महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर से सुर्खियों में छाया हुआ है. सामाजिक कार्यकर्ता ने मराठा आरक्षण की मांग को लेकर आमरण अनशन शुरू कर दिया है. मुंबई के आजाद मैदान में बीते दो दिनों से जरांगे अपनी आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. फडणवीस सरकार ने आश्वासन दिया है कि प्रदर्शनकारियों के मांगों को कानूनी और संवैधानिक ढांचे के भीतर पूरा करने का प्रयास किया जाएगा.
उधर, इस मामले पर सियासत भी जारी है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-एसपी के प्रमुख शरद पवार ने प्रदेश में आरक्षण के मुद्दे पर बड़ा बयान जारी किया है. उन्होंने कहा कि आरक्षण से जुड़े मुद्दों के समाधान के लिए संवैधानिक संशोधन आवश्यक है, क्योंकि कुल आरक्षण पर एक सीमा तय की गई है.
खेती से ही भविष्य सुरक्षित नहीं
शरद पवार ने कहा कि 80 फीसदी मराठा कृषि पर निर्भर हैं, लेकिन ये सेक्टर उनके भविष्य को सुरक्षित नहीं कर सकती है. ऐसे में मराठाओं के लिए आरक्षण ही एकमात्र ऑप्शन बन जाता है.
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की सीमा और तमिलनाडु का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि देश के सर्वोच्च न्यायालय ने आरक्षण पर 52 प्रतिशत की सीमा तय की है. हालांकि, कोर्ट ने तमिलनाडु में 72 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी भी दी थी.
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पवार ने कहा कि आरक्षण के मामले में केंद्र की भूमिका पारदर्शी और साफ होनी चाहिए. देश को एक जैसे नीति की ज़रूरत है, जिससे समाज में आपस में कड़वाहट न फैले.
सातवीं बार आंदोलन पर बैठे जरांगे
ये सातवीं बार है कि जरांगे मराठा समुदाय की मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. जरांगे ने आरक्षण के ख़िलाफ़ इसे अंतिम लड़ाई बताया है. मुंबई पुलिस ने कल यानि रविवार को आंदोलन को आज़ाद मैदान में जारी रखने की अनुमति दे दी है.
इनपुुट: पीटीआई
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