गुजरात विधानसभा में 64 साल बाद सर्वसम्मति से मानव बलि और अन्य अमानवीय, दुष्ट व नृशंस प्रथाओं की रोकथाम के लिए एंटी ब्लैक मैजिक बिल पास हो गया. गृह राज्यमंत्री हर्ष संघवी ने सदन में कहा कि मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेलने राज्य में अंधविश्वास के नाम पर प्रताड़ित होने वाले नागरिकों की सुरक्षा के लिए दृढ़ संकल्प के साथ ऐसी गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए कानून बनाया है.
उन्होनें पिछले कुछ सालों में गुजरात के अलग अलग जिलों में हुई नरबलि से लेकर अंधविश्वास की घटनाओ का हवाला देकर इस कानून को लाने की बात की. यह नया कानून मानव बलि और अन्य अमानवीय, बुरी और क्रूर प्रथाओं, काले जादू को रोकने के लिए लाया गया है. यह विधेयक धर्म और अधर्म के बीच महत्वपूर्ण अंतर को स्पष्ट करेगा, लोगों की आस्था और विश्वास से जुड़ी सभी धार्मिक गतिविधियां सम्मानजनक हैं.
विधानसभा में इस विधेयक को पेश करते हुए गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने कहा कि गुजरात में कई परिवारों ने इस कालाजादू और अन्य अमानवीय गतिविधियों के कारण अपने परिवार के सदस्यों और अपने बच्चों और विशेष रूप से बहनों और बेटियों को खो दिया है. यह कानून काला जादू करने वाले ढोंगियों के खिलाफ कार्रवाई करेगा और ऐसी गतिविधियों के माध्यम से गुजरात की भोली-भाली जनता की रक्षा के लिए एक ठोस कदम साबित होगा.
आगे मंत्री ने कहा कि हाल ही में सभी ने रक्षाबंधन का त्योहार मनाया है और इस त्योहार पर गुजरात की बहनों ने मुख्यमंत्री को राखी बांधी है. सभी बहनों की सुरक्षा के लिए मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल के नेतृत्व में यह कानून एक सौगात के रूप में लाया गया है.
आपराधिक कृत्य में किस तरह का मामले शामिल-
अधिनियम की धारा-2 में आस्था और अंधविश्वास के बीच की महीन रेखा को स्पष्ट किया गया है. जिसमें
1. मानव बलि, क्रूर प्रथाएं, काला जादू या ऐसे अन्य अमानवीय, बुरे कृत्यों का संचालन, प्रचार, प्रसार करना.
2. भूत, चुड़ैल या बुरी आत्मा को शरीर से बाहर निकालने के नाम पर किसी व्यक्ति को रस्सी या जंजीर से बांधकर, छड़ी या कोड़े से पीटकर, मिर्च का धुआं करके या बालों से छत से लटकाकर, या शरीर पर गर्म वस्तुएं डालकर या शराब पिलाकर या जूतों में भिगोया हुआ पानी, किसी व्यक्ति के मुँह में जबरदस्ती डाला गया मलमूत्र आदि.
3. तथाकथित चमत्कार करना और उनसे पैसा कमाना और तथाकथित चमत्कारों का प्रचार और प्रसार करके लोगों को धोखा देना.
4. दैवीय शक्ति की कृपा पाने या कीमती चीज, खजाना प्राप्त करने के इरादे से क्रूर कृत्य, काला जादू या अमानवीय कृत्य करके किसी के जीवन को खतरे में डालना या गंभीर रूप से घायल करना.
5. दूसरों के मन में यह भय पैदा करना कि उन पर अथाह शक्ति या ऐसी किसी बुरी शक्ति का प्रभाव है.
6. डायन या शैतान के अवतार होने का आऱोप लगाकर मवेशियों की दूध देने की क्षमता को कम कर देती है, दुर्भाग्य लाती है या बीमारी लाती है एसा कहना.
7. मंत्र तंत्र से भूत-चुड़ैल को बुलाने की धमकी देकर लोगों के मन में डर पैदा करना, भूत के प्रकोप से शारीरिक क्षति पहुंचाना.
8. कुत्ते, सांप या बिच्छू के काटने या अन्य कोई बीमारी होने पर व्यक्ति को इलाज कराने से रोकना और धागे, धागे, तंत्र मंत्र से इलाज करना.
9. उंगलियों के जरिए सर्जरी करने का दावा करना, या किसी महिला के गर्भ में पल रहे भ्रूण का लिंग बदलने का दावा करना.
