'10 लाशें हमने खुद निकाली', जो भाग गए, वो बच गए', जो नया घर बनाया था वो नाले के साथ बह गया, बच्चे बेघर हो गए...आंखों से बहता आंसू और मलबों में अपनों और सपनों को ढूंढते ये वो लोग हैं जिन्होंने जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में बादल फटने के बाद मौत के मंजर को अपनी नजरों के सामने देखा.
गुरुवार दोपहर को करीब 12:25 बजे हुई इस प्राकृतिक त्रासदी में अब तक 46 लोगों की जान जाने की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें दो CISF जवान भी शामिल हैं. वहीं 69 लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं, जिनको लेकर उनके परिजनों और बच्चों में किसी अनहोनी को लेकर बेचैनी है.
त्रासदी की पूरी कहानी चश्मदीदों की जुबानी
ऐसे में इस त्रासदी को लेकर चश्मदीदों ने जो बताया वो जानकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. एक महिला ने कहा, 'मैं घर पर थी, मैं दौड़कर भागी, जो भाग गए वो बच गए, मेरी जेठानी ने मुझे किचन से बाहर निकाला, उसे बहुत चोट लगी है, हमारा पुराना घर सुरक्षित है लेकिन जो नया बनाया था वो नाले के साथ बह गया.
एक पीड़िता अनु की मां ने बताया, 'हम कुछ खा रहे थे, तभी अचानक कुछ लोग चिल्लाए भागो भागो, फिर समझ नहीं आया कि किस तरफ भागें, नाले की तरफ या किसी और तरफ, हम पूरे परिवार के साथ गए थे, मेरे साथ मेरी बहन, भाभी और उनका परिवार भी था, वो सुरक्षित हैं. मेरा बेटा थोड़ा नीचे चला गया और फिर कूड़े में फंस गया, उसे बाहर निकलने में आधा घंटा लग गया, बादल जब फटा उस वक्त वहां सैकड़ों लोग थे, दुकानें थीं, लोग अभी भी मलबे में फंसे हुए हैं. मेरा बच्चा अब ठीक है, उसे मदद के लिए लाया गया है.'
'10 डेड बॉडी हमने निकाली'
वहीं पुंछ से किश्तवाड़ काम करने आए एक चश्मदीद और पेशे से मिस्त्री सलाहुल हसन ने बताया कि 12:30 बजे के वक्त बादल थोड़ा-थोड़ा बढ़ रहा था, तभी अचानक बहुत जोर से आवाज आई और मलबा, मिट्टी, पेड़ बहकर आए. हम जिस ब्रिज पर स्लैब डालने के लिए आए थे, उसे तोड़ते हुए मलबा गांव की तरफ चला गया.
सलाहुल हसन ने आगे बताया, 'मंदिर के पास लंगर लगा हुआ था, वहां काफी भीड़ थी, कई दुकानें थीं, उन सबको मलबा अपने साथ बहाकर ले गया. कई यात्री भी थे, वो सब मलबे की चपेट में आ गए, जो टूटा हुआ मकान दिख रहा है उसके नीचे से 10 डेड बॉडी हमने निकाली और अभी भी कई मलबे के नीचे दबे हुए हैं. नाले के पास करीब 100-150 आदमी थे, सब सैलाब में बह गए. हमने लोगों को आवाज लगाई लेकिन उन्हें सुनाई नहीं दिया.'
गुरुवार को फटा था बादल
बता दें कि गुरुवार को बादल फटने की इस खतरनाक घटना में 16 रिहायशी मकान, सरकारी इमारतें, तीन मंदिर, चार पानी की चक्कियां और करीब 30 मीटर लंबा पुल बहकर खत्म हो गया. दर्जनभर से ज्यादा वाहन बाढ़ की तेज धार में बहकर मलबे में तब्दील हो गए. पानी की रफ्तार ने एक अस्थायी बाजार, लंगर स्थल और सुरक्षा चौकी को भी पूरी तरह तबाह कर दिया.
अब तक रेस्क्यू टीम ने 167 घायलों को सुरक्षित बाहर निकाला है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो इस त्रासदी की भयावह तस्वीर दिखा रहे हैं. मलबे और गाद से भरी बाढ़ ने पूरे गांव को समतल कर दिया, मकान पत्तों की तरह ढह गए और सड़कें बड़े-बड़े पत्थरों से बंद हो गई हैं.
मीर फरीद / सुनील जी भट्ट