पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में भड़की हिंसा का एक प्रमुख कारण तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेता शेख शाहजहां शेख द्वारा जबरन कब्जाई गई जमीन भी है. इंडिया टुडे की ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) टीम द्वारा किए गए विश्लेषण से दिखता है कि कैसे पिछले एक दशक में सैकड़ों एकड़ उपजाऊ भूमि को तालाबों में तब्दील दिया गया. इनमें से बहुत से तालाबों पर शाहजहां और उसके गुर्गों ने कथित तौर पर कब्ज़ा किया हुआ था.
इंडिया टुडे ने सैटेलाइट डेटा का उपयोग करके उन भूखंडों का पता लगाया है जहां गांव वाले पहले प्रमुख रूप से धान की फसल उगाते थे. बोयरमारी, हटगाछी, नलकारा, सरबेरिया, राजबाड़ी, त्रिमोनी बाज़ार, झुपखाली, माझेपाड़ा और बेरमुजुर उन इलाकों में से हैं, जहां बड़े स्तर पर भूखंडों को तालाबों में बदल दिया गया है. स्थानीय बोलचाल में इन तालाबों को भेरी कहते हैं.
उदाहरण के लिए, संदेशखाली पुलिस स्टेशन से महज 500 मीटर दूरी पर एक बड़े क्षेत्र में 2022 के फरवरी माह तक महज चंद तालाब थे.साल के अंत तक इस पूरे क्षेत्र को घेरकर एक बड़ा भेरी बना दिया गया. माझेरपाड़ा के लगभग 100 एकड़ जमीन में फैले इस तालाब में लगभग 25 किसानों के खेत समां गए. सैटेलाइट डेटा से चिन्हित किये गए इस क्षेत्र पर जाकर इंडिया टुडे ने वहां के हालात का जायजा लिया. स्थानीय लोगों के मुताबिक इस तालाब का जिम्मा शेख शाहजहां के खास सहयोगी उत्तम सरदार के पास है.
रूपदासी सरदार और चंबा सरदार उन लोगों में से हैं जिनकी जमीन को इस तालाब के लिए झूठे वायदे और बाहुबल के दम पर छीन लिया गया था. उन्होंने इंडिया टुडे को बताया कि उनको 5000-6000 रुपया प्रति बीघा हर साल देने का वादा किया गया था जो कभी पूरा नहीं हुआ. पीड़ित बताते हैं, 'शाहजहां शेख की मांगों को मानने के अलावा हमारे पास और कोई चारा नहीं था. उन लोगों ने हमारे खेतों में खारा पानी भर दिया था और आसपास के जमीन मालिकों ने पहले ही हामी भर दी थी.'
आदिवासी समुदाय की 60 वर्षीय रूपदासी सरदार ने बताया, “उत्तम सरदार ने मेरी 3.3 बीघा जमीन को लीज पर लिया था पर वादा की गई धनराशि हमें कभी नहीं मिली.' रूपदासी ने आगे बताया कि कैसे उनका परिवार अब दुकानों से ऊंची कीमतों पर अनाज खरीदने को मजबूर है. वह बताती हैं, 'कभी हम अपनी जमीन पर खेती करते थे और धान उगाते थे जो हमारे आत्मनिर्भरता के लिए पर्याप्त था, लेकिन आज ऊंची कीमतों पर अनाज खरीदने को मजबूर हैं.'
हालांकि हम परिवर्तित भूमि का कुल क्षेत्रफल निर्धारित नहीं कर सके, एक अनुमान के मुताबिक 1000 एकड़ से भी अधिक जमीन को तालाबों में बदला गया है. बताते चलें कि माझेरपाड़ा का तालाब की तरह बहुत से अन्य तालाब भी सैटेलाइट तस्वीरें में दिखते हैं और इसका क्षेत्रफल 100 एकड़ से अधिक है. Google Earth पर एक फ्लाईथ्रू टूर इस अनुमान को और पुख्ता कर देता है. 2023 में अपलोड किए गए Google Street View डाटा दिखाता है कि कुछ इलाकों में क्षितिज तक केवल तालाब ही तालाब दिख रहे हैं. हालांकि यह जरुरी नहीं कि ऐसे सभी नए तालाबों का संबंध शेख शाहजहां से हो.
(सैटेलाइट डाटा को आसान चित्रण के लिए फाल्स कलर कम्पोजिट में बदला गया है. इसमें लाल रंग वनस्पति (जैसे फसल) को दिखता है जबकि पानी काले और भूरे रंग में दिख रह है.)
स्थानीय लोगों के मुताबिक शेख के मछली पालन धंधे का प्रबंधन उसके भाई जियाउद्दीन और सहायक शिबु हजरा और उत्तम सरदार द्वारा किया जाता है. उन्होंने ने यह भी दावा किया कि लीज समझौते के नाम पर भूमि हड़पने की शुरुआत 2013-14 में हुई थी. 2018 के बाद इस अपराध में काफी तेजी आ गयी.अधिकारियों के अनुसार, भूमि हड़पने के 147 मामलों का निपटान किया गया है. रिपोर्ट्स में वापस की गई भूमि का क्षेत्रफल लगभग 200 बीघा बताया गया है.
