किसान बिल पर दुष्यंत चौटाला की JJP में फूट, 2 विधायक किसानों के साथ प्रोटेस्ट में उतरे, इस्तीफे की धमकी

बरवाला विधानसभा सीट से जेजेपी विधायक जोगी राम सिहाग और शाबाबाद के विधायक राम करन काला ने कृषि विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया.

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दुष्यंत चौटाला दुष्यंत चौटाला

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 21 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 9:46 AM IST
  • कृषि बिल के खिलाफ दुष्यंत चौटाला के 2 विधायक
  • हरियाणा में बीजेपी की गठबंधन पार्टी है जेजेपी
  • जेजेपी के 2 विधायक किसान रैली में हुए शामिल

हरियाणा की जननायक पार्टी (जेजेपी) में कृषि बिल को लेकर फूट पड़ गई है. रविवार को जेजेपी के दो विधायकों ने कृषि बिल के खिलाफ आयोजित विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया. जेजेपी हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी की गठबंधन सरकार में शामिल है. इसके बावजूद दोनों विधायकों ने पार्टी स्टैंड के खिलाफ जाते हुए कृषि बिल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया.

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बरवाला विधानसभा सीट से जेजेपी विधायक जोगी राम सिहाग और शाबाबाद के विधायक राम करन काला ने कृषि विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया. हरियाणा के डिप्टी सीएम और जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला ने कांग्रेस पर किसानों को भरमाने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि कृषि बिल में कहीं भी न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म करने की बात नहीं कही गई है. दुष्यंत चौटाला के आश्वासन के बावजूद उनके दो विधायकों ने कृषि विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन में हिस्सा लिया. इससे कृषि बिल के मुद्दे पर जेजेपी में मतभेद के संकेत मिलते हैं.

भारतीय किसान संघ ने अन्य किसान संगठनों के साथ मिलकर कृषि बिल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित किया. रविवार को सिहाग और काला ने हिसार और शाहाबाद में विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया. जेजेपी का वोट बैंक ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा है. इसे देखते हुए बरवाला के विधायक सिहाग ने कहा है कि उन्हें जब भी लगेगा कि किसानों के हितों के साथ समझौता किया जा रहा है, वे अपने पद से इस्तीफा देने से भी नहीं हिचकेंगे. कृषि बिल के बारे में सिहाग ने कहा कि इससे देश के किसान बड़े बड़े कॉरपोरेट के हाथों गिरवी रख दिए जाएंगे.

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सिहाग की तरह शाबाबाद के जेजेपी विधायक काला ने भी विरोध प्रदर्शन में अपनी मौजूदगी को जायज बताया. उनका कहना है कि किसानों की बात हर हाल में सुनी जानी चाहिए. दूसरी ओर उनकी पार्टी के दुष्यंत चौटाला ने कहा है कि नए कृषि बिल में एमएसपी को खत्म करने की बात कहीं नहीं कही गई है. उन्होंने कहा, किसानों को जिस दिन से उनकी फसल का एमएसपी मिलना बंद हो जाएगा, उस दिन वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगे. दुष्यंत चौटाला उस परिवार से आते हैं जिसकी राजनीति किसानों पर आधारित रही है. बता दें, रविवार को भारी हंगामे के बीच कृषि सुधार से जुड़े दो बिल राज्यसभा से पारित हो गए. केंद्र सरकार ने इन दोनों बिल को ऐतिहासिक बताया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद दोनों बिल की तारीफ कर चुके हैं. हालांकि विपक्षी दलों का इसके खिलाफ विरोध जारी है.(PTI)

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