फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में जम्मू-कश्मीर और उत्तर प्रदेश से आए चार डॉक्टर कैसे बिना किसी जांच-पड़ताल और बिना अनुमति के नौकरी करने लगे? आजतक की जांच में चौंकाने वाली लापरवाही सामने आई है, जिसने सुरक्षा एजेंसियों को भी हिला दिया है. आतंकियों की घातक साजिश में शामिल यह चारों डॉक्टर न सिर्फ हरियाणा में वर्षों तक काम करते रहे, बल्कि किसी भी राज्य की मेडिकल अथॉरिटी को इसकी जानकारी तक नहीं थी.
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के नियमानुसार, किसी भी डॉक्टर को एक राज्य से दूसरे राज्य में नौकरी करने या मेडिकल प्रैक्टिस शुरू करने से पहले संबंधित राज्य की मेडिकल काउंसिल में पुनः पंजीकरण कराना अनिवार्य है. इसके साथ ही पुराने राज्य की मेडिकल काउंसिल से NOC यानी नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेना भी जरूरी होता है. लेकिन जांच में पाया गया कि जम्मू-कश्मीर और यूपी में पंजीकृत इन चारों डॉक्टरों ने हरियाणा आने से पहले न तो NOC ली और न ही हरियाणा स्टेट मेडिकल काउंसिल में रजिस्ट्रेशन कराया.
चारों डॉक्टरों की पहचान और उनकी भूमिका
जांच में शामिल चारों डॉक्टर अल-फलाह यूनिवर्सिटी में शिक्षण या शोध गतिविधियों के नाम पर काम कर रहे थे.
- डॉ. मुजम्मिल शकील (गनई) फिजियोलॉजी विभाग में पढ़ा रहा था और J&K मेडिकल काउंसिल से NOC लिए बिना हरियाणा पहुंचा.
- डॉ. आदिल अहमद राथर, अक्टूबर 2024 तक GMC अनंतनाग में सीनियर रेजिडेंट था और हाल में हरियाणा आए, लेकिन किसी भी मेडिकल अथॉरिटी को इसकी जानकारी नहीं दी.
- डॉ. शाहीन सईद, यूपी में पंजीकरण के बाद 2021 में अल-फलाह यूनिवर्सिटी में फैकल्टी बनी, लेकिन उसने भी यूपी से NOC नहीं ली.
- डॉ. मुजफ्फर अहमद, काजीगुंड के निवासी, बिना किसी औपचारिक अनुमति के हरियाणा में काम करता रहा.
ये चारों डॉक्टर बिना वैधानिक प्रक्रिया पूरी किए हरियाणा में वर्षों तक सक्रिय रहे और इसी दौरान वे आतंकी साजिश को अंजाम देने की तैयारी में लगे थे.
रासायनिक पदार्थों की खरीद पर भी घोर लापरवाही
जांच में यह भी सामने आया है कि इन डॉक्टरों ने खतरनाक रसायनों की खरीद की थी. मेडिकल कॉलेजों में रसायनों की खरीद के लिए NMC ने स्पष्ट नियम बनाए हैं, जिनके तहत किसी भी रसायन का रिकॉर्ड, अनुमति और उपयोग का विवरण अनिवार्य होता है. अधिकारियों के अनुसार, इस मामले में इन नियमों का खुला उल्लंघन हुआ है और यह कानून का गंभीर हनन है. सुरक्षा एजेंसियां अब यह पता लगा रही हैं कि रसायनों की खरीद को किसने अधिकृत किया और इसे कैसे अनदेखा किया गया.
NMC का कड़ा रुख
NMC अधिकारियों ने आजतक को बताया कि वे डॉक्टरों के इंटर-स्टेट रजिस्ट्रेशन को और मजबूत करने पर काम कर रहे हैं. आयोग मेडिकल कॉलेजों को नई एडवाइजरी जारी करेगा ताकि संस्थानों में केवल शैक्षणिक गतिविधियां ही हों और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की गुंजाइश न बचे.
ऐसे में चार डॉक्टरों का बिना पृष्ठभूमि जांच और बिना राज्यीय अनुमति के नौकरी करना यह दर्शाता है कि डॉक्टरों की आवाजाही, सत्यापन और रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया बेहद ढीली है. यह गंभीर चूक न सिर्फ शैक्षणिक व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन सकती थी.
मिलन शर्मा