बिना टिकट रेल यात्री की हादसे में मौत, HC ने खारिज की मुआवजे की मांग, जानिए पूरा मामला

बॉम्बे हाई कोर्ट ने रेल हादसे में मारे गए एक शख्स के परिवार के मुआवजे की मांग को खारिज कर दिया है. रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल का कहना था कि मृतक की लापरवाही की वजह से यह हादसा हुआ, इसलिए भी परिवार के मुआवजे की मांग सही नहीं है. हाई कोर्ट ने भी रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल के इस फैसले को सही ठहराया है.

Advertisement
Bombay High Court Bombay High Court

विद्या

  • मुंबई,
  • 05 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 4:50 PM IST

बॉम्बे हाई कोर्ट ने रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल (RCT) के उस आदेश को बरकरार रखा है, जिसमें रेल हादसे में मारे गए एक शख्स के परिवार की ओर से मुआवजे की मांग को खारिज कर दिया गया था. RCT ने फैसला दिया था कि मारे गए शख्स के पास कोई टिकट नहीं था. ऐसे में उसे प्रामाणिक यात्री नहीं माना जा सकता. इसके अलावा, एक रेलवे कर्मचारी ने हादसे के वक्त मृतक को शराब के नशे में हड़बड़ी में ट्रेन पर चढ़ने की कोशिश करते भी देखा था. रेलवे का कहना था कि मृतक की लापरवाही की वजह से यह हादसा हुआ, इसलिए भी परिवार के मुआवजे की मांग सही नहीं है. आरसीटी के इस फैसले के खिलाफ ही परिवार बॉम्बे हाई कोर्ट की शरण में पहुंचा था. 

Advertisement

कैसे हुआ था हादसा 

मारे गए शख्स का नाम दीपक ठाकरे है. नागपुर के रहने वाले दीपक ठाकरे की पत्नी और तीन नाबालिग बच्चों की ओर से कोर्ट में दख्वास्त लगाई गई थी. वहीं, अमरावती के रहने वाले मृतक के आश्रित बुजुर्ग माता-पिता भी कोर्ट पहुंचे थे. परिवार का कहना था कि दीपक गाड़ी संख्या 59395 बेतुल-छिंदवाड़ा पैसेंजर ट्रेन में वैध टिकट के साथ चंदूर से जुन्नारदेव की यात्रा कर रहा था. घरवालों के मुताबिक, ट्रेन जब हिर्दागढ़ रेलवे स्टेशन रुकी तो ठाकरे किसी काम से उतरे और जब ट्रेन अचानक से चलने लगी तो वो वापस सवार होने की कोशिश करने लगे. ऐसा करने के दौरान वह चलती ट्रेन से फिसल कर हिर्दागढ़ स्टेशन पर गिर गए और छिंदवाड़ा के अस्पताल में 26 फरवरी 2014 को उनकी मौत हो गई. 

Advertisement

क्या था परिवार का दावा 

परिवार का कहना कि इस अप्रिय घटना के लिए रेलवे को न केवल मुआवजा देना चाहिए, जिसमें हादसे की तारीख से ब्याज भी देय होना चाहिए. रेलवे ने दावे को खारिज करते हुए कहा था कि मृतक शख्स चेतावनी के बावजूद चलती ट्रेन में चढ़ने की कोशिश कर रहा था, जब वो गिर पड़ा. इससे यह प्रतीत होता है कि संबंधित व्यक्ति की लापरवाही की वजह से यह हादसा हुआ. ऐसे में इस हादसे के लिए मृतक खुद जिम्मेदार था. वहीं, परिवार का कहना था कि दीपक एक वैध टिकट के साथ चंदूर रेलवे स्टेशन से यात्रा कर रहे थे. दीपक की पत्नी ने अपने हलफनामे में पति द्वारा टिकट खरीदने का दावा किया था. इस आधार पर परिवार ने रेलवे पर जिम्मेदारी डालते हुए उसके उस बयान को खारिज किया जिसमें दीपक को रेल यात्री मानने से इनकार किया गया था. 

कोर्ट ने क्या कहा 

जस्टिस अभय आहूजा ने मृतक की पत्नी के हलफनामे को देखने के बाद कहा कि इसमें प्रासंगिक तथ्य नहीं है. जज ने कहा, ''हलफनामे में महिला के पति के साथ हुए हादसे के घटनाक्रम, उसके पोस्टमार्टम और पति की मौत के बाद उसे मिली जानकारियां का उल्लेख है. निश्चित तौर पर वह न तो घटना की चश्मदीद हैं और न ही उन्हें टिकट खरीदे जाने के किसी चश्मदीद की ओर से जानकारी मिली. महिला को बस इतना पता था कि उसके पति महादेव यात्रा पर गए हैं.'' इस वजह से अदालत इस नतीजे पर पहुंची कि दीपक की मौत भले ही रेल दुर्घटना में हुई हो लेकिन उनके पास कोई वैध टिकट नहीं था. 

Advertisement

नशे में था मृतक! 

परिवार ने दीपक की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की ओर इशारा किया था, जिसमें माना गया कि मृतक के शरीर में एल्कॉहल के अंश नहीं चले. हालांकि, जस्टिस आहूजा ने कहा, ''रेलवे की ओर से दी गई जानकारी में भी कहा गया है कि जुन्नारदेव रेलवे स्टेशन के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दीपक के शराब के नशे में होने के बारे में पता चलने और अगले दिन उसकी मौत होने के बीच पर्याप्त समयांतराल था. ऐसे में मैं रेलवे अधिकारियों के उस बयान से सहमत हूं कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इसके बारे में पता न चलना कोई हैरानी की बात नहीं.'' कोर्ट की बेंच ने यह भी कहा, 'मेडिकल रिपोर्ट में मिले सबूत इशारा करते हैं कि जुन्नारदेव के सरकारी अस्पताल में भर्ती घायल दीपक की सांसों में एल्कॉहल का प्रभाव के बारे में पता चला था. यह ऐसा सबूत है, जिस पर विश्वास किया जा सकता है.'

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement