कबाड़ से करोड़ों कमा रहा कश्मीर का ये शख्स, कई लोगों को दी जॉब, संघर्ष भरी कहानी

जम्मू कश्मीर के कुलगाम के गडिहामा गांव के रहने वाले तारिक अहमद गनी ने कबाड़ से पैसे कमाने की मिसाल पेश की है. बिना औपचारिक शिक्षा के उन्होंने स्क्रैप से करोड़ों का कारोबार खड़ा किया. यह पहल न केवल पर्यावरण बचा रही है बल्कि 50 से ज्यादा युवाओं को रोजगार भी दे रही है, जिससे आर्थिक और सामाजिक दोनों स्तर पर बदलाव आ रहा है.

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इस काम में कई पोस्ट-ग्रेजुएट और ग्रेजुएट भी शामिल हैं. (Photo: Screengrab) इस काम में कई पोस्ट-ग्रेजुएट और ग्रेजुएट भी शामिल हैं. (Photo: Screengrab)

aajtak.in

  • श्रीनगर,
  • 09 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:29 PM IST

दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के गडिहामा गांव के तारिक अहमद गनी आज पूरे इलाके के लिए प्रेरणा बन गए हैं. उन्होंने कबाड़ को सोने में बदलकर यह साबित कर दिया कि मेहनत और सोच से हर असंभव काम संभव हो सकता है. बिना किसी औपचारिक शिक्षा के तारिक ने स्क्रैप का कारोबार शुरू किया और आज उनका सालाना टर्नओवर करोड़ों रुपये में पहुंच चुका है.

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पर्यावरण संरक्षण की अनोखी पहल
तारिक का यह कदम सिर्फ आर्थिक लाभ तक सीमित नहीं है, बल्कि पर्यावरण की रक्षा में भी बड़ी भूमिका निभा रहा है. वे प्लास्टिक और अन्य कचरे को इकट्ठा करके उसे रिसाइकल करते हैं और एक बार फिर उपयोग में लाते हैं. इस तरह उनका यह कारोबार घाटी में बढ़ते कचरे और प्रदूषण की समस्या का हल निकालने में अहम योगदान दे रहा है.

50 युवाओं को मिला रोजगार
तारिक अहमद का उद्यम सिर्फ उनकी जिंदगी नहीं बदल रहा, बल्कि इलाके के दर्जनों युवाओं के लिए भी उम्मीद की किरण बन गया है. उनकी यूनिट में 50 से ज्यादा युवा काम कर रहे हैं, जिनमें कई पोस्ट-ग्रेजुएट और ग्रेजुएट भी शामिल हैं. इससे न सिर्फ युवाओं को रोजगार मिला है बल्कि वे पर्यावरण संरक्षण में भी अपनी भूमिका निभा पा रहे हैं.

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शिक्षा नहीं, सोच और मेहनत से मिली कामयाबी
तारिक की सफलता इस बात का उदाहरण है कि औपचारिक शिक्षा के बिना भी सही सोच, मेहनत और लगन से बड़ी उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं. उन्होंने अपने अनुभव और दूरदर्शिता से न सिर्फ कारोबार खड़ा किया बल्कि उसे लगातार आगे बढ़ाते हुए लोगों को भी इससे जोड़ा.

समाज के लिए बने प्रेरणा
आज तारिक अहमद गनी का नाम कश्मीर के उन गिने-चुने उद्यमियों में शुमार है, जिन्होंने सामाजिक और पर्यावरणीय बदलाव की राह दिखाई है. उनका यह प्रयास अन्य युवाओं को भी यह संदेश देता है कि कचरे में भी सुनहरे अवसर छिपे हो सकते हैं.

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इनपुट- उमैसर गुल

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