MCD चुनाव: दिल्ली में बरकरार रहा वोटिंग ट्रेंड, इस बार 50 फीसदी के करीब मतदान

दिल्ली के राज्य चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक, शाम पांच बजे तक 50 फीसदी से कम वोटिंग दर्ज की गई है. फाइनल फिगर को कंपाइल करने में थोड़ा वक्त लगेगा. अंतिम आंकड़ा 50 से 55% के बीच रहने की संभावना है. शाम 4 बजे तक 45 प्रतिशत वोटिंग हो गई थी. जबकि दोपहर 2 बजे तक सिर्फ 30 प्रतिशत वोटिंग हो पाई थी.

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दिल्ली के अरुणा नगर इलाके में वोट डालने के लिए कतार में खड़ी महिला मतदाता. (फोटो-पीटीआई) दिल्ली के अरुणा नगर इलाके में वोट डालने के लिए कतार में खड़ी महिला मतदाता. (फोटो-पीटीआई)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 04 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:41 PM IST

दिल्ली नगर निगम चुनाव में रविवार को मतदान हो गया है. MCD के 250 वार्डों में सुबह 8 बजे से शाम साढ़े 5 बजे तक मतदान हुआ. अब तक 50 प्रतिशत से कम मतदान होना सामने आया है. ये दो निकाय चुनाव में सबसे कम मतदान प्रतिशत है. हालांकि, इस आंकड़े में फेरबदल संभव है. क्योंकि ईवीएम के स्ट्रॉन्ग रूम के बाद ही फाइनल तौर पर आंकड़ा आएगा. इससे पहले दिल्ली के निकाय चुनाव में 2017 में 53.55 प्रतिशत, 2012 में 53.39 और 2007 में 43.24 प्रतिशत मतदान हुआ था. दिल्ली में वोटिंग को लेकर सुबह से ही लोगों में खास उत्साह देखने को नहीं मिला. यही वजह है कि दोपहर तक कई बूथों पर इक्का-दुक्का लोग भी वोटिंग करने पहुंचे. हालांकि, वोटिंग के आखिरी दौर में पॉश इलाकों के बूथों पर लोग वोट डालने पहुंचे. जबकि झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों ने वोटिंग में जबरदस्त उत्साह दिखाया और लाइनों में वोट डालते देखे गए.

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दिल्ली में शाम 4 बजे के बाद लोग वोट डालने के लिए बूथों तक पहुंचे. दोपहर 2 बजे तक दिल्ली में 30 प्रतिशत से कम मतदान हो सका था. सुबह से वोटिंग की रफ्तार का आलम ये था कि शुरुआती ढाई घंटे में सिर्फ 9 फीसदी मतदान हो सका था. दोपहर 12 बजे तक महज 12 फीसदी वोटिंग हो सकी. वहीं, दिल्ली में वोटर लिस्ट से नाम काटे जाने की शिकायतें भी खूब आईं. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी का नाम भी वोटर लिस्ट से गायब मिला. कांग्रेस की नेता राधिका का नाम भी वोटर लिस्ट से गायब था. उन्होंने ट्वीट कर शिकायत की. वहीं, अनिल चौधरी की शिकायत पर दिल्ली के चुनाव आयोग ने सफाई दी.

लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रतिशत रहता

दिल्ली के राज्य चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक, शाम पांच बजे तक 50 फीसदी से कम वोटिंग दर्ज की गई है. फाइनल फिगर को कंपाइल करने में थोड़ा वक्त लगेगा. अंतिम आंकड़ा 50 से 55% के बीच रहने की संभावना है. शाम 4 बजे तक 45 प्रतिशत वोटिंग हो गई थी. जबकि दोपहर 2 बजे तक सिर्फ 30 प्रतिशत वोटिंग हो पाई थी. गौरतलब रहे कि दिल्ली में निकाय चुनाव में जहां वोटिंग प्रतिशत कम रहने का ट्रेंड देखने को मिलता रहा है तो वहीं विधानसभा और लोकसभा के चुनावों में वोटिंग पर्सेंट इससे बेहतर रहा है. 2014 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली में 66.40, 2015 के विधानसभा चुनाव में 67.13, 2019 के लोकसभा चुनाव में 67.4 और 2020 के विधानसभा चुनाव में 62.59 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया था.

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कटेवारा गांव में एमसीडी चुनाव का बहिष्कार

दिल्ली में उत्तर पश्चिम जिले के कटेवारा गांव के लोगों का कहना है कि गांव में सड़क, नालियां जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण उन्होंने एमसीडी चुनाव का बहिष्कार किया है. उनका कहना है कि जब तक अधिकारी हमारी शिकायत नहीं सुनेंगे, हम वोट नहीं देंगे.

लगातार चौथी बार एमसीडी में वापसी की कोशिश में बीजेपी

दिल्ली नगर निगम चुनाव में इस बार कुल 1,349 उम्मीदवार मैदान में हैं. सुबह 8 बजे से शाम 5.30 बजे तक वोट डाले गए. नतीजे 7 दिसंबर को आएंगे. 1.45 करोड़ से ज्यादा मतदाता थे. इनमें से सिर्फ...  लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. MCD पर पिछले 15 वर्षों से काबिज बीजेपी खुद को दोहराने की कोशिश में है तो आम आदमी पार्टी दिल्ली की सत्ता के साथ-साथ नगर निगम पर भी अपना दबदबा बनाने की कवायद में है. कांग्रेस दिल्ली की सियासत में अपने खोए हुए जनाधार को वापस पाने के लिए मशक्कत कर रही है.

दुनिया के सबसे बड़े निकायों में एक है MCD

दिल्लीभर में 13,638 मतदान केंद्र बनाए गए थे. राज्य चुनाव आयोग के अनुसार, दिल्ली में कुल 1,45,05,358 मतदाता हैं. इनमें 78,93,418 पुरुष, 66,10,879 महिलाएं और 1,061 ट्रांसजेंडर हैं. दिल्ली में 100 साल से ज्यादा उम्र के 229 वोटर्स हैं. जबकि 80 से 100 साल के बीच वोटर्स की संख्या 2,04,301 है. पहली बार वोट डालने वाले युवाओं की संख्या 95458 है. 100 साल से ज्यादा उम्र के 229 वोटर्स हैं. जबकि 80 से 100 साल के बीच वोटर्स की संख्या 2,04,301 है. दिल्ली नगर निगम दुनिया के सबसे बड़े निकायों में से एक है. परिसीमन के बाद यह पहला निकाय चुनाव है. एमसीडी की 1958 में स्थापना हुई थी और 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के कार्यकाल के दौरान इसे तीन भागों में बांट दिया गया था. 

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