मुंबई: प्राइवेट क्लिनिक में कोविड-19 मरीजों का इलाज करते हुई थी डॉक्टर की मौत, पत्नी को सरकारी बीमा के 50 लाख नहीं मिल सकते

डॉक्टर सुरगाडे की पत्नी ने याचिका में कहा कि उनके पति ने क्लिनिक खोले रखा और कोविड-19 मरीजों का इलाज करते रहे. इसी दौरान उन्हें भी कोरोना संक्रमण हो गया और 10 जून 2020 को उनकी मौत हो गई.

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बॉम्बे हाईकोर्ट (फाइल फोटो) बॉम्बे हाईकोर्ट (फाइल फोटो)

विद्या

  • मुंबई,
  • 10 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 2:07 PM IST
  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज की विधवा की याचिका
  • कहा- सरकार ने ड्यूटी देने के लिए नहीं बोला था

बॉम्बे हाईकोर्ट ने नवी मुंबई के उस डॉक्टर की विधवा को कोई राहत देने से इनकार किया, जिसकी मौत प्राइवेट क्लिनिक में मरीजों का इलाज करने के दौरान कोविड-19 से मौत हो गई थी. कोर्ट ने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 50 लाख रुपये का बीमा कवर सिर्फ उन प्राइवेट डॉक्टर्स के लिए था जिनकी सेवाएं कोविड-19 ड्यूटी के लिए ली गई थीं.

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जस्टिस एस जे कठावल्ला और जस्टिस आर आई चागला ने याचिका को खारिज करते हुए कहा,‘याचिकाकर्ता (विधवा) को योजना के लिए आवेदन में ये आवश्यक रूप से साबित करने की जरूरत है कि डॉक्टर भास्कर सुरगाडे की सेवाएं राज्य या केंद्र सरकार ने कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए ली थीं.’

याचिका के मुताबिक आयुर्वेद प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर भास्कर सुरगाडे को नवी मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (NMCC) के कमिश्नर से नोटिस मिला था कि वे अपनी डिस्पेंसरी खोले रखें. साथ ही ये चेतावनी भी दी गई थी कि अगर निर्देश का पालन नहीं किया गया तो कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा.

डॉक्टर सुरगाडे की पत्नी ने याचिका में कहा कि उनके पति ने क्लिनिक खोले रखा और कोविड-19 मरीजों का इलाज करते रहे. इसी दौरान उन्हें भी कोरोना संक्रमण हो गया और 10 जून 2020 को उनकी मौत हो गई. इसके बाद डॉक्टर की पत्नी ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना बीमा पैकेज के तहत 50 लाख रुपये के मुआवजे के लिए आवेदन किया. उनका ये आवेदन इस दलील के साथ खारिज हो गया कि डॉक्टर सुरगाडे किसी अस्पताल या सरकारी हेल्थकेयर सेंटर में काम नहीं कर रहे थे, इसलिए आवेदन स्वीकार करने योग्य नहीं है.

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महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश कविता सोलुंके ने कहा कि डॉक्टर की सेवाएं नहीं मांगी गई थीं इसलिए वे बीमा कवर के हकदार नहीं हैं. कोर्ट ने कहा कि NMMC ने याचिकाकर्ता के पति को सिर्फ अपना क्लिनिक खोल कर रखने के लिए कहा था, इसे ये नहीं समझा जा सकता कि वो नोटिस कोविड-19 मरीजों के इलाज के मकसद से या कोविड-19 अस्पताल में काम करने के संबंध में था.

कोर्ट ने कहा, ‘इस नोटिस का ये आशय नहीं था कि डिस्पेंसरियों को कोविड-19 इलाज के लिए खोल कर रखा जाए.’

 

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