Political Stock Exchange: दिल्ली में सत्ता विरोधी लहर नहीं, CM के लिए केजरीवाल हैं पहली पसंद

Political Stock Exchange आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन हो या ना हो, इस सवाल पर दिल्ली के वोटरों की राय बंटी नज़र आ रही है. Political Stock Exchange सर्वे के मुताबिक जहां 40%  प्रतिभागियों ने कहा कि AAP और कांग्रेस के बीच गठबंधन नहीं होना चाहिए. वहीं 39% वोटरों ने दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन के पक्ष में राय व्यक्त की. सर्वे में 21% वोटर इस सवाल पर कोई स्पष्ट राय व्यक्त नहीं कर सके.

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Manish Sisodia and Arvind Kejriwal (Photo- PTI) Manish Sisodia and Arvind Kejriwal (Photo- PTI)

राहुल कंवल / खुशदीप सहगल

  • नई दिल्ली,
  • 04 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 7:43 AM IST

दिल्ली के वोटरों की नब्ज़ पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मजबूत पकड़ बनी हुई है. जहां केजरीवाल दिल्ली में मुख्यमंत्री के लिए लोकप्रियता की दौड़ में कहीं आगे हैं, वहीं AAP सरकार के कामकाज से भी दिल्ली के वोटर संतुष्ट ज़्यादा हैं और असंतुष्ट कम. इंडिया टुडे ग्रुप के लिए एक्सिस माई इंडिया की ओर से एकत्र पॉलिटिकल स्टॉक एक्सचेंज (PSE) डेटा के मुताबिक केजरीवाल की लोकप्रियता में बीते तीन महीने में 2% का इज़ाफा हुआ है. AAP और कांग्रेस के बीच 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन हो या ना हो, इस सवाल पर दिल्ली के वोटरों की राय करीब-करीब बराबर बंटी नज़र आई.

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लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी एकजुटता के नाम पर AAP और कांग्रेस में गठबंधन होगा या नहीं, ये सवाल सियासी फ़िज़ा में बीते कई महीनों से तैर रहा है. PSE सर्वे के मुताबिक जहां 40%  प्रतिभागियों ने कहा कि AAP और कांग्रेस के बीच गठबंधन नहीं होना चाहिए. वहीं 39% वोटरों ने दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन के पक्ष में राय व्यक्त की. सर्वे में 21% वोटर इस सवाल पर कोई स्पष्ट राय व्यक्त नहीं कर सके.

PSE डेटा के मुताबिक अक्टूबर PSE सर्वे में केजरीवाल को 47% वोटर मुख्यमंत्री के तौर पर पहली पसंद बता रहे थे. जनवरी 2019 के PSE में 49% वोटरों ने राय जताई कि केजरीवाल को मुख्यमंत्री के तौर पर एक और कार्यकाल मिलना चाहिए. सर्वे डेटा के मुताबिक केजरीवाल और उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी के बीच भारी अंतर नज़र आता है.

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ताजा सर्वे में जहां केजरीवाल को 49% वोटर मुख्यमंत्री के तौर पर दोबारा देखना चाहते हैं, वहीं 14% वोटरों ने मनोज तिवारी को मुख्यमंत्री के लिए अपनी पसंद बताया. तीन महीने पहले हुए PSE सर्वे में मनोज तिवारी को 9% वोटरों ने अपनी पसंद बताया था. दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता शीला दीक्षित की लोकप्रियता में बीते तीन महीने में 7% की गिरावट आई. अक्टूबर सर्वे में 19% वोटर मुख्यमंत्री के लिए शीला दीक्षित को पहली पसंद बता रहे थे, ये आंक़ड़ा जनवरी PSE सर्वे में घटकर 12% ही रह गया.  

