लोकसभा चुनाव 2019 में जबरदस्त जीत के बाद भाजपा ने अगस्त 2019 में ही सबसे बड़ा कदम उठाया था. 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370, 35A हटा दी गई. साथ ही लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग किया गया और जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया.
तब से लेकर अबतक केंद्र की ओर से राज्य के राजनीतिक दलों के साथ बातचीत का कोई प्रयास नहीं किया गया था. अब जब 370 को हटे दो साल पूरे होने को हैं, तब एक बार फिर बातचीत के सिलसिले को आगे बढ़ाया जा रहा है और हर तबके को बुलाया गया है.
लंबे वक्त तक नज़रबंद रहे थे मीटिंग में शामिल होने वाले नेता
जब केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला लिया था, उससे कुछ दिन पहले ही जम्मू-कश्मीर में हलचल शुरू हो गई थी. आर्मी को तैनात किया गया था, अमरनाथ यात्रा को रद्द कर दिया गया था. जम्मू-कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को नज़रबंद कर दिया गया था.
फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला तीनों ही लंबे वक्त तक नज़रबंद रहे थे. अब तीनों ही इस मीटिंग में शामिल होने के लिए दिल्ली में हैं.
क्लिक करें: क्यों अहम है J-K को लेकर पीएम मोदी की मीटिंग, क्या उम्मीदें? 10 प्वाइंट में समझें
कौन कितने वक्त तक रहा था नज़रबंद?
बता दें कि महबूबा मुफ्ती को सबसे लंबे वक्त यानी करीब 14 महीने के लिए नज़रबंद किया गया था, अगस्त 2019 में नज़रबंदी के बाद अक्टूबर 2020 में महबूबा को रिहा किया गया था. महबूबा मुफ्ती की रिहाई के लिए उनकी बेटी ने सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाज़ा खटखटाया था.
महबूबा मुफ्ती के अलावा पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला को भी करीब 6 महीने तक नज़रबंद रखा गया था. फारूक की नज़रबंदी का मामला कई बार संसद में उठा था, लेकिन सरकार ने लंबे वक्त तक उन्हें बाहर नहीं आने दिया था.
फारूक अब्दुल्ला के बेटे और राज्य के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला को कुल 232 दिन के बाद नज़रबंदी से छोड़ा गया था. उमर अब्दुल्ला पर तब PSA के तहत लोगों को उकसाने का आरोप लगाया गया था.
इसी तरह पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन को करीब एक साल के बाद नज़रबंदी से रिहा किया गया था, सज्जाद लोन ने तब कहा था कि बाहर आकर दुनिया काफी बदल गई है. इन नेताओं के अलावा लेफ्ट नेता यूसुफ तारिगामी को भी लंबे वक्त तक नज़रबंद किया गया था. सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद उन्हें रिहा किया गया था.
खास बात है कि ये सभी नेता ही आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ होने वाली मीटिंग में शामिल होंगे. इन सभी नेताओं ने नज़रबंदी से बाहर आने के बाद अपना एक नया संगठन बनाया था, गुपकार ग्रुप के नाम से बने इस संगठन में जम्मू-कश्मीर की करीब आधा दर्जन पार्टियां साथ आई थीं. इनके अलावा कांग्रेस, भाजपा और अन्य कुछ दलों के नेता भी इस मीटिंग में हिस्सा लेंगे.
aajtak.in