झारखंड: झाड़-फूंक के चक्कर में 13 साल तक चारपाई पर सोया रहा गब्बर, अकड़ गया पूरा शरीर

मामला बंदगांव प्रखंड के लांडूपदा गांव का है. इस गांव में रहने वाला गब्बर सिंह दोराई आज से 13 साल पहले जब 19 साल का था तभी उसे चलने में दिक्कत होने लगी. उसके  कमर में दर्द होने लगा था. धीरे-धीरे गब्बर के शरीर ने कमर से लेकर नीचे तक काम करना बंद कर दिया. घर वालों को लगा कि गब्बर को किसी की नजर लग गयी. किसी ने उस पर जादू टोना कर उसके शरीर को अपंग कर दिया है.

Advertisement
गब्बर को अब अस्पताल लाया गया है गब्बर को अब अस्पताल लाया गया है

सत्यजीत कुमार

  • चाईबासा,
  • 20 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 1:14 AM IST
  • 13 साल तक झाड़-फूंक से करवाते रहे इलाज
  • सामजिक कार्यकर्ता की नजर पड़ी तो लाए अस्पताल
  • कमर से नीचे का पूरा शरीर अकड़ चुका है

झारखंड के कई  ग्रामीण इलाके आजादी के लगभग 8 दशक बाद भी अंधविश्वास के मकड़जाल और बेड़ियों से आजाद नहीं हो पाए हैं. इसका जीता जागता उदाहरण एक बार फिर चाईबासा जिले के बन्दगांव प्रखंड में दिखा, जहां एक जवान लड़के गब्बर के कमर से पैर तक समस्या हुई, तो अस्पताल ले जाने के बजाय पिता ने घर में ही झाड़ फूंक कर इलाज शुरू करवा दिया.

Advertisement

झारखंड में भोले भाले ग्रामीण झाड़ फूंक के चक्कर में अपनों की ही जान मुसीबत में डाल देते हैं. कुछ ऐसा ही मामला चक्रधरपुर अनुमंडल के बंदगांव प्रखंड में देखने को मिला है. जहां झाड़ फूंक द्वारा इलाज के चक्कर में एक युवक 13 साल तक चारपाई पर सोया रहा, नतीजा यह हुआ कि उसकी बीमारी तो ठीक नहीं हुई लेकिन उसका शरीर जरूर अकड़ गया.

मामला बंदगांव प्रखंड के लांडूपदा गांव का है. इस गांव में रहने वाला गब्बर सिंह दोराई आज से 13 साल पहले जब 19 साल का था तभी उसे चलने में दिक्कत होने लगी. उसके  कमर में दर्द होने लगा था. धीरे-धीरे गब्बर के शरीर ने कमर से लेकर नीचे तक काम करना बंद कर दिया. घर वालों को लगा कि गब्बर को किसी की नजर लग गयी. किसी ने उस पर जादू टोना कर उसके शरीर को अपंग कर दिया है.

Advertisement

गरीबी, अशिक्षा और अंधविश्वास के कारण गब्बर के घर वालों ने तंत्र-मन्त्र विद्या से झाड़-फूंक कर गांव में ही इलाज करने वाले ओझा गुनी को उसके बीमार बेटे को ठीक करने को कहा. ओझा गुनी ने गब्बर का इलाज शुरू कर दिया. लेकिन उसे चारपाई से उठने नहीं दिया. रोज यह सिलसिला चलता रहा. आज तकरीबन 13 साल हो गए, गब्बर चारपाई पर सोया रहा, लेकिन उसकी हालत नहीं सुधरी. नतीजा यह हुआ है कि उसका पूरा शरीर जकड़ गया है.

इसकी जानकारी जब सामाजिक कार्यकर्ता सदानंद होता को हुई तो उन्होंने चिकित्सीय जांच के लिए परिवार वालों को मनाया. जिसके बाद गब्बर को एम्बुलेंस से चक्रधरपुर अनुमंडल अस्पताल लाया गया. डॉक्टरों की मानें तो लगातार चारपाई पर पड़े रहने के कारण गब्बर को कई सारी अन्य बीमारियों ने भी घेर लिया है. फिलहाल उसकी मेडिकल जांच के लिए सैम्पल लिए जा रहे हैं और उसे खून व सलाइन चढ़ाया जा रहा है. जैसे ही उसके शरीर में ताकत आयेगी, उसे बेहतर इलाज के लिए बड़े अस्पताल में भेजा जायेगा. सामाजिक कार्यकर्ता सदानंद होता ने कहा कि गब्बर के इलाज में जहां तक हो सकता है वे उसकी मदद करेंगे.

गब्बर के पिता दुआ राई ने कहा, "बेटा के कमर से पैर तक का हिस्सा खराब हो गया था, इसलिए घर में ही जड़ी बूटी झाड़ फूंक करा रहे थे, घर में ही चारपाई में सोया रहता था, डॉक्टर के पास नहीं लेकर गए थे"

Advertisement

(चाईबासा से जय कुमार तांती के इनपुट के साथ)

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement