1100 पेड़ कटाई मामला: सुप्रीम कोर्ट ने LG से व्यक्तिगत मांगा हलफनामा, पूछे कई सवाल 

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ क्षेत्र में पेड़ों की कथित कटाई को लेकर डीडीए और अन्य के खिलाफ अवमानना मामले की सुनवाई कर रही थी. रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों को देखने के बाद शीर्ष अदालत ने कुछ पहलुओं पर अनियमितता देखी है. 

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Delhi Lieutenant Governor VK Saxena. (फाइल फोटो) Delhi Lieutenant Governor VK Saxena. (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 16 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 7:26 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उपराज्यपाल और दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) के अध्यक्ष वीके सक्सेना से दक्षिणी रिज इलाके में बड़े पैमाने पर पेड़ों की हुई कटाई मामले में 22 अक्टूबर तक व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है.  

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ क्षेत्र में पेड़ों की कथित कटाई को लेकर डीडीए और अन्य के खिलाफ अवमानना मामले की सुनवाई कर रही थी. रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों को देखने के बाद शीर्ष अदालत ने कुछ पहलुओं पर अनियमितता देखी है. 

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पीठ ने कहा कि वह इस बात पर स्पष्टता चाहती है कि 3 फरवरी को साइट के दौरे के दौरान पेड़ों की कटाई के लिए शीर्ष अदालत की अनुमति पर डीडीए चेयरपर्सन को कोई जानकारी या सूचना दी गई थी या नहीं. इसमें कहा गया है, ''उपरोक्त जवाब के सकारात्मक होने की स्थिति में इस अदालत की अनुमति सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए गए.

शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर जवाब नेगेटिव थे तो डीडीए अध्यक्ष को अनुमति के बारे में कब पता चला. इसमें कहा गया कि शीर्ष अदालत में याचिका दायर करने से पहले ही 16 फरवरी को पेड़ों की कटाई शुरू हो गई थी.

अगली सुनवाई तक दायर करना होगा हलफनामा

सुप्रीम कोर्ट ने एलजी को इस मामले में एक्शन लेने से संबंधित सवाल करते हुए कहा कि अगर इस मामले में कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही और दोषी व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू की गई तो उसके बारे में भी जानकारी दें. पीठ ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 अक्टूबर की तारीख मुकर्रर की है और कहा कि हलफनामा सुनवाई की अगली तारीख या उससे पहले दाखिल किया जाना चाहिए.

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रिज इलाके में पेड़ों की कथित कटाई को लेकर डीडीए उपाध्यक्ष सुभाशीष पांडा और अन्य के खिलाफ अवमानना मामले की सुनवाई सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा की जा रही थी. इससे पहले न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की थी.

पिछली पीठ ने डीडीए उपाध्यक्ष के खिलाफ कथित तौर पर दक्षिणी रिज के सतबरी इलाके में पेड़ों को काटने की अनुमति देने के लिए आपराधिक अवमानना नोटिस जारी किया था. साथ ही अदालत ने उपाध्यक्ष की ओर से दाखिल हलफनामे पर नाराजगी जताई थी.

वहीं, 24 जुलाई को न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति पी के मिश्रा और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की एक अन्य पीठ ने दिल्ली के रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई पर विभिन्न पीठों के समक्ष लंबित दो अलग-अलग अवमानना कार्यवाही का संज्ञान लिया और कहा कि वह न्यायिक औचित्य में विश्वास करता है और वह नहीं चाहता कि कोई भी परस्पर विरोधाभासी आदेश पारित हो.

वहीं, दो अलग-अलग पीठ डीडीए के खिलाफ अवमानना मामले के संबंधित थी. लेकिन डीडीए के खिलाफ अवमानना मामले के अलग-अलग पहलुओं के कारण कथित रूप से एक संभावित न्यायिक गतिरोध और परस्पर विरोधी आदेशों की संभावना खड़ी हो गई हैं.

क्या है मामला

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यह मामला डीडीए द्वारा सैकड़ों से अधिक पेड़ों की अवैध कटाई से जुड़ा है जो अदालत के पूर्व आदेशों का उल्लंघन है, जिसके अनुसार ऐसी कार्रवाई करने से पहले अदालत से अनुमति लेना आवश्यक है. आम आदमी पार्टी (आप) ने आरोप लगाया है कि उपराज्यपाल के निर्देश पर डीडीए ने दक्षिणी रिज क्षेत्र में लगभग 1,100 पेड़ काटे हैं.

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