झारखंड में डोर-टू-डोर डिलीवरी देने का काम करने वाले गिग वर्कर्स के लिए खुशखबरी है. उनके कल्याण के लिए और न्यूनतम पारिश्रमिक समेत इंश्योरेंस और मेडिकल जैसे सुविधा के लिए सरकार ने विधानसभा में बिल पारित कर राजभवन भेजा था. अब उस बिल को मंजूरी मिल गई है.
राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने 18 दिसंबर को झारखंड विधानसभा की ओर से पारित 'झारखंड प्लेटफॉर्म आधारित गिग श्रमिक (निबंधन और कल्याण) विधेयक, 2025' पर अपनी स्वीकृति दे दी है. जाहिर है कि इससे उन गिग वर्कर्स की जिंदगी में बदलाव आने की उम्मीद है जो एक क्लिक पर हर जरूरी सामान हमारे घर तक पहुंचाते हैं.
कल्याण बोर्ड के गठन का रास्ता साफ
अब गिग श्रमिकों के लिए कल्याण बोर्ड के गठन का रास्ता साफ हो गया है. इस विधेयक के लागू होने से नियमों का उल्लंघन करने वाले एग्रीगेटर को 10 लाख रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है. बोर्ड का मुख्यालय रांची में होगा. श्रम विभाग के मंत्री इसके पदेन अध्यक्ष होंगे.
इसमें विभागीय सचिव के अलावा पांच अन्य सदस्य होंगे. बोर्ड के सदस्यों का कार्यकाल तीन साल का होगा. बोर्ड के जरिए गिग श्रमिकों का पंजीकरण सुनिश्चित होगा. सर्विस देने वाली कंपनियां या एग्रीगेटर्स का भी पंजीकरण होगा.
रजिस्ट्रेशन कराने पर सरकार से मिलेगी विशेष आईडी
राज्य सरकार से गिग वर्कर्स को रजिस्ट्रेशन कराने पर एक विशेष आईडी मिलेगी. ये कार्ड इस बात की गारंटी होगी कि उन्हें न्यूनतम पारिश्रमिक के हक पाने से कोई रोक नहीं सकेगा. इससे उन्हें व्यावसायिक रूप से सुरक्षित परिस्थितियों में काम करने का अधिकार मिलेगा. काम की शर्तों या अन्य पैरामीटर्स पर बोर्ड की सलाह ले सकेंगे. वर्कर को कम से कम साप्ताहिक आधार पर मुआवजा देना होगा. नियमों का उल्लंघन करने पर एग्रीगेटर्स पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.
सत्यजीत कुमार