अंडरवर्ल्ड से राजनीति में आए अरुण गवली के बेटे महेश गवली ने धोखाधड़ी और ठगी के एक मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए मुंबई सेशंस कोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल की है. यह मामला मुंबई के एनएम जोशी मार्ग पुलिस स्टेशन में दर्ज हुआ है.
पुलिस ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 (धोखाधड़ी) और धारा 34 (साझा मंशा) के साथ-साथ Banning of Unregulated Deposit Schemes Act की कुछ धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है. मामला लोअर परेल निवासी की शिकायत पर दर्ज किया गया था.
शिकायत के अनुसार, भक्ति और अक्षय कंदरकर नाम के दो आरोपियों ने शिकायतकर्ता से निवेश के नाम पर पैसा लिया था, लेकिन वापस नहीं किया. जांच के दौरान पुलिस को दोनों के बैंक खातों की जांच में पता चला कि उन्होंने महेश गवली से लोणावला स्थित एक जमीन खरीदने की डील की थी, जिसकी कीमत करीब ₹1.10 करोड़ आंकी गई थी. इसके एवज में ₹16 लाख की रकम गवली को दी गई थी और इस सौदे के लिए एक एमओयू (MoU) भी तैयार किया गया था.
पुलिस का दावा है कि महेश गवली ने यह जमीन कंदरकर को बेचने के बाद इसी संपत्ति को कई अन्य लोगों को भी बेच दिया, जिससे खरीदारों को भारी नुकसान हुआ. पुलिस ने गवली को समन भेजा था, लेकिन जवाब देने की बजाय उन्होंने अदालत में अग्रिम जमानत की अर्जी दायर कर दी.
इस जमानत याचिका का विरोध पुलिस के साथ-साथ शिकायतकर्ता के वकील मदन गुप्ता ने भी किया.
महेश गवली की ओर से कहा गया कि उनका मूल शिकायत से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है और उन्हें गिरफ्तारी की आशंका है. उन्होंने अदालत में यह भी कहा कि कंदरकर से हुए लेनदेन की रकम उनकी आयकर घोषणा (Tax Declaration) में पहले से दर्ज है.
मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई के दौरान समय की कमी के चलते अदालत में बहस पूरी नहीं हो सकी. इस पर पुलिस ने अदालत को आश्वस्त किया कि फिलहाल गवली के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी.
अब इस अग्रिम जमानत याचिका पर आगे की सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी.
गौरतलब है कि अरुण गवली उर्फ डैडी को 28 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी थी. वे शिवसेना पार्षद कमलाकर जमसांडेकर हत्याकांड (2007) में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे और 17 साल जेल में रहने के बाद हाल ही में नागपुर सेंट्रल जेल से रिहा हुए हैं.
विद्या