बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीजेपी MLC चित्रा वाघ की जनहित याचिका का किया निपटारा, जानें पूरा मामला

2021 में जब शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी महाराष्ट्र में सत्ता में थी, उस समय राठौड़ वन विभाग का नेतृत्व कर रहे थे. हालांकि, पुणे की एक आदिवासी महिला द्वारा कथित तौर पर आत्महत्या करने के मामले में उनका नाम सामने आने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.

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बॉम्बे हाईकोर्ट (File photo) बॉम्बे हाईकोर्ट (File photo)

विद्या

  • मुंबई,
  • 23 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 7:49 PM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को भाजपा एमएलसी चित्रा वाघ की जनहित याचिका का निपटारा कर दिया, जो 2021 में दायर की गई थी. ये याचिका उन्होंने तब दायर की थी जब उनकी पार्टी राज्य में विपक्ष में थी और उन्होंने महाराष्ट्र के मंत्री संजय राठौड़ से कथित तौर पर जुड़ी एक महिला की मौत के मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी.

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2021 में जब शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी महाराष्ट्र में सत्ता में थी, उस समय राठौड़ वन विभाग का नेतृत्व कर रहे थे. हालांकि, पुणे की एक आदिवासी महिला द्वारा कथित तौर पर आत्महत्या करने के मामले में उनका नाम सामने आने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.

राठौड़ जो अब एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में हैं, वाघ के रूप में ट्रेजरी बेंच में हैं.

मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने कहा कि वाघ द्वारा उठाई गई शिकायतें विचार के लिए बची नहीं हैं, क्योंकि मजिस्ट्रेट अदालत पहले ही मामले को बंद कर चुकी है. राज्य पुलिस ने मजिस्ट्रेट के समक्ष एक जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें निष्कर्ष निकाला गया था कि महिला की मौत या तो आत्महत्या के कारण हुई थी या दुर्घटनावश. पुणे पुलिस के एक अधिकारी ने भी उच्च न्यायालय के समक्ष एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि पुलिस ने घटना की जांच की थी और पाया था कि घटना के समय महिला शराब के नशे में थी और बालकनी से गिर गई थी, इसलिए यह घटना दुर्घटनावश हुई थी. 

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पुलिस ने अपने तर्कों के समर्थन में एक मेडिकल रिपोर्ट भी प्रस्तुत की. राज्य सरकार की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने गुरुवार को कहा कि पुलिस ने कानून के तहत अपेक्षित कार्रवाई की है और जनहित याचिका का निपटारा करने की मांग की. 

महिला के पिता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रणव बधेका ने कहा कि परिवार किसी के खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाना चाहता. याचिका राजनीतिक मकसद से दायर की गई थी, लेकिन परिवार अब बस मामले को खत्म करना चाहता है. 

पीठ ने कहा कि पुलिस द्वारा मजिस्ट्रेट के समक्ष क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने के बाद, कार्यकर्ता होने का दावा करने वाले दो लोगों ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 156 (3) (मजिस्ट्रेट द्वारा आदेशित जांच) के तहत दायर याचिकाओं के साथ मजिस्ट्रेट से संपर्क किया था. लेकिन मजिस्ट्रेट ने मामले को बंद कर दिया और याचिकाओं को खारिज कर दिया.

पीठ ने अंत में अपने आदेश में कहा, "प्रस्तुतियां, पुलिस रिपोर्ट और मजिस्ट्रेट के आदेशों के मद्देनजर, आगे कोई आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है और तदनुसार उनका निपटारा किया जाना चाहिए."

इससे पहले की सुनवाई के दौरान पीठ ने इस तरह की याचिका दायर करने और बाद में इसे वापस लेने का विकल्प चुनने के लिए वाघ की कड़ी आलोचना की थी.

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