26/11 के बाद समंदर में 46 कोस्टल स्टेशन से पल-पल की हरकत पर नजर

वर्ष 2014 में समुद्री सुरक्षा पर निगरानी तंत्र को मजबूत करने के लिए गुरुग्राम में सूचना प्रबंधन एवं विश्लेषण केंद्र का गठन किया गया. यह नेशनल कमांड कंट्रोल कम्युनिकेशन एंड इंटेलिजेंस नेटवर्क की नोडल संस्था है, जो 51 तटरक्षक थानों को एक साथ जोड़ती है.

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फाइल फोटो फाइल फोटो

मंजीत नेगी / पन्ना लाल

  • नई दिल्ली,
  • 27 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 11:25 AM IST

मुंबई पर 26 नवंबर, 2008 को हुए आतंकी हमले के 10 साल पूरे हो चुके हैं. लेकिन बीते कुछ सालों में देश की समुद्री सुरक्षा को चाक-चौबंद किया गया है. कोस्ट गार्ड और नौसेना 26/11 जैसे किसी भी आतंकी हमले से निपटने के लिए तैयार है.

भारत की समुद्री सीमा की निगहबानी के लिए कोस्ट गार्ड मुख्यालय में नई तकनीक की मदद ली जा रही है. यहां के इंटीग्रेटेड ऑपरेशन सेंटर में दिन और रात देश के 7516 मीटर लंबी समुद्री सरहद पर नजर रखी जाती है. सैटलाइट और कैमरे के जरिए दिल्ली मुख्यालय में लाइव फीड आती है. इस फीड़ में कोई भी संदिग्ध बोट दिखने पर तुरंत कार्रवाई की जाती है.

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कोस्ट गार्ड समुद्र में 12 से 200 नॉटिकल मील और नेवी 200 नॉटिकल मील के बाद की सुरक्षा देखती है. 26/11 हमले के बाद समुद्र तटों पर सुरक्षा की तीन स्तर की व्यवस्था है. इस तीन लेयर की सुरक्षा में नेवी, कोस्ट गार्ड और समुद्र तटीय प्रदेशों की मरीन पुलिस आती है.

राज्यों की मरीन पुलिस तटों से 12 नॉटिकल मील तक की सीमा को गार्ड करती है. कोस्ट गार्ड के डीआईजी ऑपरेशंस डी आर शर्मा ने बताया कि पहले तटरक्षक के विमान साल में औसतन 10 हजार घंटे उड़ते थे, जो अब बढ़कर 21 हजार घंटे हो गए हैं. इनका मकसद है कि समुद्री सीमा से देश के दुश्मन अंदर ना आ सकें. कोस्ट गार्ड ने 46 नए कोस्टल स्टेशन बनाए हैं. आज कोस्ट गार्ड के बेड़े में 136 जहाज हैं. इसके अलावा 2009 के बाद से हर रोज औसतन 35-40 नाव या जहाज और 10-15 विमान निगरानी रखते हैं. इसके लिए 60 जेटी भी बनाई जा रही हैं. 2023 तक कोस्ट गार्ड के बेड़े में 190 जहाज और 100 एयरक्राफ्ट शामिल करने की योजना है.

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समुद्री सुरक्षा में चूक की वजह से मुंबई को एक बड़े आतंकी हमले का शिकार होना पड़ा. मुंबई हमले से करीब दो दशक पहले कोस्टल सिक्यॉरिटी स्कीम बनाई गई थी लेकिन इसे हमले के बाद लॉन्च किया गया. इसके तहत कोस्टल पुलिस स्टेशन बनाए गए, कोस्ट लाइन पर नए रडार स्टेशन बनाए गए. अभी सुरक्षा बेड़े 200 बोट, जहाजों को शामिल करने की योजना है.

वर्ष 2014 में समुद्री सुरक्षा पर निगरानी तंत्र को मजबूत करने के लिए गुरुग्राम में सूचना प्रबंधन एवं विश्लेषण केंद्र का गठन किया गया. यह नेशनल कमांड कंट्रोल कम्युनिकेशन एंड इंटेलिजेंस नेटवर्क की नोडल संस्था है, जो 51 तटरक्षक थानों को एक साथ जोड़ती है. तटीय निगरानी नेटवर्क के तहत रडार, कैमरे और सेंसर सुरक्षा के लिए लगाए जा रहे हैं. 2008 में आतंकी कसाब और उसके साथी एक नाव को ही हाइजैक कर मुंबई तक पहुंच सके थे.

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