झारखंड सरकार सेटेलाइट मैपिंग से ट्रैक करेगी अफीम की खेती

गौरतलब है कि जाड़े का मौसम अफीम की खेती के लिए काफी मुफीद माना जाता है. इस दौरान एक से दो महीने के भीतर अफीम में फल व फूल आने लगते हैं. ऐसे में जिन खेतों के फोटोग्राफ्स में अफीम की खेती नजर आएगी वहां पुलिसिया कार्रवाई की जाएगी.

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प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर

धरमबीर सिन्हा

  • रांची,
  • 24 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 7:03 PM IST

झारखंड सरकार ने राज्य में बढ़ती अफीम की अवैध खेती की समस्या से निपटने के लिए इसकी मॉनिटरिंग सेटेलाइट से कराने का फैसला लिया है. अपराध अनुसंधान विभाग ने इसके लिए कमर कस ली है. इसके तहत सफेद फूलों वाले खेत खास तौर पर चिन्हीत किए जाएंगे.

100 करोड़ से अधिक का है सालाना व्यापार

गौरतलब है कि जाड़े का मौसम अफीम की खेती के लिए काफी मुफीद माना जाता है. इस दौरान एक से दो महीने के भीतर अफीम में फल व फूल आने लगते हैं. ऐसे में जिन खेतों के फोटोग्राफ्स में अफीम की खेती नजर आएगी वहां पुलिसिया कार्रवाई की जाएगी. बताया जाता है की झारखण्ड में अफीम का सालाना अवैध व्यापार 100 करोड़ से अधिक का है.

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अफीम की खेती में नक्सलियों का भी हाथ  

झारखंड के नक्सल प्रभावित जिलों में शुमार खूंटी, गुमला, गिरिडीह, चतरा, रांची, सरायकेला, लोहरदगा, गुमला और सिमडेगा को खास तौर पर निगरानी में रखा गया है. बताया जाता है कि नोटबंदी के बाद बैकफुट पर आए नक्सलियों के लिए अब अफीम की खेती आय का आसान जरिया बन रहा है. दरअसल, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अफीम की जबरदस्त मांग है. इसकी वजह से इन बाजारों में अफीम ऊंची कीमतों पर बेची जाती है.

ग्रामीणों को प्रलोभन देकर होती है खेती

ऐसे में ग्रामीणों को डरा-धमकाकर या फिर ज्यादा पैसे का प्रलोभन देकर नक्सली आसानी से बड़ी कमाई करने की जुगत में लगे हैं. अफीम की खेती के लिए ऐसे स्थानों का चयन किया गया है जो आमजन और पुलिस की नजरों से काफी दूर और पहाड़ों और जंगलों से घिरे जगहों में होते हैं. ऐसे में इन स्थानों तक सुरक्षा बलों की पहुंच आसान नहीं होती.

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हजारों एकड़ में होती है खेती

झारखंड के दूरदराज के इलाकों में हर साल अफीम तैयार करने के लिए पोस्त की खेती की जाती है. बीते साल अकेले खूंटी जिले में 500 एकड़ में लगी पोस्त की फसल नष्ट की गयी थी. वहीं, चतरा, लातेहार, गढ़वा को मिलाकर बीते साल लगभग 5 हजार एकड़ इलाके में खेती की सूचना सुरक्षा एजेंसियों को मिली थी. लेकिन साल दर साल इसकी बढ़ती पैदावार को देखकर पुलिस प्रशासन भी हैरान है. ऐसे में इसकी सेटेलाइट ट्रैकिंग से सही लोकेशन मिल जाने पर इसके खिलाफ कार्रवाई में तेजी आएगी.

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