दिल्ली MCD में एक दूसरे के खिलाफ लामबंद हुए पार्षद और अधिकारी, 3 महीने में ही बिगड़ गई बात!

दिल्ली नगर निगम चुनाव के बाद अब तक स्टैंडिंग कमेटी नहीं बनाई जा सकी है. इस बीच अब कुछ पार्षद और अधिकारी कर्मचारी आमने-सामने आ गए हैं. कर्मचारी करोलबाग जोन के डीसी के साथ बदसलूकी का आरोप लगाकर गुस्सा दिखा रहे हैं तो वहीं वार्ड 87 के पार्षद भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे हैं.

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दिल्ली एमसीडी (फाइल फोटो) दिल्ली एमसीडी (फाइल फोटो)

राम किंकर सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 15 जून 2023,
  • अपडेटेड 6:20 AM IST

दिल्ली नगर निगम में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. यहां एक तरफ सबसे पावरफुल स्टैंडिंग कमेटी अब तक नहीं बन पाई है तो वहीं दूसरी तरफ अधिकारी और चुने हुए पार्षद एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए धरने पर बैठ गए हैं. दरअसल, बीते 7 जून को मेयर की मौजूदगी में करोलबाग जोन के डीसी कुमार अभिषेक के साथ बदसलूकी का आरोप लगाकर कर्मचारी ने अपना गुस्सा दिखाया. 

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निगम मुख्यालय में सैंकड़ों अधिकारियों और कर्मचारियों ने इकट्ठा होकर जमकर नारेबाजी की. इंजीनियर्स और कर्मचारियों ने मेयर से मांग की कि रंजीत नगर वार्ड 87 के पार्षद अंकुश अरोड़ा को बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने करोलबाग जोन के डीसी कुमार अभिषेक के साथ बदसलूकी का आरोप भी लगाया. माफी ना मांगी जाने की स्थिति में कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि उनका धरना-प्रदर्शन रेगुलर स्ट्राइक के रूप में बदल जाएगा.

10 पार्षदों के साथ दिया धरना

वहीं, वार्ड 87 के पार्षद अंकुश नारंग मेयर ऑफिस के बाहर 10 पार्षदों को लेकर धरने पर बैठ गए. उन्होंने भ्रष्ट अधिकारियों के सस्पेंशन की मांग की. अंकुश ने अधिकारियों पर उनके इलाके की प्रॉपर्टी को बेवजह नोटिस जारी करने और भ्रष्टाचार फैलाने का आरोप लगाया है. उन्होंने दलील दी है कि उन्हें चुनी हुई जनता ने भेजा है. वो कट्टर ईमानदार हैं. बिल्डिंग विभाग सबसे कमजोर कड़ी है. 5 महीने में जितने नोटिस किए गए, उतना 5 सालों में नहीं हुए. लोगों को नोटिस के नाम पर डराया जा रहा है. और पैसे वसूले जा रहे हैं. प्रोटेस्ट में शामिल अधिकारियों का कहना है कि हम सिर्फ दिल्ली म्युनिसिपल एक्ट के इंफोर्समेंट का काम करते हैं. इसमें पिक एंड चूज नहीं होता.

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सरकारी काम में बाधा

विरोध कर रहे इंजीनियर्स फोरम के जनरल सेक्रेटरी राजेश अरोड़ा ने अंकुश के आरोपों के जवाब में कहा है कि एमसीडी का स्टाफ और इंजीनियर दिल्ली म्युनिसिपल एक्ट के तहत काम करते हुए इलाके में एक्ट को लागू करता है. ये सरकारी काम में बाधा है. आखिर कोई पार्षद कैसे धमकी देगा की इलाके में कोई जूनियर इंजीनियर नोटिस लेकर गया तो उसकी टांग तोड़ दी जाएगी. इंजीनियर आत्मरक्षा में जवाब भी दे सकता है. जब तक धरना चला तब तक मेयर निगम मुख्यालय नही आईं. बाद में पार्षदों की मीटिंग ली.

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