केवल कृषि भूमि ही नहीं
शेख ने कथित रूप से श्री अरबिंदो मिशन के एक मैदान को जब्त कर इसका नाम बदलकर "शेख शाहजहां फैन क्लब" मैदान रख दिया था. नया नाम इसके मुख्य द्वार और दीवारों पर लिखा गया था. हिंसा के बाद स्थानीय अधिकारियों ने मैदान को मुक्त कराया था. आरोपी की कारिस्तानी को छुपाने के लिए मैदान पर लिखे गए उसके नाम को अब मिटा दिया गया है. हालांकि स्थानीय लोगों द्वारा पूर्व में गूगल पर शेयर की गई तस्वीरों में सब साफ़ दिखता है. Google Earth के डाटा के अनुसार, मैदान सिंहपारा में लगभग 2.86 एकड़ भूमि पर फैला हुआ है.
ओपन-सोर्स स्रोतों से से पता चलता है कि 2022 में 'शेख शाहजहां फैन क्लब टूर्नामेंट' नामक एक फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन बड़े धूमधाम से किया गया था. परिसर को तृणमूल के सफेद और नीले रंगों में रंगा गया था और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की प्रशंसा में बैनर लगाए गए थे. इस दौरान बड़े-बड़े LED लगाए गए थे और इनाम के रूप में महंगी बाइक्स दी गई थीं.
(हिंसा के बाद स्थानीय अधिकारीयों ने कब्ज़ा किये गए मैदान के दीवारों पर लिखे 'शेख शाहजहां फैन क्लब टूर्नामेंट-2022' को चूने की पुताई कर मिटवा दिया है (तस्वीर के निचले भाग को देखें). हालाँकि इसकी तस्वीरें गूगल मैप्स पर अब भी उपलब्ध हैं.)
संदेशखाली के बाहरी इलाके धमाखली में दो ईंट भट्ठे और सरबेरिया में एक बड़ा शॉपिंग कॉम्प्लेक्स भी शेख के कथित अवैध साम्राज्य का हिस्सा हैं. शेख कथित रूप से न केवल विशाल भेरियां चलाता है बल्कि स्थानीय मछली बाजारों पर भी उसका नियंत्रण है. इन बाजारों में आस पास के किसान भी अपनी उपज बेचते हैं.
कौन है शेख शाहजहां?
शेख शाहजहां वर्तमान में एक जिला परिषद सदस्य है. वह प्रवर्तन निदेशालय (ED) के एक टीम पर 5 जनवरी को हुए हमले के बाद से ही फरार था और गुरुवार की सुबह को अंततः दबोच लिया गया था. उसके और उसके लोगों पर स्थानीय महिलाओं से जोर जबरदस्ती और बलात्कार जैसे गंभीर आरोप भी हैं. इस महीने के शुरुआत में संदेशखाली की महिलाओं ने एक आंदोलन का ऐलान कर दिया था. इस दौरान आगजनी और हिंसा की घटनाएं भी हुईं. भीड़ ने शेख के लोगों की कई संपत्तियों को लूटा था. दारिरी जंगल क्षेत्र में उसके सहयोगी शिबु हजरा द्वारा कब्जाई गई जमीन पर बनाए गए पोल्ट्री फार्म भी इस हिंसा की चपेट में आ गए थे.
बढ़ती सियासी सरगर्मी के बीस पुलिस ने कम से कम 18 लोगों को गिरफ्तार किया है. भूमि हड़पने के 100 से अधिक मामलों में शेख के भाई शिराजुद्दीन के खिलाफ एक FIR भी दर्ज की गई है.
शेख शाहजहां ने 2000 के दशक में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की. ममता बनर्जी की सरकार बनते ही वो तृणमूल में शामिल हो गया. स्थानीय लोग बताते हैं की राजनीति में आने से पहले वह स्थानीय टैक्सी यूनियन से जुड़ा था. अपने शुरूआती दिनों में वह ऑटो सवारी का भाड़ा वसूल करता था.
उसके तेजी से बढ़ते राजनीतिक कद पर कोलकाता स्थित सिस्टर निवेदिता विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान के डीन सुरजीत मुखोपाध्याय कहते हैं कि वह समाज में यह सन्देश देने में कामयाब रहा कि वह कानून से ऊपर है और अपराध करने पर भी पुलिस उसका कुछ नहीं करेगी. वह बताते हैं: 'शेख शाहजहां का उदय "राजनीतिक अर्थव्यवस्था के अपराधीकरण" का एक उत्कृष्ण उदहारण है. उसने भूमि हड़प कर स्थानीय लोगों को हाशिए पर धकेल दिया और उनकी आत्मनिर्भरता को जोखिम में डाल दिया है. लोग अब अपने प्रिय अनाज चावल के लिए बाजार पर निर्भर हैं."
श्रेया चटर्जी / शुभम तिवारी