महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साले श्रीधर माधव पाटणकर की संपत्ति पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के कार्रवाई करने के बाद सूबे की सियासत गरमा गई है. बीजेपी इस मुद्दे पर सीएम उद्धव से इस्तीफे की मांग कर रही है. हालांकि, महाराष्ट्र में पहली बार नहीं है कि जब किसी रिश्तेदार के चलते सीएम के सामने सियासी खड़ा हुआ है बल्कि दो मुख्यमंत्रियों को अपनी कुर्सी तक गंवानी पड़ी है.
महाराष्ट्र में शिवसेना-बीजेपी गठबंधन के पहले मुख्यमंत्री रहे शिवसेना नेता मनोहर जोशी को अपने दामाद के चलते सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी तो आदर्श हाउसिंग घोटाले में सास के नाम पर फ्लैट होने के कारण कांग्रेस के अशोक चव्हाण को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. वहीं, अब सीएम उद्धव ठाकरे अपने साले के चलते निशाने पर हैं. इसी तरह एनसीपी नेता और शरद पवार के भतीजे अजीत पवार के रिश्तेदारों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई थी.
मनोहर जोशी ने साले ले छोड़नी पड़ी कुर्सी
महाराष्ट्र की सत्ता में बीजेपी और शिवसेना लंबे समय तक साथ रहे हैं और पहली बार 1995 में सरकार बनी थी. मुख्यमंत्री की ताजपोशी शिवसेना नेता मनोहर जोशी को मिली थी. मनोहर जोशी को अपनी सीएम की कुर्सी दामाद गिरीश व्यास के कारण छोड़ना पड़ा था. उस समय आरोप लगा था कि पुणे में स्कूल की एक जमीन का लैंडयूज बदलकर जोशी के दामाद गिरीश के एक करीबी को दिया था. इसके कुछ दिनों में ही भूखंड पर 10 मंजिला इमारत खड़ी हो गई थी. इसके लिए जोशी को सुप्रीम कोर्ट की फटकार भी सुननी पड़ी और वो विपक्ष के निशाने पर आ गए. दबाव इतना बढ़ा कि मनोहर जोशी को हटाकर शिवसेना ने नारायण राणे को मुख्यमंत्री बनाना पड़ा.
सास के चलते अशोक चव्हाण की कुर्सी गई
महाराष्ट्र में आदर्श हाउसिंग घोटाला मामला कांग्रेस के लिए सियासी तौर पर काफी नुकसान पहुंचाने वाला रहा है. कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण को सीएम की कुर्सी इसी मामले में गवांनी पड़ी थी. अशोक चव्वाण को दक्षिण मुंबई के कुलाबा में सेना के लिए आरक्षित जमीन पर बनी आदर्श हाउसिंग सोसायटी में उनके सास का फ्लैट होने से मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था. बीजेपी ने इस मामले को लेकर कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा था.
वहीं, अब ईडी ने मनीलांड्रिंग मामले में श्रीधर पाटणकर पर आरोप लगने के चलते उद्धव ठाकरे निशाने पर है. ईडी ने श्रीधर पाटणकर के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. मुंबई से सटे ठाणे में की गई इस कार्रवाई में नीलांबरी प्रोजेक्ट से जुड़े 11 फ्लैट सील किए गए हैं और 6.45 करोड़ की संपत्ति जब्त की है. श्रीधर पाटणकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पत्नी रश्मि ठाकरे के भाई हैं. यह कार्रवाई पुष्पक बुलियन कंपनी की हेराफेरी मामले में पीएमएलए एक्ट के तहत की गई है. इसमें हवाला कारोबारी और मथुरा निवासी चार्टर्ड अकाउंटेंट नंदकिशोर चतुर्वेदी को मास्टर माइंड बताया जा रहा है.
नंद किशोर चतुर्वेदी पर आरोप है कि वह पुष्पक बुलियन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के आर्थिक हेराफेरी में आरोपी महेश पटेल और चंद्रकांत पटेल का सहभागी है. इन दोनों पर मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ईडी ने 2017 में कार्रवाई की थी. चतुर्वेदी ने सेल कंपनी 'हमसफर डीलर प्राइवेट लिमिटेड' के जरिए श्रीधर पाटणकर की कंपनी श्री साईबाबा गृहनिर्मिति प्राइवेट लिमिटेड' को कर्ज के नाम पर 30 करोड़ दिए थे.
बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने आरोप लगाया है कि सीएम उद्धव ठाकरे की पत्नी रश्मि ठाकरे और बेटे आदित्य ठाकरे ने 2014 में कोमो स्टॉक एंड प्रापर्टीज नामक एक कंपनी बनाई थी. अब इस कंपनी का मालिक नंदकिशोर है. वही मुख्यमंत्री ठाकरे के साले के खाते में पैसे ट्रांसफर कर रहा है. इस पूरे मामले में शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि श्रीधर पाटणकर हमारे परिवार के सदस्य हैं. ईडी की यह कार्रवाई राजनीतिक दबाव और बदले की भावना से की गई है. सफाई देने का मौका दिए बिना सनसनी फैलाने के लिए की गई है.
संजय राउत ने कहा, 'केंद्रीय जांच एजेंसियों के माध्यम से हम आपको डन नहीं सकते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा सिर्फ महाराष्ट्र में ही नहीं हो रहा है बल्कि विपक्षी दलों की जहां भी सरकारें है वहां पर हो रहा है. बंगाल में ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी के साथ भी ऐसा ही किया जा रहा है. यह तानाशाही प्रवृत्ति को दर्शाता है. बाकी राज्यों में ईडी ने लगता है अपने कार्यालय बंद कर दिया है. बस गैर बीजेपी राज्यों में ही इस तरह की कार्रवाई की जा रही है. सबसे बड़ा घोटाला गुजरात का बैंक घोटाला है उसमें क्या कार्रवाई हुई?
कुबूल अहमद