मुंबई के कांदिवली की हीरनंदानी हाउसिंग सोसायटी में लोगों को दी गई वैक्सीन फर्जी है या सही इसका पता लगाने के लिए बीएमसी ने रविवार को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) को पत्र लिखा है और यहां के लोगों के वैक्सीनेशन के दौरान इस्तेमाल हुई वैक्सीन की शीशियों के बैच नंबर की जानकारी मांगी है.
बीएमसी के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि, हमने एसआईआई को एक ईमेल के जरिए वैक्सीन की शीशियों का बैच नंबर भेजा है जिससे कि पता लगाया जा सके कि कौन से अस्पताल ने मिलते जुलते बैच नंबर की वैक्सीन की शीशियां सप्लाई की.
यहां से जवाब मिलने के बाद जांच को आगे बढ़ाया जाएगा. बीएमसी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आरोपी को वैक्सीन की शीशियां कहां से मिलीं. शीशियों की सप्लाई चेन के बारे में उसके पीछे लिखे बैच नंबर के जरिए पता लगाया जा सकता है.
अधिकारी ने कहा कि अगर शीशियां किसी अस्पताल को दी गई थीं तो हम यह जांचेंगे कि क्या यही शीशियां उस अस्पताल द्वारा हीरनंदानी हाउसिंग सोसायटी में दी गई थीं. अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर पुलिस पता लगाएगी कि आरोपी को वैक्सीन की शीशियां कहां से मिलीं. कालाबाजारी की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है. अगर यह शीशियां राज्य के बाहर से आई हैं तो हम पता लगाएंगे कि यह राज्य के अंदर कैसे आईं?
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बीएमसी ने शनिवार को आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि इस वैक्सीनेशन अभियान में लीगल प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया. इस अभियान को अवैध और अनाधिकृत बताया करार दिया गया. इस मामले में अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. पुलिस ने कहा कि उन्होंने पाया है कि हीरानंदानी हेरिटेज सोसायटी के निवासियों को दी गई वैक्सीन की खुराक अधिकृत स्रोत से नहीं खरीदी गई थी.
कांदिवली (पश्चिम) में हीरानंदानी हेरिटेज क्लब के लगभग 390 निवासियों को 30 मई, 2021 को वैक्सीन लगाई गई थी. लाभार्थियों ने कुल 4,56,000 रुपये का भुगतान किया, जो प्रत्येक खुराक के लिए 1,260 रुपये था. हालांकि टीकाकरण करने वाली टीम के पास लैपटॉप नहीं थे और वैक्सीन लाभार्थियों को विभिन्न अस्पतालों के नाम से वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट मिले थे.
मुस्तफा शेख