कोरोना महामारी ने कई लोगों से उनकी जिंदगी छीनी है तो कई लोगों से उनकी नौकरी. अब तक कोरोना मरीजों के इलाज के लिए कोई दवाई नहीं बनी है. ऐसे में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए एक मात्र रास्ता बचा है, वो है जल्दी से जल्दी, ज्यादा से ज्यादा लोगों का वैक्सीनेशन करना. इसके जरिए लोगों में तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण पर ब्रेक लगाया जा सकता है. हालांकि मौजूदा दौर में कई राज्यों में पर्याप्त वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. बड़े बड़े शहरों में कोरोना का टीका लगवाने के लिए स्लॉट तक नहीं मिल रहे हैं.
वैसे तो वैक्सीनेशन कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकता है. लेकिन एक वर्ग ऐसा भी है जिसके लिए वैक्सीनेशन अब रोजगार का संकट खड़ा कर रहा है. मर्चेंट नेवी में फ्रंट लाइन के तौर पर काम करने वाले सी फेरर यानी कि नाविक. आम तौर पर फ्रंटलाइन कोरोना वॉरियर्स को वैक्सीनेशन में प्राथमिकता दी गई है. लेकिन इन्हें अब तक नजरअंदाज किया गया है. नेशनल शिपिंग बोर्ड का आरोप है कि उनलोगों को वैक्सीनेशन में प्राथमिकता नहीं दी गई है. इस वजह से सैकड़ों लोगों की नौकरियां जा चुकी है और हजारों लोगों की नौकरी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.
नेशनल शिपिंग बोर्ड के सदस्य संजय पराशर ने दावा किया है कि देश भर में 4 लाख सी फेरर हैं. यह सभी युद्ध के समय नेवी के साथ सैनिक की भूमिका भी निभाते हैं. इन सभी को देश के 12 बंदरगाहों पर ही वैक्सीनेशन के लिए कहा गया है. जहां वैक्सीन का समय भी तय नहीं किया गया है. इस कारण सैकड़ों लोग नौकरियां गवां चुके हैं. जबकि हज़ारों और लोगों की भी नौकरी जा सकती है.
उन्होंने इन सभी को प्राथमिकता के आधार पर देश के किसी भी राज्य में जहां के निवासी हो, उन्हें वहीं वैक्सीन दी जाने की अपील की है. ताकि उनकी नौकरियों पर कोई संकट न आए. संजय ने ऐसा होने से भारत सरकार द्वारा नौकरियां सृजन करने की दिशा में सही कदम होने का दावा किया है.
दरअसल उनका तर्क है कि मर्चेंट नेवी में काम करने वाले सी फेरर यानी कि नाविक को छह महीने से एक साल तक जहाज पर ही समय बिताना होता है. अभी उन्हीं लोगों को वापस बुलाया जा रहा है जिन्होंने कोरोना का दोनों टीका लगवा लिया है. लेकिन भारत में टीकाकरण की स्लो रफ्तार होने से उन लोगों को वैक्सीन नहीं मिल रहा है. ऐसे में अगर सी फेरर को भी फ्रंटलाइन कोरोना वॉरियर्स मानते हुए वैक्सीनेशन में प्राथमिकता दी जाए तो उन्हें जल्दी वैक्सीन मिल सकती है और ये लोग जल्दी ही अपनी नौकरी में वापसी कर सकते हैं.
(संदीप खडवाल की रिपोर्ट)
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