बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को पुणे पुलिस से सख्त सवाल किए और पूछा कि क्या उन्होंने कुख्यात गैंगस्टर गजानन मर्ने उर्फ़ गज्या को 23 मामलों में मिली जमानत को कभी चुनौती दी है. अदालत ने साफ कहा कि अगर पुलिस ने जमानत आदेशों को चुनौती नहीं दी, तो जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम ए अंकल की पीठ गज्या के खिलाफ दर्ज एक केस को लेकर सुनवाई कर रही थी. यह मामला 19 फरवरी 2025 का है, जब पुणे के कोथरुड में एक आईटी इंजीनियर के साथ सड़क पर झगड़ा हुआ और उसके बाद कुछ लोगों ने उसे पीट दिया. इस मामले में गज्या को गिरफ्तार किया गया और पुणे पुलिस ने उस पर महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज़्ड क्राइम एक्ट (MCOCA) लगाया.
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गज्या के वकील सत्यव्रत जोशी ने कोर्ट में दलील दी कि यह घटना अचानक हुई थी और इसमें किसी तरह की साजिश या गैंगस्टर गतिविधि शामिल नहीं थी. शिकायतकर्ता ने भी अदालत में कहा कि मामला सिर्फ झगड़े से जुड़ा था.
हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब गज्या पर MCOCA लगाया गया हो. पहले भी अपहरण और हत्या के मामलों में उस पर यह कानून लगाया गया था. इतना ही नहीं, तलोजा जेल से रिहाई के दौरान कोविड नियमों का उल्लंघन करते हुए सैकड़ों लोगों ने उसका स्वागत किया था.
23 मामलों में मिली जमानत लेकिन चुनौती क्यों नहीं दी?
सुनवाई के दौरान अदालत ने पूछा कि 23 मामलों में गज्या को जमानत मिल चुकी है, लेकिन पुलिस ने उन आदेशों को क्यों नहीं चुनौती दी. अदालत ने पुणे पुलिस का पक्ष रख रहीं अतिरिक्त लोक अभियोजक गीता मुलेकर से पूछा, "अगर इतने मामलों में जमानत मिली और आपने चुनौती ही नहीं दी, तो हम कार्रवाई करेंगे. इसके लिए कोई न कोई प्रॉसिक्यूटिंग अथॉरिटी जिम्मेदार तो होगी."
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दो हफ्ते बाद होगी मामले की सुनवाई
गीता मुलेकर ने कहा कि अभियोजक हर मामले में रिपोर्ट भेजते हैं और जमानत को चुनौती देने की सिफारिश करते हैं. इस पर कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के कानून व न्याय विभाग के संयुक्त सचिव को आदेश दिया कि दो हफ्तों में हलफनामा दाखिल करें, जिसमें विस्तार से बताया जाए कि गज्या के खिलाफ कितने मामले दर्ज हैं, किन-किन मामलों में उसे जमानत मिली और क्या उन आदेशों को चुनौती दी गई या नहीं. अब मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी.
विद्या