10. यह दिखावा करना कि उसके अंदर विशेष अलौकिक शक्तियां मौजूद हैं और पिछले जन्म में उसकी भक्त उसकी पत्नी, पति या प्रेमिका थी कहकर यौन संबंध बनाना.
11. किसी अलौकिक शक्ति द्वारा मातृत्व का आश्वासन देकर गर्भधारण करने में असमर्थ महिला के साथ यौन संबंध बनाना, ये सभी प्रकार की बातें आपराधिक कृत्य में शामिल हैं.
सात वर्ष तक कारावास और पचास हजार तक जुर्माना
अनुच्छेद-3 में इस कानून के प्रावधानों के उल्लंघन पर छह माह से सात साल तक की कैद और पांच हजार से पचास हजार तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.इसके अलावा, किसी अपराध को करने में सहायता करना या उकसाना या ऐसा अपराध करने का प्रयास करना इस अधिनियम के तहत अपराध माना जाएगा और तदनुसार दंडित किया जाएगा. इसी धारा के तहत यह प्रावधान किया गया है कि यह अपराध पुलिस क्षेत्राधिकार का होगा और गैर-जमानती होगा. यानी पुलिस को इस अपराध के तहत आरोपी को गिरफ्तार करने का सीधा अधिकार दिया गया है.
उचित एवं त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए अधिकारी नियुक्ति का प्रावधान
इस अधिनियम की धारा-5 में सतर्कता अधिकारी की नियुक्ति का प्रावधान है, सतर्कता अधिकारी पुलिस निरीक्षक या उससे ऊपर के पद का होगा. सतर्कता अधिकारी अपने अधिकार क्षेत्र में प्रस्तावित अधिनियम में उल्लिखित अपराधों का पता लगाएगा और उन्हें रोकेगा, पीड़ित या उसके परिवार के सदस्य द्वारा पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई गई शिकायत पर उचित और शीघ्र कार्रवाई सुनिश्चित करेगा और आवश्यक सलाह, मार्गदर्शन प्रदान करेगा और प्रदान करेगा.
विजिलेंस ऑफिसर की ड्यूटी में बाधा डालने या बाधा डालने पर तीन महीने की कैद या 5 हजार तक जुर्माना हो सकता है. ताकि विजिलेंस अधिकारी अपना काम अच्छे से और जल्दी कर सके.
किन गतिविधियों को अपराध नहीं माना जाएगा?
धारा-12 में यह स्पष्ट किया गया है कि इस अधिनियम में आपराधिक कृत्य में कुछ भी शामिल नहीं किया जाएगा जिसमें-
1. प्रदक्षिणा, यात्रा, परिक्रमा, साथ ही उपासना, हरिपथ, कीर्तन, प्रवचन, भजन, उपदेश, प्राचीन और पारंपरिक विज्ञान का अध्ययन शामिल है. और कला, प्रचार, प्रसार के साथ-साथ मृत संतों के चमत्कारों, धार्मिक उपदेशकों के चमत्कारों के बारे में साहित्य का प्रचार और प्रसार करना, जिससे शारीरिक चोट या वित्तीय हानि नहीं होती है.
2. घरों, मंदिरों, दरगाहों, गुरुद्वारों जैसे स्थानों पर प्रार्थना, पूजा और सभी. , चर्च या अन्य पूजा स्थलों पर ऐसे अनुष्ठान करना जिससे शारीरिक क्षति या वित्तीय हानि न हो.
3. सभी धार्मिक उत्सवों, त्योहारों, प्रार्थनाओं, जुलूसों और किसी भी अन्य संबंधित कार्यों, मन्नतों, नवासों, मुहर्रम जुलूसों और अन्य सभी धार्मिक समारोहों का संचालन करना, धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार बच्चों के कान और नाक छिदवाना, केशलोचन और वास्तुशास्त्र जैसे अनुष्ठान करना और भूमि पूजन करना. जल. स्रोतों से परामर्श करना, ज्योतिषी सलाह देना आदि गतिविधि को अपराध नहीं माना जाएगा.
यदि इस अधिनियम में आस्था और अंधविश्वास के बीच संवेदनशील अंतर पर कोई कठिनाई उत्पन्न होती है, तो राज्य सरकार दो साल की समय सीमा के भीतर धारा-13 के तहत इस अधिनियम को लागू कर सकती है और इस अधिनियम के प्रावधानों के साथ असंगत न होने वाला प्रावधान बना सकती है, अर्थात अधिनियम दो वर्ष की सीमा के भीतर कठिनाइयों को दूर करने का प्रावधान है.
ब्रिजेश दोशी