यमुना पर तैरता जहरीला झाग, एनवायरमेंटल एक्सपर्ट्स ने दिल्ली सरकार को ठहराया जिम्मेदार

छठ पर्व से पहले कालिंदी कुंज के पास यमुना नदी में जहरीला झाग तैरते हुए दिखाई दिया. इस स्थिति पर अब पर्यावरणविदों ने दिल्ली सरकार को घेरा है. उनका कहना है कि दिल्ली सरकार ने यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए पर्याप्त कार्रवाई नहीं की है.

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Yamuna pollution Yamuna pollution

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 27 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 5:20 PM IST

Yamuna pollution: छठ पर्व की शुरुआत में अब एक दिन से भी कम वक्त शेष है. इस बीच इस त्योहार की तैयारियों को लेकर राजनीति की भी शुरुआत हो गई है. दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच जुबानी जंग जारी ही थी कि इस बीच पर्यावरणविदों ने दिल्ली सरकार पर यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए ‘पर्याप्त कार्रवाई नहीं करने’ का आरोप लगा दिया है. इस बीच यमुना नदी में तैरते जहरीले झाग का एक वीडियो भी सामने आया है.

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तस्वीरें डराने वाली

छठ पर्व से पहले यमुना से जो तस्वीरें सामने आ रही हैं वह श्रद्धालुओं को विचलित कर सकती है. कालिंदी कुंज के पास यमुना नदी में जहरीला झाग तैरते हुए दिखाई दिया. देश की राजधानी दिल्ली में भी बड़े पैमाने पर लोगों द्वारा छठ का त्योहार मनाने वालों के लिए यह स्थिति खतरनाक साबित हो सकती है.

उपराज्यपाल ने दिए ये निर्देश

दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने सरकार द्वारा डेजिगनेटड घाटों पर ही छठ पूजा करने की अनुमति दी है. साथ ही उन्होंने यमुना पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से साफ घाट और स्वच्छ पानी सुनिश्चित करने का आग्रह किया है.

क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट

एनवॉयरमेंटल एक्सपर्ट  विमलेन्दु झा ने कहा कि यमुना का प्रदुषण राजनीतिक मंशा की कमी का नतीजा है.  यमुना को साफ करने में जल्दबाजी और जमीन पर काम नहीं करने की वजह से ये स्थिति है. साथ ही उन्होंने हर साल प्रदूषण के पीछे का एक प्रमुख कारण नदी में न्यूनतम प्रवाह की कमी को भी बताया है.

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ये है स्थिति

दिल्ली में तकरीबन 3,500 मिलियन लीटर से अधिक सीवेज यमुना नदी में डंप किया जाता है. इनमें से 50 प्रतिशत सीवेज ऐसे हैं, जिनका पानी सीधे यमुना में जाता है. इसको प्यूरिफाई करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए हैं. अगर सरकार यमुना के पानी को साफ करना चाहती है तो सबसे पहले सीवेज के माध्यम से आ रहे पानी को साफ करने की जरूरत है.

लापरवाही की वजह से है ऐसी स्थिति

वहीं, एक और एनवायरमेंटल एक्सपर्ट भावरीन कंधारी कहते हैं कि लापरवाही और जमीन पर वास्तविक कार्रवाई नहीं होने की वजह से यमुना में हर साल जहरीले झाग तैरते नजर आते हैं. यमुना और हिंडन किनारों पर, सैकड़ों फार्महाउस और उद्योग जहरीले रासायन और कचरे को पानी में छोड़ रहे हैं.  लगभग 92 नाले हैं जो सीधे यमुना में खुलते हैं, जिनमें से 62 अनटैप हैं.  कई नागरिकों ने इस ओर सरकार का ध्यान दिलाने की भी कोशिश की, लेकिन जमीन पर इसको लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई.

 

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