पिछले साल पीएमस्वनिधि योजना की शुरुआत हुई थी, जिसमें रेहड़ी और पटरी विक्रेताओं (स्ट्रीट वेंडर्स) को 10,000 रुपये का लोन दिया जा रहा है ताकि वे कोरोनाकाल में अपना रोजगार शुरू कर सकें.
नेहरू प्लेस और लाजपत नगर की 2 बड़े बाजारों में 300 वेंडर्स होंगे, जिनके सामने आगे कुआं और पीछे खाई वाली स्थिति है. दरअसल, उन्होंने पीएमस्वनिधि के तहत 10 हजार का लोन तो ले लिया लेकिन वह रोजगार नहीं कर सकते, क्योंकि उनका आरोप है कि पुलिस-एमसीडी कभी भी सामान जब्त कर लेती है.
नेहरू प्लेस में वेंडर अनिल कुमार ने कहा कि पुलिस वाले अक्सर डंडे लेकर दौड़ते हैं. मुझसे अवैध वसूली मांगी गई और नहीं देने पर सामान जब्त कर लिया जो एमसीडी ऑफिस में जमा है.
वेंडर बच्चू सिंह का कहना है कि 2008 से नेहरू प्लेस में वेंडिंग कर रहा हूं. मेरा केस कोर्ट में लंबित है और मेरे पास स्टेटस क्यूओ का ऑर्डर है फिर भी प्रताड़ित किया जाता है. पीएमस्वनिधि योजना से लोन लिए वेंडर्स को लेटर ऑफ रिकमेंडेशन भी मिला है लेकिन रोजगार नहीं शुरू कर सकते तो लौन कैसे भरेंगे.
लाजपत नगर ज़ोन टाउन कमेटी मेंबर श्रीराम ने कहा कि 2014 के वेंडर एक्ट का पलन नही हो रहा है. वेंडर्स को सोची समझी साज़िश के तहत हटाया जा रहा है. स्ट्रीट अधिनियम एक्ट 2014 ये कहता है कि जब तक एक-एक वेंडर का सर्वे ना हो और टाउन वेंडिंग कमेटी व्यवस्थित ना कर दे तब तक किसी भी वेंडर को उसकी जगह से हटाया नहीं जा सकेगा. लेकिन इस एक्ट की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं.
राम किंकर सिंह