जम्मू-कश्मीर के दक्षिण श्रीनगर इलाके में एक जबरदस्त ब्लास्ट हुआ है. धमाका इतना जबरदस्त था कि आसपास के घरों के शीशे टूट गए और इसकी आवाज कई किलोमीटर दूर तक सुनी गई. इस ब्लास्ट में अभी तक 7 लोगों के मारे जाने की सूचना है जबकि 30 लोग घायल बताए जा रहे हैं. मौत का आंकड़ा बढ़ने की संभावना है.
रिपोर्ट्स के अनुसार, रात करीब 11:22 बजे बड़ा धमाका नौगाम पुलिस स्टेशन में हुआ है. धमाके के बाद इलाके और गाड़ियों में भीषण आग लग गई और पुलिस स्टेशन को भारी नुकसान पहुंचा है. घायलों में अधिकतकर पुलिसकर्मी बताए जा रहे हैं.
यह पुलिस थाना उस "व्हाइट-कॉलर" टेरर मॉड्यूल मामले से संबंधित था, जिसकी जांच चल रही है. जम्मू-कश्मीर पुलिस ने फरीदाबाद में गिरफ्तार किए गए आरोपी डॉ. मुज़्ज़मिल गनाई के किराए के घर से कई कुंतल विस्फोटक जब्त किया था. डॉ. गनाई उन आठ लोगों में शामिल हैं, जिन्हें इस अंतर-राज्यीय टेरर मॉड्यूल मामले में अब तक गिरफ्तार किया गया है.
दो एंगल पर टिकी जांच
नौगाम पुलिस स्टेशन में हुए भीषण धमाके को लेकर सूत्र दो संभावित एंगलों की पुष्टि कर रहे हैं, जिनकी जांच की जा रही है. पहला है लापरवाही का एंगल. कहा जा रहा है कि मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में 350 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट को सील और सुरक्षित किया जा रहा था, और इसी दौरान लापरवाही (mishandling) के कारण उसमें विस्फोट हो गया.
आतंकी साजिश का एंगल: पुलिस स्टेशन के परिसर में खड़ी एक कार, जिसे किसी अवैध गतिविधि के कारण जब्त किया गया था, उसमें IED (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) लगाया गया था. IED के विस्फोट के कारण अमोनियम नाइट्रेट में भी ब्लास्ट हो गया। (PAFF और जैश से जुड़े शैडो ग्रुप पहले ही इसकी जिम्मेदारी लेने का दावा कर चुके हैं).
जम्मू-कश्मीर पुलिस स्टेशन में हुए इस विस्फोट में अब तक 7 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है और 30 लोग घायल हुए हैं. हताहतों की संख्या बढ़ने की आशंका है क्योंकि कई घायल गंभीर स्थिति में हैं. इसके अतिरिक्त, मलबे को हटाने और तलाशी के दौरान कुछ लापता लोगों के शव मिलने की आशंका है. विस्फोट स्थल से 300 फीट दूर तक मानव अंग बरामद हुए हैं, जो धमाके की तीव्रता को दर्शाते हैं.
सुरक्षा बल खोजी कुत्तों के साथ जम्मू-कश्मीर के नौगाम पुलिस स्टेशन परिसर के पास हुए विस्फोट की जांच के लिए पहुंचे हैं. श्रीनगर के उपायुक्त अक्षय लाबरू ने ब्लास्ट में घायल हुए पीड़ितों से अस्पताल जाकर मुलाकात की.
यहां दर्ज हुई थी 'व्हाइट कॉलर' टेरर मॉड्यूल मामले की FIR
नौगाम पुलिस स्टेशन में ही 19 अक्टूबर को 'व्हाइट कॉलर' टेरर मॉड्यूल मामले की FIR दर्ज की गई थी. हालांकि, यह तत्काल स्पष्ट नहीं हो पाया है कि क्या विस्फोटक की पूरी 360 किलोग्राम खेप पुलिस स्टेशन में ही रखी गई थी या नहीं.
धमाके की सूचना मिलते ही कई एंबुलेंस और दमकल विभाग की गाड़ियां तेज़ी से घटनास्थल पर पहुंच गई हैं. पुलिस स्टेशन के भीतर और आसपास बड़े नुकसान की सूचना है, और इस घटना में कुछ लोगों के हताहत (casualties) होने की भी आशंका जताई जा रही है.
नौगाम पुलिस स्टेशन सुरक्षा की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि इसी पुलिस स्टेशन में इंटर-स्टेट टेरर मॉड्यूल मामले की पहली FIR दर्ज की गई थी, जिसकी जांच वर्तमान में चल रही है. ऐसे में, इस धमाके को जांच से जुड़े किसी बदले की कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है.फिलहाल, इलाके की घेराबंदी कर दी गई है और बचाव तथा राहत कार्य जारी है.
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कैसे हुआ ‘व्हाइट कॉलर’ मॉड्यूल का भंडाफोड़
यह मॉड्यूल भंडाफोड़ तब हुआ था जब अक्टूबर में बुनपोरा, नवगाम की दीवारों पर पुलिस और सुरक्षा बलों को धमकी देने वाले पोस्टर मिले. 19 अक्टूबर को केस दर्ज हुआ और एक विशेष टीम बनाई गई. सीसीटीवी फुटेज की फ्रेम-बाय-फ्रेम जांच ने पहले तीन आरोपियों-आरिफ निसार डार उर्फ साहिल, यासिर-उल-अशरफ और मकसूद अहमद डार उर्फ शाहिद की पहचान कराई. तीनों पर पहले से पथराव के केस दर्ज थे.
इनकी गिरफ्तारी से आगे मौलवी इरफान अहमद (पूर्व पैरामेडिक, अब इमाम) तक पहुंच हुई, जिस पर डॉक्टरों को कट्टरपंथी बनाने का आरोप है. इसके बाद पुलिस की जांच हरियाणा के अल-फलाह यूनिवर्सिटी, फरीदाबाद तक पहुंची, जहां से डॉक्टर मुज़म्मिल गनई और डॉक्टर शाहीन सईद गिरफ्तार किए गए और बड़ी मात्रा में केमिकल्स-अमोनियम नाइट्रेट, पोटेशियम नाइट्रेट और सल्फरजब्त किए गए.
जांचकर्ताओं का मानना है कि पूरा मॉड्यूल डॉक्टरों के एक मुख्य समूह द्वारा चलाया जा रहा था जिसमें मुज़्ज़मिल गनई (गिरफ्तार), उमर नबी (दिल्ली में कार विस्फोट का ड्राइवर) और मुज़फ्फर राठर (फरार) शामिल हैं. डॉ. मुज़फ्फर राठर का भाई डॉ. अदील राठर की भूमिका अभी भी जांच के दायरे में है, जिसके पास से एक AK-56 राइफल भी जब्त की गई थी.
मीर फरीद