Pahalgam Attack Update: 'जंगल से निकला और पिता पर गोली चला दी...', महिला ने बताई पहलगाम हमले की आंखो देखी

pahalgam attack news latest update: कोच्चि की अराथी मेनन ने कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के दौरान अपने पिता को अपनी आंखों के सामने खो दिया. अपने बच्चों और मां को बचाते हुए उन्होंने अद्भुत साहस दिखाया. अजनबियों की मदद से वह सुरक्षित लौटीं. पिता की मौत की सच्चाई मां से छिपाकर उन्होंने परिवार को संभाला. यह उनकी पहली और दर्दनाक कश्मीर यात्रा थी.

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पहलगाम में हमले वाली जगह के आस पास सुरक्षा जवान पहलगाम में हमले वाली जगह के आस पास सुरक्षा जवान

aajtak.in

  • कोच्चि,
  • 24 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 5:51 PM IST

pahalgam attack news: कश्मीर की खूबसूरत वादियों में बसे पहलगाम के बैसरन मैदान में छुट्टियां मनाने गईं कोच्चि की अराथी आर मेनन के लिए वह दिन कभी न भूलने वाला बन गया, जब उनके सामने ही उनके पिता की आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी. अपने पिता एन रामचंद्रन को अपनी आंखों के सामने गोली मारे जाने के तीन दिन बाद मेनन घर वापस आ गई हैं, अभी भी घाटी के सबसे शांत कोनों में से एक में हुई इस घटना से जूझ रही हैं. कांपती आवाज में वह याद करते हुए कहती हैं, 'पहले तो हमें लगा कि यह आतिशबाजी है.' 'लेकिन अगली गोली चलने पर मुझे पता चल गया... यह आतंकी हमला था.'

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'मेरे पिता हमारे बगल में गिर पड़े'
मेनन, उनके 65 वर्षीय पिता और उनके छह वर्षीय जुड़वां बेटे बैसरन में एक बाड़े से घिरे घास के मैदान से गुजर रहे थे, तभी यह घटना घटी. उनकी मां शीला कार में ही बैठी रहीं. शांत परिवार की सैर कुछ ही सेकंड में बिखर गई. उन्होंने कहा, 'हम भागने के लिए बाड़ के नीचे रेंगने लगे. सभी अलग-अलग दिशाओं में बिखर गए. जब ​​हम आगे बढ़ रहे थे, तभी एक आदमी जंगल से निकला. उसने सीधे हमारी तरफ देखा.' अजनबी ने कुछ ऐसे शब्द बोले जो हम समझ नहीं पाए. 'हमने जवाब दिया, हमें नहीं पता. अगले ही पल, उसने गोली चला दी. मेरे पिता हमारे बगल में गिर पड़े.' 'मैंने दो लोगों को देखा, लेकिन उन्होंने किसी सैनिक की वर्दी नहीं पहनी थी.'  

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'मैंने बच्चों को पकड़ लिया और जंगल में भाग गई'
महिला ने बताया, 'मेरे बेटे चिल्लाने लगे, और वह आदमी चला गया. मुझे पता था कि मेरे पिता चले गए हैं. मैंने लड़कों को पकड़ लिया और जंगल में भाग गई, मुझे नहीं पता था कि मैं कहां जा रही हूं.' महिला ने जंगल में भटकने की एक घंटे की कहानी बताई. जब फोन का सिग्नल आया तो उसने अपने ड्राइवर मुसाफिर को फोन किया. महिला ने कहा कि 'टट्टू भी भागने लगे थे, और मैं बस उनके पैरों के निशानों का पीछा करती रही.'

लोकल लोगों ने की मदद
लेकिन इस भयावहता के बीच, मेनन को उन अजनबियों से भी सहानुभूति मिली, जिन्होंने उनके साथ परिवार जैसा व्यवहार किया. उन्होंने कहा, 'मेरा ड्राइवर मुसाफिर और दूसरा आदमी, समीर मेरे भाई बन गए. वे हर समय मेरे साथ खड़े रहे, मुझे शवगृह ले गए, औपचारिकताओं में मदद की. मैं वहां 3 बजे तक इंतजार करती रही.' 

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परिवार को फोन पर नहीं बताई सच्चाई
जब मैं श्रीनगर से निकली, तो मैंने उनसे एक बात कही, 'मेरे दो भाई अब कश्मीर में हैं. अल्लाह आप दोनों की रक्षा करे.' इस घटना के बाद भी मेनन ने अपने परिवार वालों से सच्चाई को छुपाकर रखा. उन्होंने अपनी मां को इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी.
मेनन ने कहा, 'मुझे मज़बूत होने का दिखावा करना पड़ा.' मैं टूट नहीं सकती थी क्योंकि मुझे अपनी मां और अपने बच्चों को संभालना था.' 

मां को बताया कि पिता घायल हो गए हैं
उन्होंने अपनी मां को बताया कि पिता घायल हो गए हैं और उनका इलाज चल रहा है, ताकि उसे तत्काल सदमे से बचाया जा सके. दिखावा बनाए रखने के लिए, उन्होंने पत्रकारों के कॉल का जवाब देने से खुद को रोका और अपने होटल के कमरे में टेलीविजन बंद रखा. मेनन ने बुधवार शाम को कोच्चि पहुंचने के बाद ही सच्चाई बताई.' 

दुबई में काम करने वाली मेनन फिलहाल कुछ समय के लिए भारत में हैं. उन्होंने कश्मीर में अपने परिवार के साथ छुट्टियां मनाने की योजना बनाई थी. वे 21 अप्रैल की शाम को घाटी पहुंचे.

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