महाराष्ट्र विधानसभा में नागपंचमी पर जीवित नागों की पूजा को दोबारा शुरू करने की मांग को लेकर बड़ा राजनीतिक समर्थन मिला है. बुधवार को बीजेपी विधायक सत्यजीत देशमुख ने इस मुद्दे पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत राज्य सरकार से विशेष अनुरोध किया कि सांगली जिले के बत्तीस शिराला शहर में यह पारंपरिक प्रथा फिर से शुरू की जाए.
देशमुख की मांग को विधानसभा में कई अन्य विधायकों का भी समर्थन मिला. इसके जवाब में राज्य के वन मंत्री गणेश नाईक ने कहा कि वे इस मुद्दे को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव के सामने रखेंगे और इस पर 7-8 जुलाई को बैठक भी तय की गई है.
नाईक ने कहा कि नागपंचमी पर जीवित नागों की पूजा स्थानीय लोगों की धार्मिक आस्था से जुड़ी है और सरकार इस पर नियमों के तहत फिर से विचार करेगी ताकि परंपरा भी बचे और सर्पों को नुकसान भी न हो.
पृष्ठभूमि और विवाद
बत्तीस शिराला शहर, श्रावण के महीने में मनाए जाने वाले नाग पंचमी पर जीवित सांपों की पूजा करने की अपनी पुरानी प्रथा के लिए जाना जाता है. 2002 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने बत्तीस शिराला में जीवित कोबरा नागों की झांकी और पूजा पर रोक लगा दी थी. यह आदेश वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत दिया गया था. पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने दलील दी थी कि इससे सांपों को नुकसान होता है.
विधायक देशमुख ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि नागपंचमी पर स्थानीय लोग सांपों को बिना नुकसान पहुंचाए पूजा करते हैं और बाद में उन्हें प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया जाता है. जल्लीकट्टू मामले का जिक्र करते हुए देशमुख ने कहा कि तमिलनाडु में प्रचलित पारंपरिक खेल को सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह फिर से मंजूरी दी उसी तरह नाग पूजा के लिए भी होना चाहिए.
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बीजेपी विधायक गोपीचंद पडलकर और एनसीपी (एसपी) के विधायक जयंत पाटिल ने भी इस मांग का समर्थन किया और कहा कि सरकार की रिपोर्टों में यह स्पष्ट किया गया है कि नागपंचमी के दौरान सर्पदंश से मृत्यु के आरोप निराधार हैं.
मुस्तफा शेख