एमजे अकबर मानहानि मामलाः केस ट्रांसफर पर 22 अक्टूबर को फैसला

बुधवार को सुनवाई के दौरान एमजे अकबर के वकील की तरफ से कोर्ट को एक अर्जी भी दी गई है, जिसमें कहा गया है कि पुराने जज विशाल पाहुजा के पास से इस केस को ट्रांसफर न किया जाए, क्योंकि सुनवाई अपने आखिरी चरण में है.

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इस मामले में लगभग दो साल से सुनवाई चल रही है (सांकेतिक फोटो) इस मामले में लगभग दो साल से सुनवाई चल रही है (सांकेतिक फोटो)

पूनम शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 14 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 8:04 PM IST
  • पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ किया है केस
  • करीब दो साल से मामले में सुनवाई चल रही है
  • जिला सेशन जज सुजाता कोहली सुनाएंगी फैसला

पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर द्वारा पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ किए गए मानहानि के मामले में 2 साल से सुनवाई कर रही कोर्ट ही मामले की सुनवाई आगे करेगी या फिर यह मामला किसी नए जज के पास ट्रांसफर किया जाएगा, इसको लेकर रॉउज एवेन्यू कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. जिला सेशन जज सुजाता कोहली इस पर 22 अक्टूबर को अपना फैसला सुनाएंगी.

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बुधवार को इस मामले में 3 बजे सुनवाई शुरू हुई तो एमजे अकबर के वकील की तरफ से कोर्ट को एक अर्जी भी दी गई, जिसमें कहा गया है कि पुराने जज विशाल पाहुजा के पास से इस केस को ट्रांसफर न किया जाए, क्योंकि सुनवाई अपने आखिरी चरण में है. अक्टूबर 2018 से अब तक इस मामले की सुनवाई हो चुकी है, जबकि प्रिया रमानी के वकील ने कहा कि पुराने जज फिलहाल एमपी और एमएलए के मामलों की सुनवाई के लिए ही डेजिग्नेट हैं, लेकिन फिर भी अगर वह इस मामले की सुनवाई करेंगे तो इससे समय बचेगा और इस मामले में जजमेंट समय पर आ पाएगा क्योंकि सुनवाई आखिरी मोड़ पर है. 

जिला सेशन जज ने कहा कि हाई कोर्ट के नोटिफिकेशन के बाद एमपी-एमएलए के मामलों में स्पीडी ट्रायल की बात कही गई है, लेकिन इस नोटिफिकेशन में यह नहीं कहा गया है कि एमपी-एमएलए कोर्ट दूसरे मामलों की सुनवाई नहीं कर सकती है. जज ने आगे कहा लेकिन नोटिफिकेशन के बाद अब सवाल जूरिडिक्शन को लेकर है कि क्या पुरानी कोर्ट इस मामले में सुनवाई कर सकती है, जबकि वो एमपी-एमएलए के मामले सुनने के लिए डेजिग्नेटिड कोर्ट है. अगर पुरानी कोर्ट का जूरिडिक्शन मामले को सुनने का नहीं बनता है तो इसके नतीजे बेहद खतरनाक हो सकते हैं. जिसमें पूरा ट्रायल ही खारिज हो सकता है.

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एमजे अकबर की तरफ से पेश वकील गीता लूथरा ने कहा कि सभी चाहते हैं कि एमप-एमएलए से जुड़े मामलों का स्पीडी ट्रायल हो, लेकिन इसको लेकर कुछ भी साफ नहीं है कि स्पेशल कोर्ट दूसरे मामलों की सुनवाई नहीं कर सकती है. 2 साल से इस मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही है और जब इस मामले में फैसला आने में कुछ ही वक्त है तब इसको दूसरी जगह ट्रांसफर किया जा रहा है. वकील ने कहा कि मेरी तरफ (एम जे अकबर) से यह मानहानि का केस दाखिल किया गया है और मेरी इज्जत दांव पर है. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 22 अक्टूबर को अपना फैसला सुनाने के आदेश कर दिए हैं.

अक्टूबर 2018 से इस मामले की सुनवाई कर रहे एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट विशाल पाहुजा ने कल कहा था कि ये कोर्ट सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली हाई कोर्ट को दिए गए हालिया निर्देश के बाद एमपी-एमएलए के खिलाफ दाखिल किए गए मामले ही सुन सकती है, जिसके बाद रॉउज एवेन्यू कोर्ट के डिस्ट्रिक्ट सेशन जज के पास केस ट्रांसफर कर दिया गया था, जिससे ये साफ हो सके कि इस मामले में सुनवाई नई बेंच करेगी या फिर मामले की सुनवाई पुरानी बेंच में ही पूरी हो सकती है. 

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