पालघर साधु हत्याकांड: आरोपी काशीनाथ चौधरी को BJP में शामिल कराया, बवाल मचा तो पार्टी ने रोकी सदस्यता

Palghar Sadhu Lynching Accused Joins BJP: जिस काशीनाथ चौधरी को BJP पालघर साधु हत्याकांड का मुख्य साजिशकर्ता बताती थी, उसी को पार्टी में शामिल कर लिया गया. स्थानीय निकाय चुनावों से पहले हुई इस कार्रवाई के बाद विपक्ष के तीखे हमलों के चलते BJP को चौधरी की सदस्यता रोकनी पड़ी.

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बीच में खड़े काशीनाथ चौधरी.(Photo:Screengrab) बीच में खड़े काशीनाथ चौधरी.(Photo:Screengrab)

ऋत्विक भालेकर

  • पालघर,
  • 18 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:21 PM IST

महाराष्ट्र में उस समय बड़ा राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया जब NCP (शरद पवार गुट) के नेता काशीनाथ चौधरी BJP में शामिल हो गए. चौधरी पर बीजेपी ने ही साल 2020 के पालघर साधु लिंचिंग मामले में मुख्य साजिशकर्ता होने का आरोप लगाया था.

चौधरी अपने तीन हजार से अधिक समर्थकों के साथ स्थानीय निकाय चुनाव से ठीक पहले बीजेपी में शामिल हुए. इस दौरान बीजेपी सांसद हेमंत सावरा और पार्टी जिला अध्यक्ष भरत राजपूत की मौजूदगी भी रही.

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इस कदम की विपक्ष ने तुरंत कड़ी आलोचना की. सुप्रिया सुले और रोहित पवार सहित NCP नेताओं ने BJP के 'दोगलेपन' पर सवाल उठाते हुए पूछा कि चौधरी के खिलाफ उनके पुराने गंभीर आरोपों का क्या हुआ?

सुप्रिया सुले ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी और प्रमोद महाजन के नेतृत्व वाली भाजपा ही अच्छी पार्टी थी, लेकिन अब नहीं रही.

रोहित पवार ने कहा कि भाजपा ने चौधरी को अपनी 'वॉशिंग मशीन' में डालकर साफ कर दिया और व्यंग्य करते हुए पूछा कि क्या इसका मतलब यह है कि असली हत्याकांड में भाजपा शामिल थी.

शिवसेना (UBT) नेत्री सुषमा अंधारे ने भाजपा पर हिंदुत्व को महज राजनीतिक एजेंडा मानने और आस्था का विषय न मानने का आरोप लगाया.

यह विवाद इसलिए भी गंभीर है क्योंकि भाजपा और एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने अप्रैल 2020 में दो साधुओं व उनके ड्राइवर की बेरहमी से हुई लिंचिंग का भरपूर राजनीतिक उपयोग किया था, जो उस समय की महा विकास अघाड़ी सरकार के दौरान हुई थी और इसका इस्तेमाल उद्धव ठाकरे सरकार पर तीखा हमला करने के लिए किया गया था.

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एकनाथ शिंदे ने साधुओं की हत्या को बर्दाश्त न कर पाने को MVA के खिलाफ अपनी बगावत का एक कारण भी बताया था. शुरुआत में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि यह स्थानीय मामला है और कानूनी जांच से सच्चाई पहले ही सामने आ चुकी है.

CM ने इशारा किया कि चौधरी पर आरोप तब लगे थे जब वे विपक्ष में थे. लेकिन व्यापक विरोध और लगातार आलोचना के बाद भाजपा के प्रदेश कार्यालय ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर काशीनाथ चौधरी की सदस्यता को रोक दिया.

इस घटना ने 2020 के पालघर लिंचिंग मामले को फिर से राजनीतिक बहस के केंद्र में ला दिया है, जहां दो साधुओं और उनके ड्राइवर को भीड़ ने बेरहमी से मार डाला था. विपक्ष अब इसे भाजपा के 'पाखंडी और नकली हिंदुत्व एजेंडे' का उदाहरण बता रहा है.

'मुझ पर ही आरोप लगा दिया गया'

इस मामले में काशीनाथ चौधरी का कहना है, ''मीडिया में आ रही खबरों की वजह से मेरा परिवार बहुत ज्यादा मेंटल स्ट्रेस में है. मैं पुलिस की मदद के लिए गढ़चिंचले (साधु हत्याकांड वाली जगह) पहुंचा था. लेकिन मुझ पर ही इल्ज़ाम लगा दिया गया. पुलिस मुझे साधुओं की जान बचाने के लिए वहां ले गई थी. लेकिन भीड़ इतनी अग्रेसिव थी कि हम उसे संभाल नहीं पाए.''

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काशीनाथ ने आगे कहा, ''मैं अभी पॉलिटिक्स पर बात नहीं करना चाहता. मैंने BJP में शामिल होने के बारे में डिस्ट्रिक्ट लेवल के ऑफिस बेयरर्स से बात की थी. कुछ BJP मेंबर्स ने झूठे आरोप लगाए और लिंचिंग के दौरान मुझ पर आरोप लगाया. इससे मुझे और मेरे परिवार को बहुत ज्यादा मेंटल स्ट्रेस हो रहा है.''

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