सांसद नवनीत राणा और रवि राणा को बॉम्बे हाईकोर्ट से राहत, आरोप तय करने पर सुनवाई 21 फरवरी तक टली

नवनीत राणा और रवि राणा ने सत्र कोर्ट के जज द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें 2022 के हनुमान चालीसा प्रकरण के बाद मुंबई पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज किए गए मामले में उनके आरोपमुक्त करने के आवेदन को खारिज कर दिया गया था.

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नवनीत राणा और रवि राणा को बॉम्बे हाईकोर्ट से राहत मिली है नवनीत राणा और रवि राणा को बॉम्बे हाईकोर्ट से राहत मिली है

विद्या

  • मुंबई,
  • 19 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 3:14 AM IST

अमरावती की सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा को राहत देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को आरोप तय करने पर सुनवाई 21 फरवरी तक टालने का निर्देश दिया है. दरअसल, नवनीत राणा और रवि राणा ने सत्र कोर्ट के जज द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें 2022 के हनुमान चालीसा प्रकरण के बाद मुंबई पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज किए गए मामले में उनके आरोपमुक्त करने के आवेदन को खारिज कर दिया गया था.

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यह एफआईआर 2022 में एक सरकारी अधिकारी को अपना कर्तव्य निभाने से रोकने के लिए आईपीसी की धारा 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत दर्ज की गई थी. इसमें यह आरोप लगाया गया था कि राणा दंपती ने बांद्रा में तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के आवास के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने की की घोषणा की थी. इसके बाद पुलिसकर्मी उन्हें गिरफ्तार करने के लिए खार स्थित उनके आवास पर पहुंचे थे. उन्होंने कथित तौर पर पुलिसकर्मियों द्वारा गिरफ्तारी का विरोध किया था.

गुरुवार को, राणा दंपती की ओर से पेश वकील रिजवान मर्चेंट ने न्यायमूर्ति पीडी नाइक के समक्ष कहा कि खार पुलिस जब दोनों को गिरफ्तार करने आई थी तो कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी और इस प्रकार वे राणा आवास पर आधिकारिक कर्तव्य का निर्वहन नहीं कर रहे थे, इसलिए यह एक झूठा मामला है.

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मर्चेंट ने कहा कि एफआईआर 24 अप्रैल, 2022 को शाम 5.23 बजे दर्ज की गई थी, जबकि मुंबई पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने के लिए उससे पहले उनके आवास पर पहुंची थी. मर्चेंट ने इस बात पर जोर दिया कि जब कथित घटना हुई तो गिरफ्तारी का समय एफआईआर दर्ज होने के समय से काफी पहले था. मर्चेंट ने तर्क दिया कि गिरफ्तारी एफआईआर दर्ज होने से पहले 9 मिनट पहले हुई थी.

हालांकि, मुख्य लोक अभियोजक हितेन वेनेगांवकर और अतिरिक्त लोक अभियोजक योगेश दाबके ने तर्क दिया कि केस दर्ज करने में कोई खामी नहीं थी. उन्होंने बताया कि एफआईआर शाम 5.03 बजे दर्ज की गई थी और जिस प्रिंटर ने एफआईआर प्रिंट की थी, उसने प्रिंटिंग का समय 5.23 दिखाया था. इसमें शामिल तकनीकीताओं के कारण ये अलग-अलग थे.

इस पर कोर्ट ने कहा कि मामले की विस्तार से सुनवाई की जानी चाहिए और इसे 21 फरवरी, 2024 को सुनवाई के लिए पोस्ट किया जाता है. हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को राणा दंपती के खिलाफ आरोप तय करने पर सुनवाई तब तक के लिए स्थगित करने का निर्देश दिया. ट्रायल कोर्ट को शुक्रवार को दोनों के खिलाफ आरोप तय करने की प्रक्रिया शुरू करनी थी, जिससे दोनों के खिलाफ मुकदमे की शुरुआत होगी.

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