एनडीए एग्जाम: पहली बार हर तीसरे आवेदन में से एक महिला

सेना ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पुरुष और महिला अधिकारियों के लिए सेवा शर्तों में संतुलन लाने के लिए प्रशिक्षण, शारीरिक सहनशक्ति और पोस्टिंग और सेवा पाठ्यक्रम जैसे मुद्दों पर अपनी नीति में भी बदलाव किया है.

Advertisement
परीक्षा (सांकेतिक तस्वीर) परीक्षा (सांकेतिक तस्वीर)

अभिषेक भल्ला

  • नई दिल्ली,
  • 13 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 10:38 PM IST
  • मिले कुल आवेदन में से 30 फीसदी से ज्यादा महिला आवेदक
  • सवाल के जवाब में रक्षा राज्य मंत्री ने संसद में दी जानकारी

राष्ट्रीय रक्षा अकादमी परीक्षा (NDA) 2021 में इस बार मिले हर तीन आवेदन में से एक महिला है. सोमवार को रक्षा मंत्रालय की ओर से एक लिखित जवाब में इसकी जानकारी दी गई. बताया गया कि रक्षा मंत्रालय को कुल  5 लाख 75 हजार 856 आवेदन मिले हैं, जिसमें से 30 फीसदी से अधिक यानी 1 लाख 77 हजार 654 महिला उम्मीदवारों के आवेदन मिले हैं. बता दें कि सितंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस साल होने वाली एनडीए परीक्षा में महिलाओं को बैठने की इजाजत मिलनी चाहिए.

Advertisement

रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने राज्यसभा में डॉक्टर अमर पटनायक के एक प्रश्न के जवाब में लिखित में ये जानकारियां दीं. उन्होंने बताया कि महिला उम्मीदवारों के प्रशिक्षण के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा और सुविधाएं मौजूद हैं. राष्ट्रीय रक्षा अकादमी परीक्षा 2021 के लिए महिला आवेदकों की संख्या पर कोई प्रतिबंध नहीं था. भट्ट की ओर से कहा गया कि यूपीएससी अधिसूचना में चिकित्सा मानकों को अधिसूचित किया गया है. ट्रेनिंग से पहले शारीरिक मानकों को अंतिम रूप दिया जाएगा.

एनडीए में प्रवेश से महिलाओं को पुरुषों के समकक्ष रूप में स्थायी कमीशन मिलने का मार्ग प्रशस्त होगा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद फरवरी 2020 से भारतीय सेना ने 577 महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन दिया है, जिसने महिला अधिकारियों को भी अपनी इकाइयों की कमान के लिए योग्य बना दिया है.

Advertisement

इससे पहले सरकार ने महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का विरोध किया था. शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने की अनुमति है, जैसे आर्मी एयर डिफेंस (एएडी), सिग्नल, इंजीनियर्स, आर्मी एविएशन, इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स (ईएमई), आर्मी सर्विस कॉर्प्स (एएससी), आर्मी ऑर्डनेंस कॉर्प्स (एओसी) और इंटेलिजेंस कॉर्प्स के अलावा जज और एडवोकेट जनरल (जेएजी) और आर्मी एजुकेशनल कॉर्प्स (एईसी). महिला अधिकारी अभी भी पैदल सेना, तोपखाने और बख्तरबंद वाहिनी में सेवा नहीं दे सकती हैं. 

सेना ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पुरुष और महिला अधिकारियों के लिए सेवा शर्तों में संतुलन लाने के लिए प्रशिक्षण, शारीरिक सहनशक्ति और पोस्टिंग और सेवा पाठ्यक्रम जैसे मुद्दों पर अपनी नीति में भी बदलाव किया है. सेना में अब तक महिलाओं का प्रवेश केवल शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के माध्यम से होता था और अधिकांश 14 साल से अधिक सेवा नहीं दे सकती थीं, हालांकि कुछ ऐसी भी थी जो विस्तार पर बनी रही लेकिन फिर भी उन्हें स्थायी कमीशन नहीं दिया गया.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement