महाराष्ट्र: सरकारी ड्राइवर के रिटायरमेंट पर खुद 'ड्राइवर' बने जिला मजिस्ट्रेट

अकोला जिला मजिस्ट्रेट जी श्रीकांत के मुताबिक, वह चाहते थे कि सरकारी ड्राइवर को रिटायरमेंट के दिन कुछ स्पेशल फील कराया जाए. उन्हें बताया जाए कि उनके 30 साल की नौकरी का योगदान बहुत अहम था. उन्होंने बेहतरीन तरीके और प्रमाणिकता से ड्राइवर की नौकरी की.

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अकोला जिले का है मामला अकोला जिले का है मामला

अंजलि कर्मकार / पंकज खेळकर

  • मुंबई,
  • 05 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 1:47 PM IST

महाराष्ट्र के अकोला जिले के मजिस्ट्रेट ने उनके सरकारी गाड़ी के ड्राइवर को रिटायरमेंट के दिन अलग अंदाज में विदाई दी. शुक्रवार को 58 साल के दिगंबर की नौकरी का आखरी दिन था. रोजाना की तरह वह सरकारी गाड़ी में मजिस्ट्रेट का इंतजार कर रहे थे. उनके आने पर जैसे ही दिगंबर ने कार का दरवाजा खोला, तो मजिस्ट्रेट ने खुद पीछे बैठने के बजाय अपने ड्राइवर को बैठने के लिए कहा और खुद ड्राइव कर दफ्तर पहुंचे.

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अकोला जिला मजिस्ट्रेट जी श्रीकांत के मुताबिक, वह चाहते थे कि सरकारी ड्राइवर को रिटायरमेंट के दिन कुछ स्पेशल फील कराया जाए. उन्हें बताया जाए कि उनके 30 साल की नौकरी का योगदान बहुत अहम था. उन्होंने बेहतरीन तरीके और प्रमाणिकता से ड्राइवर की नौकरी की.

मजिस्ट्रेट के इस अंदाज से भावुक हुए दिगंबर ने कहा कि साहब की ओर से उन्हें इतना बड़ा सम्मान मिला. इससे उनकी जिंदगी सफल हो गई. 30 साल की सर्विस में वह कभी साहब की सीट पर नहीं बैठे थे, लेकिन रिटायरमेंट के दिन उन्हें ये मान मिला, जो उन्हें जिंदगी भर याद रहेगा.

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