दिल्ली में AAP के लिए PSE सर्वे से अच्छी ख़बर ये है कि जहां केजरीवाल मुख्यमंत्री के लिए पहली पसंद बने हुए हैं, वहीं केजरीवाल सरकार के कामकाज से संतुष्ट बताने वाले लोगों की संख्या में भी बीते तीन महीने में 2% की बढ़ोतरी हुई है. अक्टूबर PSE में केजरीवाल सरकार के कामकाज से खुद को संतुष्ट बताने वाले प्रतिभागियों की संख्या 41% थी, जो इस साल जनवरी सर्वे में बढ़कर 43% हो गई. वहीं केजरीवाल सरकार के कामकाज से असंतुष्ट प्रतिभागी अक्टूबर में 35% थे, जो जनवरी 2019 में घटकर 34%  रह गए.

जहां तक केंद्र में BJP सरकार के पिछले साढ़े चार साल के कामकाज का सवाल है, तो जनवरी PSE में 41% वोटरों ने खुद को संतुष्ट बताया. हालांकि 3 महीने पहले अक्टूबर में हुए PSE सर्वे में दिल्ली के 42% प्रतिभागी केंद्र में BJP सरकार के कामकाज से खुद को संतुष्ट बता रहे थे. केंद्र की मौजूदा सरकार के कामकाज से खुद को असंतुष्ट बताने वाले प्रतिभागियों में 1% का इज़ाफ़ा हुआ. जहां तीन महीने पहले सर्वे में 36% वोटर केंद्र में बीजेपी सरकार के कामकाज से खुद को असंतुष्ट बता रहे थे, जनवरी 2019 में ये आंकड़ा बढ़कर 37% हो गया.  

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प्रधानमंत्री के लिए नरेंद्र मोदी वोटरों की पहली पसंद बने हुए हैं. मोदी की लोकप्रियता का आंकड़ा तीन महीने पहले अक्टूबर में हुए PSE में जो था, उसी स्तर पर जनवरी PSE में बना दिखा. PSE डेटा के मुताबिक 49% वोटर चाहते हैं कि मोदी को पीएम के तौर पर एक और कार्यकाल मिले. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को सर्वे में 40% वोटरों ने प्रधानमंत्री के लिए पहली पसंद बताया. राहुल को तीन महीने पहले हुए सर्वे में 43% प्रतिभागियों ने प्रधानमंत्री के लिए अपनी पसंद बताया था यानी तीन महीने में राहुल की लोकप्रियता में 3% की गिरावट आई.

दिल्ली के लिए PSE के ताजा सर्वे में 8% वोटरों ने केजरीवाल को भी प्रधानमंत्री के लिए अपनी पसंद बताया. तीन महीने पहले हुए सर्वे में 5% वोटरों ने ही केजरीवाल को प्रधानमंत्री के लिए अपनी पसंद बताया था. PSE डेटा से उन मुद्दों को बारीकी से जाना जा सकता है, जिन्हें दिल्ली के वोटर 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए महत्वपूर्ण मान रहे हैं. सर्वे में सबसे ज्यादा 26% प्रतिभागियों ने महंगाई को सबसे अहम मुद्दा बताया. वहीं 22% वोटरों की नज़र में रोजगार के अवसर और 18% के मुताबिक भ्रष्टाचार अहम मुद्दे हैं.

PSE सर्वे के मुताबिक 46% प्रतिभागियों ने माना कि 2019 लोकसभा चुनावों में अयोध्या में राम मंदिर एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा होगा. सर्वे में 39% वोटरों की राय के अनुसार राम मंदिर अगले आम चुनाव में प्रमुख मुद्दा नहीं होगा. PSE डेटा के मुताबिक 42% वोटरों ने राय व्यक्त की कि NDA सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले अयोध्या में विवादित जगह पर राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाना चाहिए. वहीं 24% प्रतिभागियों के मुताबिक सरकार को ऐसा नहीं करना चाहिए. सर्वे में 34% वोटर इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट राय नहीं व्यक्त कर सके.

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एक्सिस माई इंडिया की ओर से PSE सर्वे 27 दिसंबर से 3 जनवरी के बीच किया गया. इस दौरान दिल्ली के सभी 7 संसदीय क्षेत्रों में टेलीफोन इंटरव्यू लिए गए. इसमें 1,017 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया.

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