यपाल से मुलाकात कर फ्लोर टेस्ट की मांग कर दी है. जोर देकर कहा कि महाराष्ट्र सरकार के पास बहुमत नहीं है. बागी हो चुके विधायक भी शिवसेना का समर्थन नहीं कर रहे हैं.

उधर, शिवसेना भी राज्यपाल के आदेश की चिट्टी का इंतजार कर रही थी. जैसे ही राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने आदेश दिया, शिवसेना इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई. शिवसेना ने फ्लोर टेस्ट पर रोक की मांग की है. महाराष्ट्र में उद्धव सरकार का कल (30 जून) फ्लोर टेस्ट होगा या नहीं अब इसपर संशय बना हुआ है. लेकिन इससे पहले यानी 29 जून (बुधवार) को ही उद्धव ठाकरे ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने फेसबुक लाइव में ही अपना त्यागपत्र दे दिया है. उन्होंने कहा है कि उन्हें सीएम कुर्सी खोने का कोई डर नहीं है.

 

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