26/11 के आतंकी हमले में घायल हुए सदाशिव कालोके ने पाकिस्तानी आतंकियों से जिंदगी की जंग लड़ी थी. उनकी गर्दन में गोली लगी थी, वह डेढ़ महीने तक मुंबई के जे.जे. अस्पताल में भर्ती रहे थे. अब, इतने वर्षों बाद जब 26/11 साजिशकर्ता ताहवुर राणा को भारत लाया जा रहा है, तो कालोके ने मांग की है कि जैसे कसाब को 4 साल तक रखा गया, वैसा अब दोहराया न जाए. तहव्वुर राणा के खिलाफ मुकदमा जल्द निपटे और उसे फांसी दी जाए.
2008 की रात की यादें अब भी ताजा हैं
सदाशिव कालोके उस समय क्रॉफर्ड मार्केट स्थित एक रेस्टोरेंट में काम करते थे. 26 नवंबर 2008 की रात वह अपने दोस्त को छोड़ने छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) पहुंचे थे. वहीं वह हमले की चपेट में आ गए. उन्होंने कहा कि मैं वेटिंग एरिया में था, तभी अचानक तेज धमाका हुआ और चारों ओर अफरा-तफरी मच गई. मुझे अहसास ही नहीं हुआ कि मेरी गर्दन से खून बह रहा है, जब तक लोग मुझे अस्पताल नहीं ले गए.
जिंदगी की नई शुरुआत और संघर्ष
इस जख्म से उबरने के बाद डॉक्टरों की सलाह पर कालोके करीब दो साल अपने गांव कोल्हापुर में रहे, लेकिन आर्थिक तंगी ने उन्हें फिर मुंबई लौटने पर मजबूर कर दिया. जब वह दोबारा अपने पुराने रेस्टोरेंट गए, तो मालिक ने कहा कि काम पर तो रख लूंगा, लेकिन किसे निकालूं? अब मैं किसी और का रोजगार कैसे छीनता? इसके बाद कालोके ने छोटे-मोटे काम किए और फिर खुद की एग भुर्जी और ऑमलेट की स्टॉल शुरू की. कालोके आज अपने बच्चों की पढ़ाई में जुटे हैं उनकी फार्मेसी पढ़ रही है और बेटा बीएससी कर रहा है.
'हमारे साथ अन्याय करने वालों को सज़ा मिलनी चाहिए'
तहव्वुर राणा की भारत वापसी पर कालोके ने भावुक होकर कहा कि जिन्होंने हमारे साथ अन्याय किया, उन्हें सज़ा मिलनी चाहिए, लेकिन तहव्वुर राणा को भी कसाब की तरह चार साल तक जेल में न रखा जाए. मुकदमा तेज़ी से निपटाया जाए और उसे जल्द फांसी दी जाए. कालोके ने कहा कि आज भी जब वह CSMT जाते हैं, उस रात की भयावह यादें उनके ज़हन में ताजा हो जाती हैं, लेकिन चेहरे पर मुस्कान लिए वह कहते हैं – "जो होना था, हो गया... अब आगे की लड़ाई लड़नी है.
विद्या