DPAP के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद का बड़ा फैसला, JK में पार्टी की सभी ईकाइयां की भंग

डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (DPAP) के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने सभी पार्टी ईकाइयों को भंग करने का निर्णय लिया है. इसका लक्ष्य पार्टी को अधिक पारदर्शी बनाना और जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं की भागीदारी बढ़ाना है. यह कदम युवाओं, महिलाओं और सभी वर्गों को नेतृत्व में स्थान देगा.

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डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद (फाइल फोटो - पीटीआई) डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद (फाइल फोटो - पीटीआई)

सुनील जी भट्ट

  • श्रीनगर,
  • 14 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 4:35 PM IST

डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (DPAP) के अध्यक्ष गुलाब नबी आजाद ने पार्टी की सभी ईकाइयों को भंग कर दिया, जिसमें प्रांतीय, क्षेत्रीय, जिला और ब्लॉक स्तरीय समितियां भी शामिल हैं. पार्टी के ईकाइयों को भंग करने के निर्णय को दूरदर्शी और साहसिक कदम बताया गया. यह कदम युवाओं, महिलाओं और सभी वर्गों को नेतृत्व में स्थान देगा. 

DPAP पार्टी की सभी ईकाइयों क्यों की गई भंग? 

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DPAP पार्टी के अनुसार, यह फैसला इसलिए लिया गया है ताकि संगठन को सशक्त और पारदर्शी बनाया जाए. साथ ही जन-समस्याओं के अनुरूप बनाने की दिशा में काम किया जा सके. 

DPAP का विजन

गुलाब नबी आजाद ने इसे निर्णायक कदम बताया, जिससे संगठन में युवाओं, महिलाओं, जमीनी कार्यकर्ताओं की भूमिका और समाज के सभी वर्गों को बढ़ाने का मौका मिलेगा. पुनर्गठन जनता की आकांक्षाओं के अनुसार नए विचार को प्रेरित करेगा. 

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DPAP ने क्या बयान दिया?

DPAP ने कहा कि पार्टी का मिशन - जम्मू और कश्मीर के आवाज को राष्ट्रीय मंच तक लेकर जाना है और इस कदम से संगठन के पुनर्गठन में मदद मिलेगी. 

DPAP की कार्यकर्ताओं से अपील

DPAP ने कार्यकर्ताओं से अपील किया कि वह इस निर्णय का एकता से समर्थन करें और संयम बरतें. एक नए, मजबूत DPAP की नींव में सक्रिय होकर योगदान दें.

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डेमोक्रेटिक प्रगतिशील आजाद पार्टी का इतिहास

डेमोक्रेटिक प्रगतिशील आजाद पार्टी का गठन 26 सितंबर 2022 को गुलाम नबी आजाद के द्वारा किया गया था. पार्टी का मुख्य एजेंडा जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्ज बहाल करवाना है. 2024 में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली थी. पार्टी के गठन के बाद गुलाम को राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत कांग्रेस के कई नेताओं का आलोचना मिली थी.

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