2 की ली जान, 6 को किया घायल, दिल्ली में कम नहीं हो रहा खूंखार कुत्तों का आतंक

Delhi News: 10 मार्च को वसंत कुंज के रंगपुरी पहाड़ी इलाके में कुत्तों के झुंड ने 2 सगे भाइयों को नोचकर मार डाला था, तो अब मई की शुरुआत में कुत्तों ने 7 साल की बच्ची को आवारा कुत्तों ने कई जख्म दे दिए.

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राजधानी में कुत्तों का आतंक कम नहीं हो रहा है. राजधानी में कुत्तों का आतंक कम नहीं हो रहा है.

राम किंकर सिंह / aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 02 मई 2023,
  • अपडेटेड 12:35 PM IST

राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में खूंखार कुत्तों का आतंक कम नहीं हो रहा है. 10 मार्च को वसंत कुंज के रंगपुरी पहाड़ी इलाके में कुत्तों के झुंड ने 2 सगे भाइयों को नोचकर मार डाला था, तो अब मई की शुरुआत में कुत्तों ने 7 साल की बच्ची को आवारा कुत्तों ने कई जख्म दे दिए. गनीमत रही कि मासूम की हालत फिलहाल खतरे से बाहर है.

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दो सप्ताह पहले कुत्तों के झुंड ने 13 साल के एक बच्चे को भी बुरी तरह से नोच डाला था. इलाज के बाद अब उसकी हालत अब ठीक है. स्थानीय लोगों का कहना है कि आसपास के जंगल में सैकड़ों खूंखार कुत्ते रहते हैं. लेकिन एमसीडी के अधिकारी इन कुत्तों को न तो यहां से हटाते हैं और न ही कोई ऐसा इंतजाम करते हैं जिससे कि कुत्ते बच्चों पर हमला न करें.

स्थानीय शख्स किशोर कुमार ने बताया कि पड़ोस में मार्केट है, जहां से चिकन और मछली के बचे हुए अवशेषों को जंगल में फेंक दिया था, जिसकी वजह से यहां पर कुत्तों का हुजूम लगा रहता है.

निगम ने करीब 7000 कुत्तों को स्टरलाई किया

आपको बता दें कि दिल्ली नगर निगम के जनवरी-फरवरी महीने में 6904 स्ट्रीट डॉग्स को स्टरलाइज किया. जहां भी डॉग बाइट की सूचना मिलती है, वहां पर कुत्तों को उठाकर स्टेरलाइज करने के बाद वापस उसी एरिया में छोड़ दिया जाता है. 

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आपको बता दें कि पिछले 6 महीने से राजधानी में कुत्तों के काटने के मामले बढ़े हैं. एमसीडी के एक अधिकारी ने बताया कि स्टरलाइजेशन के बाद कुत्तों को वापस उसी एरिया में छोड़ दिया जाता है जो कि एक सरकारी गाइडलाइन है.

निगम का कहना है कि अभी मार्च के मामलों की स्टडी चल रही है. निगम का कहना है कि किसी एरिया से कुत्तों के काटने या हमला करने के मामले सामने आते हैं तो वहां के कुत्तों को पकड़कर उनका स्टरलाइजेशन किया जाता है और ऑब्जरवेशन में रखने के बाद अगर उनका बिहेवियर नॉर्मल होता है तो वह सरकारी गाइडलाइन के तहत वहीं छोड़ दिए जाते हैं. 

पकड़ने के बाद उसी इलाके में क्यों कुत्तों को छोड़ा जाता है?

दिल्ली नगर निगम के एक अधिकारी ने बताया कि किसी भी इलाके में डॉग बाइट मामले  बढ़ने पर इलाके के कुत्तों की नसबंदी करने के बाद उन्हें पकड़ा जाता है फिर वापस वहीं छोड़ा जाता है जहां से इन्हें पकड़ा गया था. इस दौरान रेबीज की वैक्सीन देने के बाद उन पर नजर रखी जाती है. एक्सपर्ट का यह मानना है कि कुत्ते अपने ही इलाके में रहते हैं. नई जगह पर वह नहीं जाते. ऐसे में स्टेरलाइजेशन के एक वक्त बाद कुत्तों की तादाद कम होने लगेगी.

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आंकड़ों में कुत्ते काटने के मामले

एमसीडी की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020-21 में कुत्तों के काटने से 3-3 लोगों की मौत हुई. लेकिन 2022 में कुत्तों के काटने की मरने वालों की संख्या में अचानक दोगुनी बढ़ गई. साल 2022 में कुत्तों के काटने से 6 लोगों की मौत हुई. इस साल वसंत कुंज इलाके से एक ही महीने के अंतराल पर तकरीबन 6 केस दर्ज किए गए, जिसमें दो सगे भाइयों की मौत शामिल है. साल 2018 में कुल 15 लोगों की रेबीज के चलते जान गई. जबकि 2019 में कुत्तों के काटने से 10 लोगों की मौत रेबीज से हुई. 

(इनपुट: राकेश सोनी)

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