पेट्रोल-डीजल और घरेलू एलपीजी गैस की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी ने देश के आम लोगों को परेशान कर रखा है. देश में अभी भी जिन्हें एलपीजी गैस नहीं मिलती है, सरकार उन्हें केरोसीन उपलब्ध कराती है. लेकिन जब आप गुजरात में केरोसीन के दाम सुनेंगे तो हैरान रह जाएंगे.
गुजरात के छोटा उदयपुर में फिलहाल एक लीटर केरोसीन की कीमत 99.19 रुपये तक पहुंच चुकी है. आप यह सुनकर चौंक गए होंगे, लेकिन ये बिल्कुल सच है. केरोसीन भी अब पेट्रोल डीजल के दाम तक पहुंच चुका है और शतक लगाने के करीब है.
गुजरात का छोटा उदयपुर हो या फिर दक्षिण गुजरात के ग्रामीण इलाके, यहां जंगली इलाकों में जो गरीब लोग रहते हैं उन्होंने एलपीजी का कनेक्शन नहीं लिया है. उनको प्रति माह 5 लीटर केरोसीन राशन की दुकान के जरिए दिया जाता है. लेकिन केरोसीन के दाम भी पिछले दिनों पेट्रोल और डीजल की तरह करीब 100 रुपये तक पहुंच चुका है.
दाम बढ़ने के बाद से केरोसीन की बिक्री में भी काफी कमी आई है. जो राशन दुकानदार केरोसीन बेचा करते थे, वो अब डिपो से केरोसीन भी नहीं मंगवाते हैं. जिनके पास इसका कार्ड है वो भी उस हिसाब से अब केरोसिन नहीं मंगवाते हैं. केरोसीन के बढ़े दाम के बाद उसे खरीदने बहुत कम लोग आते हैं.
जनवरी में 48 रुपये प्रति लीटर मिल रहा था केरोसीन
केरोसीन के दाम कि अगर हम बात करें तो इस साल जनवरी महीने में 48 रुपये प्रति लीटर था जो फरवरी में बढ़कर 56 रुपये हो गया.
इसके दो महीने बाद केरोसीन की कीमत में 20 रुपये की बढ़ोतरी हो गई और अप्रैल में कीमत 78 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गई. उसके बाद जुलाई महीने में सरकारी आदेश के अनुसार एक लीटर केरोसीन की अधिकतम कीमत 99.54 रुपये तक पहुंच चुकी है, जिसके बाद लोगों ने इसे खरीदना कम कर दिया.
केरोसीन बेचने वाले राशन दुकानदार ने बताया कि राशन कार्ड धारक जिनके पास गैस कनेक्शन नहीं है, उनको परिवार के हिसाब से 5 लीटर केरोसीन दिया जाता है लेकिन अब बहुत कम लोग खरीदने आते हैं क्योंकि दाम में बहुत बढ़ोतरी हो गई है.
जंगल के इलाके में जो लोग रहते हैं वो लोग गैस का सिलेंडर अपने घर तक नहीं ले जा पाते हैं, इसलिए ऐसे लोग खाना बनाने के लिए केरोसीन का या लकड़ी का उपयोग करते हैं. मॉनसून के समय में लकड़ियां गीली हो जाती हैं, वैसे में उन्हें खाना बनाने के लिए केरोसीन की बहुत जरूरत पड़ती है.
हालांकि केरोसीन के दाम में बढ़ोतरी के बाद गरीब लोग केरोसीन भी नहीं खरीद पा रहे हैं. बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिनके पास गैस कनेक्शन नहीं है. ये लोग पहले केरोसीन से खाना बनाते थे लेकिन अब केरोसीन भी महंगा हो गया है. जिससे वो जंगल से लकड़ी लाकर खाना पकाने लगे हैं.
जेठी बेन नाम की महिला ने बताया कि वह पहले केरोसीन लाती थी जिससे खाना बनाती थी. मगर दाम बढ़ने के बाद केरोसीन नहीं खरीदती हैं और जंगल से लकड़ी लाकर उससे चूल्हा जलाकर खाना पकाती हैं. उनका कहना है कि वह भूखे पेट कैसे रह सकती है. ऐसे में जंगल की लकड़ियां ही उसके लिए खाने बनाने का सहारा है.
नरेंद्र पेपरवाला