पहलगाम में आतंकी नरसंहार, पाकिस्तान की गोलाबारी और भीषण बाढ़ ने कश्मीर के लिए यह साल बेहद मुश्किल बना दिया. जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा लौटाने की उम्मीदों को साल के दौरान दो बड़े झटके लगे, जिनमें पहलगाम आतंकी हमला और दिल्ली में कार बम धमाका शामिल है. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार ने अपने पहले छह महीनों में राज्य का दर्जा बहाल कराने की कोशिशें कीं, लेकिन 22 अप्रैल को पहलगाम की बैसरन घाटी में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले ने इस पूरी प्रक्रिया पर विराम लगा दिया. इस हमले में 26 लोगों की मौत हुई, जिनमें 25 पर्यटक और एक स्थानीय घोड़ा चालक शामिल था.
हमले से बचे लोगों ने आरोप लगाया कि आतंकियों ने गैर मुस्लिम होने की पुष्टि के बाद लोगों को निशाना बनाया, जिससे पूरे देश में सांप्रदायिक तनाव की लहर दौड़ गई. इस हमले की घाटी में व्यापक निंदा हुई. 7 मई को भारतीय सुरक्षा बलों ने इस हमले का बदला लेने के लिए सीमा पार कार्रवाई की, जिसके बाद पाकिस्तान की ओर से गोलाबारी शुरू हुई. पुंछ, राजौरी, कुपवाड़ा और बारामूला में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ. इस गोलाबारी में 20 लोगों की जान गई और तीन दर्जन स्कूलों समेत 2 हजार से ज्यादा इमारतें तबाह हो गईं.
आतंकी हमले के बाद आई भीषण बाढ़
28 जुलाई को सरकार ने बताया कि 22 अप्रैल के हमले के दोषियों को हरवान के दाचीगाम जंगल क्षेत्र में ऑपरेशन महादेव के तहत मार गिराया गया. इसी बीच 14 अगस्त को किश्तवाड़ में बादल फटने से 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. अचानक आई बाढ़ ने जम्मू और कश्मीर दोनों क्षेत्रों में फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया. तवी नदी में उफान आने से जम्मू को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ और जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग का बड़ा हिस्सा बह गया, जिससे कई हफ्तों तक कश्मीर का देश से सड़क संपर्क टूट गया.
नवंबर के पहले हफ्ते में पढ़े लिखे लोगों की ओर से युवाओं को आतंकवाद की ओर धकेलने वाले व्हाइट कॉलर आतंकी नेटवर्क का खुलासा भी बड़ा झटका साबित हुआ. छापेमारी में कई डॉक्टर गिरफ्तार किए गए. फरीदाबाद में एक कश्मीरी डॉक्टर के किराए के कमरे से भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद हुआ, जबकि अनंतनाग के एक मेडिकल कॉलेज हॉस्टल से हथियार और आपत्तिजनक सामग्री मिली.
घाटी से जुड़े दिल्ली ब्लास्ट के तार
10 नवंबर को इस मामले के एक आरोपी डॉक्टर उमर नबी ने दिल्ली में एक कार धमाके में खुद को उड़ा लिया. जांच एजेंसियों के मुताबिक धमाका उस वक्त हुआ जब वह विस्फोटक को दूसरी जगह ले जा रहा था. इस धमाके में 10 लोगों की मौत हुई और कई घायल हुए. फरीदाबाद से बरामद 2900 किलो विस्फोटक को जांच के लिए श्रीनगर लाया गया था, लेकिन 14 नवंबर को वही विस्फोटक पुलिस थाने में फट गया, जिसमें 9 लोगों की जान चली गई.
हिंसा और प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहे जम्मू-कश्मीर को आर्थिक संकट का भी सामना करना पड़ा. सबसे ज्यादा असर पर्यटन पर पड़ा. साल के शुरुआती चार महीनों में घाटी पर्यटकों से भरी रही, लेकिन 22 अप्रैल के हमले और उसके बाद भारत-पाक तनाव के कारण पर्यटक आना लगभग बंद हो गया. सुरक्षा कारणों से करीब 50 पर्यटन स्थलों को बंद करने के फैसले ने हालात और खराब कर दिए. हालांकि बाद में ज्यादातर स्थल खोल दिए गए, लेकिन पर्यटन अब भी पटरी पर नहीं लौट सका है.
वंदे भारत ट्रेन ने मिली कुछ राहत
बागवानी क्षेत्र को भी नुकसान हुआ, क्योंकि सेब की तुड़ाई के मौसम में राष्ट्रीय राजमार्ग बंद हो गया. हालांकि रेलवे मंत्रालय के समय पर हस्तक्षेप से सेब को ट्रेन के जरिए बाजारों तक पहुंचाया गया और नुकसान कम रहा. कश्मीर को देश से जोड़ने वाली वंदे भारत ट्रेन की शुरुआत ने इस मुश्किल साल में कुछ राहत जरूर दी है. इससे यात्रा का समय और खर्च दोनों कम हुए हैं और इसी ट्रेन के जरिए आम लोगों के लिए खाद्यान्न और सुरक्षा बलों के लिए भारी उपकरण भी पहुंचाए गए हैं.
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