जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर राजनीतिक हालात उफान पर हैं. भारतीय जनता पार्टी ने महबूबा मुफ्ती सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया, इसी के साथ राज्य में राज्यपाल शासन लागू हो गया. कश्मीर में पीडीपी का साथ भारतीय जनता पार्टी के लिए लगातार गले की फांस बनता जा रहा था.
कश्मीर के हालातों को लेकर लगातार बीजेपी निशाने पर आ रही थी, ऐसे में बीजेपी के सामने इसके अलावा कोई चारा नहीं बचता था. जानिए आखिर ऐसी वो क्या मजबूरियां थी जिसकी वजह से बीजेपी को पीडीपी से अपना नाता तोड़ना पड़ा.
# सरकार बनने के बाद से ही पीडीपी ने अलगाववादियों और पत्थरबाजों की तरफ नरम रुख अपनाया, जिसने कई बार बीजेपी को बैकफुट पर धकेला.
# रमजान में पीडीपी के कारण ही सीजफायर लागू किया गया, लेकिन सीजफायर में हालात बद से बदतर हुए. महबूबा मुफ्ती सीजफायर को आगे बढ़ाना चाहती थीं लेकिन बीजेपी के लिए ये बिल्कुल संभव नहीं लग रहा था.
# महबूबा ने अपना अधिकतर फोकस घाटी पर ही रखा, ऐसे में जम्मू-लद्दाख के साथ लगातार भेदभाव हो रहा था. महबूबा अपना किला तो मजबूत कर रही थीं, लेकिन बीजेपी लगातार अपने इलाके में पिछड़ती जा रही थी.
# महबूबा मुफ्ती ने बीते तीन साल में सैकड़ों पत्थरबाजों को माफ किया, उन्होंने कई पत्थरबाजों से एफआईआर वापस भी ली. इससे उलट सेना के जवानों पर कई बार एफआईआर हुई जिससे देश में बीजेपी के लिए गलत मैसेज गया.
# कठुआ कांड के बाद जब सरकार पर सवाल उठे तो बीजेपी कोटे के मंत्रियों को सरकार छोड़कर जाना पड़ा.
# महबूबा चाहती थीं कि कश्मीर में शांति के लिए पाकिस्तान और अलगाववादियों से बातचीत हो. लेकिन बीजेपी ऐसा संदेश नहीं देना चाहती थी कि वह अलगाववादियों के आगे झुक रही है.
# 2019 लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर ये संदेश देना चाहती है कि वह अभी भी आतंकवादियों के खिलाफ सख्त है. इसके लिए पीडीपी का साथ छोड़ना जरूरी था.
आपको बता दें कि मंगलवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर बीजेपी नेताओं के साथ बैठक की थी, जिसके बाद बीजेपी ने अपना समर्थन वापस लेने का ऐलान किया था.
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किसने क्या कहा?
मंगलवार को बीजेपी नेता राममाधव ने पीडीपी से समर्थन वापस लेने का ऐलान करते हुए कहा कि पिछले कुछ दिनों से कश्मीर में स्थिति काफी बिगड़ी है, जिसके कारण हमें ये फैसला लेना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में प्रधानमंत्री, अमित शाह, राज्य नेतृत्व सभी से बात की है. सरकार गिरने के बाद बीजेपी ने जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाए जाने की मांग की थी.
'हमारा एजेंडा पूरा हुआ'
मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में डर की नीति नहीं चलेगी. उन्होंने कहा कि दोनों पार्टियां अलग-अलग विचारधारा को मानती हैं, लेकिन फिर भी सत्ता के लिए नहीं बल्कि बड़े विजन को साथ लेकर हमने BJP के साथ गठबंधन किया था.
महबूबा ने कहा कि सरकार के जरिये वह कश्मीर में अपना एजेंडा लागू करवाने में सफल रही हैं. महबूबा का कहना है कि कश्मीर के लोगों से बातचीत होनी चाहिए, पाकिस्तान से बातचीत होनी चाहिए, ये उनकी हमेशा से कोशिश रही है.
मोहित ग्रोवर