MP Panchayat Chunav: न प्रचार, न होगी वोटिंग, 44 लाख में शख्स ने 'खरीदा' सरपंच का पद!

ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव हुआ तो उसमें पैसा बर्बाद होगा. चुनाव में लोग शराब आदि बांटने पर खर्च करते थे. इसलिए बोली लगाकर एक शख्स को निर्विरोध सरपंच चुनने का फैसला लिया गया. सभी ने तय किया है कि उसको निर्विरोध सरपंच निर्वाचित किया जाएगा. कोई भी उनके सामने चुनाव नहीं लड़ेगा. 

Advertisement
एमपी के भटौली गांव का मामला एमपी के भटौली गांव का मामला

हेमेंद्र शर्मा

  • नई दिल्ली ,
  • 16 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 4:45 PM IST
  • एमपी के भटौली गांव का मामला
  • सरपंच के लिए लगी 44 लाख रुपये की बोली
  • निर्विरोध सरपंच निर्वाचित किया जाएगा

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में चल रही पंचायत चुनाव (Panchayat Chunav) की प्रक्रिया के बीच एक अजीबोगरीब खबर सामने आई है. जहां भटौली गांव के रहने वाले लोगों ने चुनाव से पहले ही बोली लगाकर अपना सरपंच (Sarpanch) चुन लिया है. सरपंच पद के लिए बाकायदा 44 लाख रुपये की बोली लगाई गई है. 
 
दरअसल, प्रदेश के अशोक नगर जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर भटौली गांव के निवासियों ने मंगलवार को सरपंच के पद की नीलामी की. ग्रामीणों ने आपस में तय किया कि जो जितने पैसे खर्च करेगा उसे सर्वसम्मति से गांव का मुखिया यानी सरपंच बना लिया जाएगा. 

Advertisement

21 लाख से शुरू हुई बोली 44 लाख तक गई! 

सरपंच पद के लिए लगाई गई बोली 21 लाख रुपये से शुरू हुई थी, जो आखिर में 44 लाख रुपये पर जाकर रुकी. बोली लगाने वाले चार लोग मैदान में थे. सबसे अधिक 44 लाख रुपये बोली लगाने वाले सौभाग सिंह यादव निकले. बोली प्रक्रिया समाप्त होने के बाद ग्रामीणों ने उन्हें फूलों की माला पहनाई और सर्वसम्मति से निर्विरोध गांव का सरपंच बनाने का फैसला लिया. 

क्यों लगाई गई बोली? 

ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव हुआ तो उसमें पैसा बर्बाद होगा. चुनाव में लोग शराब आदि बांटने पर खर्च करते थे. इसलिए बोली लगाकर एक शख्स को निर्विरोध सरपंच चुनने का फैसला लिया गया. सभी ने तय किया है कि सौभाग सिंह को निर्विरोध सरपंच निर्वाचित किया जाएगा. कोई भी उनके सामने चुनाव नहीं लड़ेगा. 

Advertisement

बोली से एकत्र की गई राशि का उपयोग गांव के मंदिर के जीर्णोद्धार और अन्य विकास गतिविधियों में किया जाएगा. गांव के एक बुजुर्ग ने कहा, "अगर सौभाग राशि का भुगतान करने में विफल रहता है, तो अगले उच्चतम बोली लगाने वाले को मौका दिया जाएगा, लेकिन हम स्पष्ट हैं कि हम चुनाव पर पैसा बर्बाद नहीं करेंगे."

क्या होगा अगर सौभाग सिंह यादव चुनाव लड़ने के योग्य नहीं पाए गए? इस सवाल का ग्रामीण के पास कोई जवाब नहीं है. फिलहाल अब जिला प्रशासन ही नियत प्रक्रिया का पालन करेगा. मामले में एसडीएम चंदेरी प्रथम कौशिक ने कहा, “तहसीलदार बटौली ​​के लिए जो रिटर्निंग ऑफिसर हैं उन्हें जांच करने और रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया गया है.”

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement