घर में छापे जा रहे थे 500 के नकली नोट... मास्टरमाइंड हैदराबाद जेल में बंद, 8 राज्यों में फैला नेटवर्क

गुजरात के दाहोद जिले में नकली नोट छापने वाले एक बड़े अंतरराज्यीय गिरोह का खुलासा हुआ है. यहां लिमडिया गांव में घर पर ही 500 रुपये के नकली नोट छापे जा रहे थे. पुलिस की छापेमारी में नकली नोट बनाने के सैकड़ों उपकरण और कागज बरामद हुए हैं. इस गोरखधंधे की जड़ें हैदराबाद की जेल में बंद मास्टरमाइंड से जुड़ी हैं, जो देश के आठ राज्यों में नेटवर्क संचालित कर रहा है.

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घर में छापे जा रहे थे असली जैसे नकली नोट. (सांकेतिक तस्वीर) घर में छापे जा रहे थे असली जैसे नकली नोट. (सांकेतिक तस्वीर)

ब्रिजेश दोशी

  • दाहोद,
  • 12 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 8:24 AM IST

गुजरात में दाहोद जिले के लिमडिया गांव में पुलिस ने नकली नोट छापने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. यह कार्रवाई राजस्थान के बांसवाड़ा में सामने आए नकली करंसी केस से जुड़े नंबरों की ट्रेसिंग के बाद की गई. पुलिस को संदेहास्पद नंबरों में से एक नंबर कांजी गरासिया नाम के व्यक्ति का निकला, जो लिमडिया गांव के मांडली फलिया का रहने वाला है. 

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पुलिस का कहना है कि कांजी गरासिया के घर पर छापेमारी में पुलिस को 143 ऐसे कागज मिले, जिन पर 500 रुपये के असली नोटों की तरह हरे रंग की पट्टी छपी थी. इसके अलावा 332 जेरॉक्स किए गए कागज और 42 नोटों के साथ छपे हुए कागज के 14 टुकड़े भी बरामद हुए. पुलिस ने कांजी और उसकी पत्नी अश्विनाबेन को मौके से गिरफ्तार किया और कोर्ट में पेश कर सात दिन की रिमांड हासिल की.

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पूछताछ में सामने आया कि यह गिरोह सिर्फ गुजरात ही नहीं, बल्कि देश के आठ राज्यों में सक्रिय है. इसका मास्टरमाइंड हैदराबाद का हुसैन पीरा है, जो दिसंबर 2024 में तेलंगाना में गिरफ्तार किया गया था और अभी हैदराबाद की जेल में बंद है. बांसवाड़ा में सामने आए फर्जी नोट कांड में भी उसकी भूमिका पाई गई है.

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दाहोद पुलिस अधीक्षक डॉ. राजदीप सिंह झाला के अनुसार, टेक्निकल एनालिसिस के जरिए इस गिरोह की पहचान की गई. हुसैन पीरा ट्राइबल इलाकों में रहने वाले युवकों को टारगेट करता है और उन्हें हैदराबाद बुलाकर ट्रेनिंग देता है. यह गिरोह पीडीएफ फॉर्मेट में नकली नोट भेजता है और रिमोट एक्सेस से प्रिंटिंग में मदद करता है.

अब तक इस केस में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें कांजी गरासिया, उसकी पत्नी अश्विनाबेन, मुकेश कामोल (छालोर गांव), राकेश पारगी (वांगड़ा गांव) और हरीशचंद्र पांचाल (पेथापुर गांव) शामिल हैं.

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रिपोर्ट: ध्रुव गिरि गोस्वामी

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