झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य शिक्षक नियुक्ति मामले पर सुनवाई करते हुए एक अहम फैसला सुनाया है. न्यायाधीश डॉ एसएन पाठक की अदालत ने मंगलवार 23 नवंबर को कहा है कि विवाह के आधार पर आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता है. हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति मामले में आरती कुमारी के द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने यह आदेश दिया है और साथ ही याचिका को रद्द कर दिया है.
हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति मामले में आरती कुमारी को आरक्षण का लाभ नहीं दिए जाने के झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी. इसी याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को जानकारी दी गई कि परीक्षा में उत्तीर्ण होने और सक्षम पदाधिकारी के द्वारा दिए गए जाति प्रमाण पत्र देने के बावजूद भी अंतिम रूप से उनका चयन नहीं किया गया, यह गलत है. उनकी मांग थी कि कर्मचारी चयन आयोग के इस आदेश को रद्द कर उन्हें अंतिम रूप से चयनित करने का निर्देश दिया जाए.
कर्मचारी चयन आयोग की ओर से अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने जो जाति प्रमाण पत्र दिया था, वह उसके पति के नाम के साथ था. आयोग ने पिता के नाम से जाति प्रमाण पत्र मांगा था. इसके लिए प्रार्थी को आयोग की ओर से समय भी दिया गया. याचिकाकर्ता ने पिता के नाम से जाति प्रमाण पत्र पेश किया तो पता चला कि वह उत्तर प्रदेश की रहने वाली हैं. झारखंड में आरक्षण का लाभ मांग रही हैं. इसलिए उन्हें यह लाभ नहीं दिया जा सकता है.
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उनका विवाह झारखंड में हुआ है. वह जिस जाति से आती हैं, उसे उत्तर प्रदेश में भी आरक्षण का लाभ दिया जाता है. झारखंड में भी लाभ मिलता है इसलिए उन्हें यह लाभ दिया जाना चाहिए. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद यह माना कि विवाह के आधार पर आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता है. उम्मीदवार को पिता के नाम के साथ जाति प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना होगा.
सत्यजीत कुमार