अभी कम से कम दस दिन तो अड़ियल मॉनसून के आगे बढ़ने के आसार नहीं दिख रहे. एक ओर पूरब में पूर्वी उत्तर प्रदेश तक तो दूसरी ओर उत्तर में पंजाब तक आकर ठिठका पड़ा है. मौसम विभाग का भी कहना है कि बंगाल की खाड़ी से नमी लेकर आनेवाली पुरवइया हवाओं के झोंके थपकी दें तो मॉनसून आगे बढ़े.
फिलहाल तो दिल्ली और एनसीआर के लोग अगले दस दिन मॉनसून के बारे में सोचें भी नहीं. इसी मसले पर हमने मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक कुलदीप श्रीवास्तव से बात की कि आखिर कहां गड़बड़ है तो उनका जवाब था कि अभी सिस्टम बनता नहीं दिख रहा.
हमने पूछा कि सिस्टम माने क्या तो उनका कहना था कि दरअसल पृथ्वी जब चक्कर खाकर घूमती हुई एक खास जगह पर हर साल पहुंचती है तो समंदर में कम दबाव के क्षेत्र बनते हैं. यानी पूरब में बंगाल की खाड़ी और पश्चिम में अरब सागर में कम दबाव के क्षेत्र बनते हैं और समंदर की नमी युक्त हवाएं झोंके के साथ जमीन की ओर दौड़ती हैं. इसके बाद दोनों ओर की हवाएं एक लहर और रास्ते से गुजरती हैं. ये एक दूसरे को ठेलती भी हैं. इस रेलमपेल के साथ मॉनसून के बादल पूरे देश में छा जाते हैं और गरज तरज के साथ झमाझम बरसते हैं. बस यही मॉनसून की बारिश का समय होता है.
कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि अभी अरब सागर से तो हवाएं सही अंतराल पर चल रही हैं. लेकिन बंगाल की खाड़ी में कुछ झोंके तो आए और छाए लेकिन उनको धकेलने वाले नए झोंके नहीं आ पा रहे हैं. लिहाजा मॉनसून अटक गया है.
हालांकि देश के उत्तर और पश्चिमी कोने में विक्षोभ उठ रहा है. उससे दिल्ली और एनसीआर को झमाझम तो नहीं लेकिन हल्की बूंदाबांदी और तेज अंधड़ आ सकते हैं. बादल छाएंगे चमकेंगे, गरजेंगे लेकिन बरसेंगे नहीं! झमाझम के लिए तो इंतजार करना होगा. इंतजार भी ऐसा वैसा नहीं बल्कि लू के थपेड़ों के साथ. बाहर निकलते ही ऐसा लगेगा जैसे आपके आसपास से आग के गोले दौड़ रहे हों.
संजय शर्मा