'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में पाकिस्तान की ओर से की गई ताबड़तोड़ गोलाबारी ने सीमावर्ती गांवों में दहशत और तबाही मचा दी है. इस हमले में 60 साल के मजदूर चुन्नी लाल का घर पूरी तरह नष्ट हो गया, जिससे उनके 8 सदस्यों का परिवार बेघर हो गया. उधर, करियान गांव में नवविवाहित जोड़े अपने घरों के पास हुई गोलाबारी से दहशत में हैं.
चुन्नी लाल ने बताया कि गोलाबारी शुरू होने से कुछ सेकंड पहले ही वे अपने परिवार के साथ घर से निकल पाए. घर में तैयार भोजन भी मलबे में दब गया और परिवार भूखा-प्यासा आश्रय की तलाश में भटकने को मजबूर है.
पाकिस्तानी सेना की इस कार्रवाई ने राजौरी और पुंछ जिलों में काफी नुकसान पहुंचाया है. गोलीबारी के बाद दर्जनों घर क्षतिग्रस्त हो गए और कई नागरिक घायल हुए.
स्थानीय प्रशासन ने प्रभावित परिवारों के लिए आपातकालीन आश्रयों की व्यवस्था शुरू की है. पुंछ और राजौरी में शैक्षणिक संस्थानों को अस्थायी आश्रय शिविरों में तब्दील किया गया है, जहां भोजन, आवास और चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं.
नवविवाहित जोड़ों में डर का माहौल
राजौरी के करियान गांव में नवविवाहित जोड़े दलीप-श्रुति अपने घरों के पास हुई गोलाबारी से दहशत में हैं. जोड़ों ने बताया कि उन्होंने अपने घरों के ऊपर संदिग्ध ड्रोन मंडराते देखे, जिन्हें भारतीय डिफेंस सिस्टम ने तुरंत नष्ट कर दिया. इस घटना ने क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा दिया है. स्थानीय निवासियों ने बताया कि गोलाबारी रात 1 बजे शुरू हुई और सुबह तक जारी रही, जिससे कई घर मलबे में तब्दील हो गए.
प्रशासन का राहत कार्य
जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने स्थिति का जायजा लेने के लिए राजौरी के सरकारी मेडिकल कॉलेज का दौरा किया और आपातकालीन व्यवस्थाओं की समीक्षा की. उन्होंने प्रभावित परिवारों को तत्काल राहत और पुनर्वास का आश्वासन दिया. प्रशासन ने घायलों के लिए चिकित्सा सुविधाएं बढ़ाई हैं और सीमावर्ती गांवों से नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा रहा है.
बेघर लोगों की पीड़ा
चुन्नी लाल जैसे कई परिवार अपनी जिंदगी दोबारा शुरू करने की जद्दोजहद में हैं. स्थानीय निवासियों ने पाकिस्तान की इस बर्बर कार्रवाई की निंदा की है. सीमा पर रहने वाले लोग लगातार डर और अनिश्चितता के साए में जी रहे हैं, और उनकी एकमात्र इच्छा अपने घरों में सुरक्षित वापसी है.
कमलजीत संधू