मुंबई एक बार फिर दशहरे के मौके पर शिवसेना बनाम शिवसेना के राजनीतिक टकराव की गवाह बनेगी. गुरुवार को पार्टी के दोनों गुट उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना (शिंदे गुट) अलग-अलग रैलियां करने जा रहे हैं. दोनों ही गुट शक्ति प्रदर्शन के जरिए न सिर्फ अपनी राजनीतिक पकड़ दिखाना चाहते हैं, बल्कि आगामी स्थानीय निकाय चुनावों और मुंबई महापालिका चुनाव से पहले अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरने का भी लक्ष्य रखे हुए हैं.
शिवाजी पार्क बनाम नेस्को ग्राउंड
उद्धव ठाकरे अपने गुट की पारंपरिक दशहरा रैली शिवाजी पार्क (दादर पश्चिम) में आयोजित कर रहे हैं. यह वही जगह है जहां से शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे ने 1966 से रैली की परंपरा शुरू की थी. वहीं, शिंदे गुट ने शुरुआत में आजाद मैदान को चुना था, लेकिन लगातार हो रही बारिश से वहां पानी भर जाने के कारण अंतिम समय में इसे बदलकर नेस्को एग्ज़िबिशन सेंटर, गोरेगांव कर दिया गया. दोनों ही स्थानों पर कार्यकर्ताओं और समर्थकों का जमावड़ा लगना तय है.
सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम
मुंबई पुलिस ने दोनों रैलियों और शहर में दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन के मद्देनजर अभूतपूर्व सुरक्षा इंतज़ाम किए हैं. 16,500 से अधिक कांस्टेबल और लगभग 2,900 अधिकारी तैनात किए गए हैं. 7 अतिरिक्त पुलिस आयुक्त, 26 डीसीपी और 52 एसीपी की ड्यूटी लगाई गई है. भीड़ नियंत्रण और किसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए क्यूआरटी (क्विक रिस्पॉन्स टीम), बॉम्ब डिस्पोजल स्क्वॉड, डॉग स्क्वॉड, दंगा नियंत्रण और होमगार्ड्स को मैदान में उतारा गया है. ट्रैफिक पुलिस ने भीड़ और रैलियों को देखते हुए कई मार्गों पर डायवर्जन किए हैं ताकि यातायात प्रभावित न हो.
चुनावी समीकरण और राजनीतिक मायने
2022 में हुई बगावत के बाद से शिवसेना दो हिस्सों में बंटी हुई है. शिंदे गुट सत्ता में बीजेपी के साथ है, जबकि उद्धव गुट विपक्ष में बैठा है. 2024 के विधानसभा चुनाव में उद्धव गुट को करारी हार का सामना करना पड़ा. अब उनकी नजरें मुंबई महानगरपालिका चुनाव पर हैं, जहां शिवसेना की पकड़ दशकों से रही है. दूसरी ओर, शिंदे गुट यह साबित करना चाहता है कि उसके पास न सिर्फ सत्ता है बल्कि जमीनी समर्थन भी है. इसलिए दशहरे की यह जंगी जंग असल में मुंबई की सड़कों और महाराष्ट्र की राजनीति में भविष्य की दिशा तय करने वाली भिड़ंत साबित हो सकती है.
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