'देवेंद्र फडणवीस को गिरफ्तारी का डर क्यों था?' फोन टैपिंग को लेकर 'सामना' का हमला

शिवसेना (उद्धव) के मुखपत्र सामना में कहा गया है कि देवेंद्र फडणवीस बार-बार कहते हैं कि महाविकास आघाड़ी सरकार उन्हें गिरफ्तार करने वाली थी और मुख्यमंत्री ठाकरे की इस कार्रवाई पर मौन सहमति थी. सामना ने पूछा कि पूर्व सीएम को डर क्यों था कि उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा.

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महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस (फाइल फोटो) महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस (फाइल फोटो)

पंकज उपाध्याय

  • मुंबई,
  • 15 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 9:31 AM IST

शिवसेना (UBT) के मुखपत्र सामना में महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस पर निशाना साधा गया है. पूर्व सीएम पर आरोप लगाया गया है कि महाराष्ट्र में फोन टैपिंग तब शुरू हुई जब फडणवीस के पास गृह विभाग था. 

सामना में कहा गया है कि देवेंद्र फडणवीस बार-बार कहते हैं कि महाविकास आघाड़ी सरकार उन्हें गिरफ्तार करने वाली थी और मुख्यमंत्री ठाकरे की इस कार्रवाई पर मौन सहमति थी. सामना ने पूछा कि पूर्व सीएम और 105 विधायकों के नेता को डर क्यों था कि उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा. इसका खुलासा फडणवीस ने किया होता तो भ्रम के जाल दूर हो गए होते.  

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शिवसेना (UBT) ने आगे कहा कि सच तो यह है कि MVA सरकार के प्रमुख नेताओं के टेलीफोन अवैध रूप से ‘टैपिंग’ करने के प्रयास तब हुए, जब फडणवीस मुख्यमंत्री थे. फोन टैपिंग मामले की विवादास्पद अधिकारी रश्मि शुक्ला की जांच करके पुणे और कुलाबा पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था. 

रश्मि शुक्ला ने MVA के नेताओं के फोन टैप किए. इन नेताओं के फोन टैपिंग का प्रस्ताव फोन नंबर के आगे आतंकवादी और देश के खिलाफ साजिश रचने वाले, लिखकर भेजा गया. उस वक्त देवेंद्र फडणवीस ही गृह मंत्री थे. जब इस मामले में जांच अधिकारी उनके आवास पर गए और बयान दर्ज किया तो इस मामले में बयान मचाने का कोई कारण नहीं है. सामना में पूछा गया है कि अगर फोन टैपिंग का मामला गंभीर नहीं है तो मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर संजय पांडे को केंद्रीय जांच एजेंसी ने क्यों गिरफ्तार किया?  

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शिवसेना (UBT) रश्मि शुक्ला को लेकर हमलावर

शिवसेना (UBT) का आरोप है कि जब बीजेपी सरकार आई तो उन्होंने रश्मि शुक्ला पर लगे आरोप वापस ले लिए और जांच रोक दी गई. अब आपकी सरकार ने उन्हें डीजीपी बना दिया. आपकी सरकार ने आईएनएनस विक्रांत महाघोटाले से लेकर विपक्ष के फोन टैपिंग तक के सभी मामलों में क्लीनचिट दे दी. यह क्या शासन करने का तरीका हुआ?  

देशमुख-राउत के खिलाफ कोई सबूत नहीं 

सामना में अनिल देशमुख, नवाब मलिक, संजय राउत की गिरफ्तारी पर सवाल उठाया गया है. संपादकीय में कहा गया है कि इनके खिलाफ कोई सबूत नहीं थे. उन्हें बिना किसी सबूत के जेल में भेजा गया. 

 

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