पहलगाम में दहशतगर्दों ने हिंदुस्तान को लहूलुहान कर दिया है. पहलगाम की बैसरन घाटी में जिस वक्त हमला हुआ, टूरिस्ट बेखौफ होकर मस्ती कर रहे थे लेकिन अचानक आतंकी आए, धर्म पूछकर टूरिस्टों को निशाना बनाना शुरू कर दिया. इसमें 15 राज्यों के 28 लोगों की मौत हो गई.
इस हमले में टूरिस्टों के लहू से सिर्फ पहलगाम की जमीन ही लाल नहीं हुई है, ये जख्म पूरे हिंदुस्तान को मिला है. इस नरसंहार की वारदात में अथाह दर्द और दहशत से जुड़ी दर्जनों कहानियां हैं. इस हमले से लोगों में गुस्सा है. कश्मीर में इतना गुस्सा है कि पूरी घाटी बंद है और लोग विरोध में सड़कों पर आ गए हैं.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पहलगाम में हमले वाली जगह पर निरीक्षण करने पहुंचे, जहां उन्होंने ग्राउंड जीरो से हालातों और एक्शन प्लान का जायजा लिया उन्होंने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और उन्हें ढांढस बंधाया.
अमित शाह ने कहा- "पहलगाम के आतंकी हमले में अपनों को खोने का दर्द हर भारतीय को है. इस दुःख को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता. मैं अपने इन सभी परिवारों और पूरे देश को विश्वास दिलाता हूं कि बेगुनाह मासूम लोगों को मारने वाले इन आतंकियों को बिल्कुल बख्शा नहीं जाएगा."
अमित शाह श्रीनगर भी गए, जहां उन्होंने पहलगाम हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी. वह अस्पताल में भर्ती घायलों से भी मिले. उनके दिल्ली लौटने के बाद CCS की बैठक होगी. वहीं, कश्मीर में हमले के बाद सबकुछ बंद है और लोग सड़कों पर उतरे हुए हैं.
पहलगाम में आतंकवादियों ने जो हरकत की है, उसका खामियाजा जम्मू कश्मीर को ही सबसे ज्यादा उठाना पड़ेगा. इस आतंकवादी हमले से कश्मीर का पर्यटन ठप पड़ने की आशंका है क्योंकि आतंकवादियों ने गोली मारते वक्त पहलगाम में रोजी रोटी कमाने वाले स्थानीय युवक की जान भी ले ली है.
अनंतनाग के रहने वाले सैयद आदिल हुसैन शाह की आतंकवादियों ने हत्या कर दी है. आदिल के घर कोहराम मचा हुआ है. उसके घर में कमाने वाले इकलौते आदिल का साया सिर से उठ गया है. घर के लोग ऐसे दहशतगर्दों को जल्द से जल्द पक़डकर सजा देने की मांग कर रहे हैं.
हरियाणा के करनाल में भुसली गांव के रहने वाले विनय के घर में भी मातम पसरा हुआ है. पहलगाम में आतंकवादियों ने इन्हें गोलियों से भून दिया है. 16 अप्रैल को शादी और 19 अप्रैल के रिसेप्शन के बाद विनय और हिमांशी जम्मू कश्मीर पहुंचे ही थे कि पहलगाम में दहशतगर्दों ने विनय की हत्या कर दी.
विनय नरवाल के दादा बताते हैं कि 3 साल पहले नेवी में बहाल हुए विनय नरवाल इन दिनों कोच्चि में तैनात थे.अब विनय के परिवार के सामने सांत्वना दिलासा और भरोसा के अलावा कुछ नहीं बचा. इन्हें उम्मीद बस यही है कि भारत सरकार आतंकवाद के इस नासूर को हमेशा के लिए खत्म करेगी.
22 अप्रैल को पहलगाम में जो दहशत का मंजर था, उसे बयां करना मुश्किल है. चारों तरफ से आतंकवादियों की गोलियां और बीच में फंसे सैलानियों में कई लोग ऐसे थे जो आंखों के सामने अपनों की जान जाते देख रहे थे. उन्हीं में से एक थे शुभम द्विवेदी. 12 फरवरी को ही शुभम की शादी हुई थी. शुभम के घरवाले बताते हैं कि दहशतगर्दों ने शुभम को कलमा पढ़ने को कहा था, नहीं पढ़ पाने पर गोली मार दी थी.
चचरे भाई ने बताया कि भाई और भाभी मैगी खा रहे थे कि तभी इतने में वर्दी में दो लोग उनके पास आए और पूछा क्या तुम मुसलमान हो, अगर हो तो कलमा पढ़ कर सुनाओ. संतोषजनक जवाब न देने पर उन्हें गोली मार दी. आंखों के सामने पति की जान जाता देख पत्नी बदहवास होकर चीखें मारने लगी.
कानपुर में शुभम के घर भी अब मातम पसरा है. शादी के सिर्फ 2 महीनों के अंदर नौजवान की मौत से पूरे परिवार पर पहाड़ टूट पड़ा है. घरवालों का कहना है कि परिवार के कम से कम 10 लोग पहलगाम में मौजूद हैं, जिनके शाम तक वापसी की उम्मीद है. शुभम के पार्थिव शरीर को भी उनके पैतृक गांव हाथीगांव ले जाया जाएगा.