हरियाणा की बीजेपी सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'वोकल फॉर लोकल' कैंपेन को अमलीजामा पहनाने के चक्कर में राज्य की 20 हजार आशा वर्कर्स की नाराजगी मोल ले ली है. दरअसल, सरकार ने इन आशा वर्कर्स के कामकाज को आसान बनाने के लिए तीन साल पहले एंड्राइड फोन देने का वादा किया था, लेकिन जब फोन खरीदने की बारी आई तो 'वोकल फॉर लोकल ' नारा आड़े आ गया.
जैसे ही फाइल स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के पास पहुंची तो उन्होंने 'वोकल फॉर लोकल' की हिमायत करते हुए विदेशी कंपनियों से की जा रही खरीद पर रोक लगा दी और अधिकारियों से देश में ही बने मोबाइल फोन खरीदने के निर्देश दे दिए.
नतीजतन जो खरीद तीन साल से लटकी थी, वो फिर लटक गई. कोरोना वायरस और लॉकडाउन के दौरान अपनी अनदेखी और सुविधाएं न मिलने से पहले से ही सरकार से नाराज हजारों आशा वर्कर्स सड़क पर आ गईं. वे पिछले बीस दिनों से हड़ताल पर हैं. उनका आरोप है की सरकार ने उनको 4G सिमकार्ड तो थमा दिए, लेकिन उनका इस्तेमाल करने के लिए मोबाइल मुहैया नहीं कराया.
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बुधवार को आशा वर्कर्स ने सैकड़ों की संख्या में पंचकुला पहुंचकर सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया और नारेबाजी की. आरोप है की सरकार की लापरवाही के चलते कई आशा वर्कर्स कोरोना से संक्रमित हो चुकी हैं और एक के पति की जान तक जा चुकी है, लेकिन सरकार से मदद मिलना तो दूर उलटे उनके वेतन पर कैंची चला दी गई.
हरियाणा आशा वर्कर संघ की महासचिव सुरेखा ने कहा कि सरकार ने हजारों आशा वर्कर्स की जान जोखिम में डाल दी है. कोरोना के मद्देनजर हमें कोई सुरक्षा किट मुहैया नहीं कराई गई है. साथ ही वेतन में भी कटौती की जा रही है. इधर, आशा वर्कर्स ने सरकार को चेतावनी दी है कि जब तक उनको मोबाइल और वेतन नहीं मिलेगा तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा.
मनजीत सहगल